World Vasectomy Day: नसबंदी पर खुली सोच, विश्व नसबंदी दिवस 2025 का महत्व और उद्देश्य
World Vasectomy Day, हर साल 17 नवंबर को विश्व नसबंदी दिवस (World Vasectomy Day) मनाया जाता है।
World Vasectomy Day : विश्व नसबंदी दिवस 2025, स्वस्थ समाज की ओर एक जिम्मेदार कदम
World Vasectomy Day, हर साल 17 नवंबर को विश्व नसबंदी दिवस (World Vasectomy Day) मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य पुरुषों में परिवार नियोजन के प्रति जागरूकता बढ़ाना और यह बताना है कि नसबंदी केवल महिलाओं की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि पुरुषों की भी समान भागीदारी आवश्यक है। आज भी समाज में नसबंदी को लेकर कई गलत धारणाएँ मौजूद हैं, लेकिन यह दिन उन सभी मिथकों को तोड़ने और सुरक्षित प्रजनन स्वास्थ्य को बढ़ावा देने का अवसर प्रदान करता है।
विश्व नसबंदी दिवस का इतिहास
World Vasectomy Day की शुरुआत 2013 में हुई थी। इसे ऑस्ट्रेलियाई फिल्म निर्माता जोनाथन स्टैक (Jonathan Stack) और अमेरिकी डॉक्टर डॉ. डग्लस स्टीन (Dr. Douglas Stein) ने मिलकर शुरू किया था। इनका उद्देश्य था – पुरुषों को नसबंदी की प्रक्रिया के बारे में सही जानकारी देना और यह साबित करना कि यह एक सुरक्षित, सरल और प्रभावी परिवार नियोजन उपाय है।पहले साल इस अभियान के तहत सिर्फ 25 देशों में कार्यक्रम आयोजित हुए थे, लेकिन आज यह पहल 100 से अधिक देशों तक फैल चुकी है।
नसबंदी क्या है?
नसबंदी (Vasectomy) पुरुषों के लिए एक स्थायी गर्भनिरोधक प्रक्रिया है, जिसमें शुक्राणु (sperm) ले जाने वाली नलिकाओं को बंद कर दिया जाता है ताकि वे वीर्य (semen) के साथ बाहर न जा सकें। यह एक सरल, सुरक्षित और बिना दर्द वाली सर्जरी होती है, जो लगभग 15–20 मिनट में पूरी हो जाती है। महत्वपूर्ण बात यह है कि नसबंदी के बाद पुरुषों की शारीरिक क्षमता, यौन जीवन या हार्मोनल संतुलन पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ता।
विश्व नसबंदी दिवस का उद्देश्य
विश्व नसबंदी दिवस मनाने के पीछे कई महत्वपूर्ण उद्देश्य हैं –
- परिवार नियोजन में पुरुषों की भागीदारी बढ़ाना।
- नसबंदी को लेकर समाज में फैली भ्रांतियों को दूर करना।
- जनसंख्या नियंत्रण के महत्व को समझाना।
- सुरक्षित प्रजनन और मातृ स्वास्थ्य को प्रोत्साहित करना।
- यह संदेश देना कि परिवार नियोजन केवल महिलाओं की जिम्मेदारी नहीं है।
भारत में नसबंदी की स्थिति
भारत में परिवार नियोजन कार्यक्रमों की शुरुआत 1952 में हुई थी, लेकिन आज भी ज्यादातर मामलों में नसबंदी महिलाएँ ही करवाती हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारत में महिला नसबंदी के 93% मामले हैं, जबकि पुरुष नसबंदी मात्र 7% से भी कम है। इस असमानता की बड़ी वजह है —
- पुरुषों में नसबंदी को लेकर डर और गलतफहमियां।
- यह धारणा कि नसबंदी से मर्दानगी प्रभावित होती है।
- जानकारी और परामर्श की कमी।
लेकिन सच्चाई यह है कि पुरुष नसबंदी एक तेज़, कम जोखिमभरी और स्थायी प्रक्रिया है जो महिलाओं की तुलना में काफी आसान और सुरक्षित है।
नसबंदी से जुड़े मिथक और सच्चाई
मिथक 1: नसबंदी से पुरुष कमजोर हो जाते हैं।
सच्चाई: नसबंदी का पुरुषों की ताकत, यौन क्षमता या स्वास्थ्य पर कोई असर नहीं पड़ता।
मिथक 2: नसबंदी के बाद पुरुष पिता नहीं बन सकते।
सच्चाई: हां, यह एक स्थायी प्रक्रिया है, लेकिन जरूरत पड़ने पर रीवर्सल सर्जरी द्वारा इसे फिर से सक्रिय किया जा सकता है।
मिथक 3: नसबंदी एक बड़ा ऑपरेशन है।
सच्चाई: यह एक मिनिमल सर्जिकल प्रोसेस है जो 15 मिनट से भी कम समय में पूरी हो जाती है और बिना अस्पताल में भर्ती हुए करवाई जा सकती है।
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नसबंदी के फायदे
- यह एक स्थायी और सुरक्षित गर्भनिरोधक उपाय है।
- महिला नसबंदी की तुलना में कम जोखिम और तेज़ रिकवरी होती है।
- इससे दंपति निश्चिंत होकर जीवन का आनंद ले सकते हैं।
- जनसंख्या नियंत्रण में बड़ा योगदान देता है।
- आर्थिक और सामाजिक रूप से परिवार के बेहतर भविष्य की दिशा में मददगार है।
पुरुषों की भूमिका और जिम्मेदारी
समाज में अक्सर परिवार नियोजन का भार महिलाओं पर डाला जाता है, जबकि यह दोनों की समान जिम्मेदारी है।
पुरुषों को आगे आकर न केवल अपनी साथी का साथ देना चाहिए बल्कि खुद पहल करके यह दिखाना चाहिए कि वे एक जिम्मेदार पार्टनर और नागरिक हैं। विश्व नसबंदी दिवस इसी सोच को बढ़ावा देता है – कि पुरुष भी परिवार और समाज के हित में योगदान दे सकते हैं।
वैश्विक दृष्टिकोण
विश्वभर में हर साल लाखों पुरुष नसबंदी करवाते हैं। कई देशों जैसे ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, कनाडा और थाईलैंड में यह एक सामान्य प्रक्रिया बन चुकी है। इन देशों में सरकारें और सामाजिक संगठन लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाते हैं ताकि परिवार नियोजन को लेकर कोई झिझक न रहे। विश्व नसबंदी दिवस 2025 हमें यह याद दिलाता है कि परिवार नियोजन किसी एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि पूरे समाज की जिम्मेदारी है पुरुषों को इस दिशा में जागरूक और सक्रिय होना चाहिए ताकि महिलाएं इस जिम्मेदारी का अकेले भार न उठाएं। नसबंदी कोई कमजोरी नहीं, बल्कि साहस, जिम्मेदारी और जागरूकता का प्रतीक है। एक छोटा कदम – एक जिम्मेदार निर्णय न केवल परिवार का भविष्य सुरक्षित करता है, बल्कि समाज को भी बेहतर दिशा देता है।
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