लाइफस्टाइल

World Trauma Day: वर्ल्ड ट्रॉमा डे 2025, सड़क दुर्घटनाओं और आकस्मिक चोटों के प्रति जागरूकता का दिवस

World Trauma Day, हर साल 17 अक्टूबर को वर्ल्ड ट्रॉमा डे (World Trauma Day) मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य लोगों को ट्रॉमा (Trauma) यानी दुर्घटना, चोट या मानसिक आघात के प्रभावों के बारे में जागरूक करना है।

World Trauma Day : वर्ल्ड ट्रॉमा डे 2025, गोल्डन ऑवर की अहमियत और जीवन बचाने के उपाय

World Trauma Day, हर साल 17 अक्टूबर को वर्ल्ड ट्रॉमा डे (World Trauma Day) मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य लोगों को ट्रॉमा (Trauma) यानी दुर्घटना, चोट या मानसिक आघात के प्रभावों के बारे में जागरूक करना है। दुनिया भर में हर दिन लाखों लोग सड़क दुर्घटनाओं, प्राकृतिक आपदाओं, या आकस्मिक घटनाओं के कारण चोटिल होते हैं। कई बार समय पर उपचार न मिलने से उनकी जान चली जाती है। इसलिए यह दिन हमें याद दिलाता है कि हर सेकंड कीमती है, और सही जानकारी, प्राथमिक उपचार तथा सतर्कता से हम कई जिंदगियां बचा सकते हैं।

वर्ल्ड ट्रॉमा डे का इतिहास

वर्ल्ड ट्रॉमा डे की शुरुआत भारत से हुई थी। इसका विचार दिल्ली के ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) में काम करने वाले डॉक्टरों द्वारा दिया गया था। साल 2011 में जब दिल्ली में सड़क दुर्घटनाओं से बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई, तब डॉक्टरों ने महसूस किया कि जनता को ट्रॉमा और फर्स्ट एड (First Aid) के प्रति जागरूक करना बेहद जरूरी है। इसी सोच के साथ 17 अक्टूबर को “World Trauma Day” घोषित किया गया — ताकि लोग यह समझ सकें कि दुर्घटनाओं के बाद तुरंत और सही कदम उठाना जीवन बचाने में कितना अहम है।

ट्रॉमा क्या है?

“ट्रॉमा” शब्द ग्रीक भाषा के शब्द ‘Trauma’ से आया है, जिसका अर्थ है घाव या चोट।
यह दो प्रकार का हो सकता है —

  1. शारीरिक ट्रॉमा (Physical Trauma): शरीर को लगी चोटें जैसे सड़क दुर्घटना, गिरने, जलने, या किसी तीव्र झटके से हुई हानि।
  2. मानसिक ट्रॉमा (Psychological Trauma): किसी डरावनी, दर्दनाक या झकझोर देने वाली घटना के बाद मन पर पड़ा गहरा प्रभाव।

अक्सर लोग ट्रॉमा को सिर्फ शारीरिक चोट समझते हैं, जबकि मानसिक ट्रॉमा भी उतना ही खतरनाक होता है, क्योंकि यह व्यक्ति के व्यवहार, नींद, और मानसिक संतुलन को प्रभावित करता है।

ट्रॉमा के प्रमुख कारण

दुनिया में हर साल कई लाख लोग ट्रॉमा की वजह से जान गंवाते हैं। इसके पीछे मुख्य कारण हैं —

  1. सड़क दुर्घटनाएँ – सबसे बड़ा कारण, खासकर युवाओं में।
  2. गंभीर गिरना या फिसलना – बुजुर्गों और बच्चों में आम।
  3. प्राकृतिक आपदाएँ – जैसे भूकंप, बाढ़, तूफान आदि।
  4. औद्योगिक हादसे – फैक्टरियों या निर्माण स्थलों पर सुरक्षा की कमी।
  5. घरेलू दुर्घटनाएँ – जैसे आग लगना, बिजली का झटका आदि।
  6. हिंसा या युद्ध संबंधी घटनाएँ – गोलीबारी, बम विस्फोट या दंगे।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, हर साल करीब 5 मिलियन लोग ट्रॉमा से संबंधित कारणों से मरते हैं, जिनमें से एक बड़ा हिस्सा सड़क दुर्घटनाओं से होता है।

गोल्डन ऑवर का महत्व

ट्रॉमा के मामलों में सबसे अहम बात होती है “गोल्डन ऑवर” यानी दुर्घटना के बाद का पहला एक घंटा।
अगर इस समय के भीतर घायल व्यक्ति को उचित प्राथमिक उपचार (First Aid) और चिकित्सकीय मदद मिल जाए, तो उसकी जान बचने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।

Read More : Vitamin B12: गर्भवती महिलाओं के लिए जरूरी चेतावनी, विटामिन B12 की कमी बन सकती है बड़ी परेशानी

प्राथमिक उपचार (First Aid) के ज़रूरी कदम

यदि किसी व्यक्ति को ट्रॉमा या दुर्घटना में चोट लगी है, तो निम्नलिखित कदम तुरंत उठाए जाने चाहिए —

  1. शांत रहें और स्थिति का आकलन करें।
  2. घायल व्यक्ति को हिलाने की कोशिश न करें अगर उसे सिर, गर्दन या रीढ़ में चोट लगी हो।
  3. खून बहने पर दबाव डालें ताकि रक्तस्राव रुके।
  4. सांस और नाड़ी की जाँच करें।
  5. जरूरत हो तो CPR दें (यदि प्रशिक्षित हों)।
  6. एम्बुलेंस को तुरंत कॉल करें (108 या 112)
  7. घायल को सुरक्षित स्थिति में रखें जब तक चिकित्सकीय सहायता न मिले।

मानसिक ट्रॉमा और उसका प्रभाव

मानसिक या भावनात्मक ट्रॉमा भी उतना ही गंभीर होता है जितना शारीरिक ट्रॉमा।
कई लोग किसी दुर्घटना, प्रियजन की मृत्यु, या हिंसक घटना के बाद पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) से पीड़ित हो जाते हैं।
इसके लक्षण हैं

  • लगातार डर या चिंता
  • नींद न आना
  • घटना की यादें बार-बार आना
  • दूसरों से दूरी बनाना

ऐसे में मानसिक परामर्श, थेरेपी और परिवार का सहयोग बेहद जरूरी होता है।

Read More : A Knight of the Seven Kingdoms: GOT का नया धमाका, ‘A Knight of the Seven Kingdoms’ स्पिन-ऑफ का ट्रेलर आउट!

वर्ल्ड ट्रॉमा डे मनाने का उद्देश्य

वर्ल्ड ट्रॉमा डे का मुख्य उद्देश्य लोगों को यह सिखाना है कि

  • सड़क सुरक्षा नियमों का पालन करें।
  • सीट बेल्ट और हेलमेट पहनना न भूलें।
  • फर्स्ट एड ट्रेनिंग लें।
  • एम्बुलेंस सेवाओं का सही उपयोग करें।
  • मानसिक स्वास्थ्य को गंभीरता से लें।

इस दिन अस्पतालों, स्वास्थ्य संस्थानों और एनजीओ द्वारा सेमिनार, वर्कशॉप और अवेयरनेस कैंपेन आयोजित किए जाते हैं ताकि जनता में सुरक्षा और तत्परता की भावना बढ़े। वर्ल्ड ट्रॉमा डे हमें यह सिखाता है कि एक छोटी सी सावधानी और सही समय पर उठाया गया कदम किसी की जान बचा सकता है। यह दिन केवल डॉक्टरों या स्वास्थ्यकर्मियों के लिए नहीं, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण है जो समाज का जिम्मेदार नागरिक है।

We’re now on WhatsApp. Click to join.

अगर आपके पास भी हैं कुछ नई स्टोरीज या विचार, तो आप हमें इस ई-मेल पर भेज सकते हैं info@oneworldnews.com

Back to top button