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OMG 2 Review : आज रिलीज हो रही अक्षय कुमार की फिल्म ‘ओएमजी 2’, जिसकी कहानी सेक्स एजुकेशन पर आधारित है

फिल्म ‘ओएमजी 2’ बदलते समय यौन शिक्षा को लेकर बनी है। देश में यौन शिक्षा को वर्जित मानने वाली शिक्षा पद्धति पर जिस देश में कामसूत्र लिखा गया है।

OMG 2 Review : फिल्म ‘ओएमजी 2’ बदलते समय की सच्ची पुकार, पंकज  त्रिपाठी ने लूटी लाइमलाइट


OMG 2 Review : अगर फिल्म की रिव्यू की बात करें तो फिल्म काफी अच्छी है। 4 स्टार दिया जा रहा है। फिल्म का डायलॉग ‘हर हर महादेव’ और ‘रख विश्वास है तू शिव का दास’ काफी पसंद आ रहा है लोगों को। फिल्म को देखते हुए लोग हर हर महादेव बोल रहे है।

फिल्म ‘ओएमजी 2’  एक साधारण फैमिली की कहानी है जो महाकाल के भक्त है। पंकज  त्रिपाठी ने एक पिता के रूप में शानदार अभिनय किया है। फिल्म में आप देखेंगे कि कैसे एक पिता अपने बच्चे के लिए पुरी समाज के सामने अपनी बात को रखते है। जिनमें दर्शकों को सोचने की दिशा बदलने की बात होती है।

‘ओएमजी 2’ जैसी फिल्में बनती हैं जिनकी रिलीज के लिए इनके निर्माताओं को संघर्ष करना पड़ता है। इस फिल्म को ‘केवल वयस्कों के लिए’ जैसा प्रमाण पत्र देने की जरूरत  नहीं थी।बल्कि इस फिल्म को  सभी किशोरों को देखनी चाहिए और तमाम स्कूलों के सारे बच्चों को ये फिल्म समूह में ले जाकर दिखानी चाहिए।

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 एक किशोरवय की मानसिकता को समझने का प्रयास –

अगर इस फिल्म की कहानी की बात करें तो ये कहानी एक स्कूल से शुरू होती है। जहां एक किशोरवय का बच्चा सांस्कृतिक कार्यक्रमों की तैयारियों के बीच अपनी पसंदीदा छात्रा से अलग कर दिया जाता है। छात्रा के दोस्त इस बच्चे का मजाक उड़ाते हैं उसके लिंग के आकार को लेकर उसके मन में शंकाओं को भर देते हैं।और बच्चा किससे कि सामान्य लिंग का आकार प्रकार कैसा होता है, वह नीम हकीमों, जड़ी बूटी बेचने वाले बाबाओं के पास भटकता है और फिर एक मेडिकल स्टोर से नकली वियाग्रा खाकर बीमार हो जाता है। तब उसके पिता को पता चल जाता है और स्कूल उसकी इस हरकत को सामाजिक अपराध की संज्ञा देता है। उसके बालमन को समझने की कोशिश कोई नहीं करता। इस बच्चे का वीडियो बनाकर वायरल कर दिया जाता है।उसे स्कूल से भी हटा दिया जाता है, लेकिन शिव की कृपा होती है।

‘ओएमजी 2’फिल्म की कहानी – 

बच्चे का पिता स्कूल के संचालकों, नीम हकीमों, जड़ी बूटी विक्रेताओं और मेडिकल स्टोर संचालक के साथ साथ अपने ऊपर भी मुकदमा कर देता है। असली फिल्म यहां से शुरू होती है। पिता के रोल में पंकज त्रिपाठी कोर्ट में मुकदमा लड़ता है। अक्षय कुमार महाकाल के रूप में मार्गदर्शन करते रहते है।  ये फिल्म है ऐसे देश में यौन शिक्षा को वर्जित मानने वाली शिक्षा पद्धति पर जिस देश में कामसूत्र लिखा गया और जिस देश में रचित पंचतंत्र की कहानियों में काम शिक्षा का उल्लेख हुआ। उसी देश में विदेशी शिक्षा पद्धति से चलने वाला शहर का एक नामी स्कूल बच्चे पर लांछन लगाता है। शिवगण को विष पीने को बाध्य करता है। और, ये शिवगण भी इस दौर में आकर रात को महाकाल का प्रसाद पीने के साथ साथ फिल्म ‘गदर’ का गाना भी गातें हैं। कोर्ट में  पंकज  त्रिपाठी और यामी गौतमी दोनों वकील के रूप में बहस को काफी रोमांचक रूप से दर्शाया है।और अंत में एक पिता की जीत होती है।

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फिल्म में सहयोगी कलाकारों की भूमिका –

भोले भंडारी के रूप में अक्षय कुमार ने सबके मन को मोह लिया  है। हर हर महादेव! स्कूल संचालक के रूप में अरुण गोविल, डॉक्टर की भूमिका में बृजेंद्र काला और मेडिकल स्टोर मालिक के रूप में पराग छापेकर का चयन फिल्म की कास्टिंग की जीत है। पवन मल्होत्रा ने जज के रूप में अद्भुत कार्य किया है। अंग्रेजी में ही अदालत चलाने के अभ्यस्त एक जज का जब एक शुद्ध हिंदी बोलने वाले से पाला पड़ता है तो पूरी बात समझने के लिए जिस तरह वह अपने सहयोगी की मदद लेता है, वे दृश्य फिल्म में हास्य रस की कमी को पूरा करते हैं।

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