World Rivers Day: विश्व नदियाँ दिवस 2025, पानी बचाओ, नदियाँ बचाओ
World Rivers Day, हर साल सितंबर के चौथे रविवार को विश्वभर में विश्व नदियाँ दिवस (World Rivers Day) मनाया जाता है। यह दिन हमें नदियों के महत्व, उनके संरक्षण और सतत उपयोग के लिए प्रेरित करता है।
World Rivers Day : गंगा से गोदावरी तक, भारत की नदियों का बदलता स्वरूप
World Rivers Day, हर साल सितंबर के चौथे रविवार को विश्वभर में विश्व नदियाँ दिवस (World Rivers Day) मनाया जाता है। यह दिन हमें नदियों के महत्व, उनके संरक्षण और सतत उपयोग के लिए प्रेरित करता है। नदियाँ केवल जल की धारा भर नहीं हैं बल्कि जीवन, संस्कृति, इतिहास और सभ्यता की पहचान हैं। मानव सभ्यता का विकास हमेशा नदियों के किनारे हुआ है। चाहे सिंधु घाटी हो, गंगा के किनारे की संस्कृति हो या फिर नील नदी के आसपास की मिस्र सभ्यता, नदियों ने हमेशा इंसान को जीवन जीने की राह दिखाई है।
विश्व नदियाँ दिवस का इतिहास
विश्व नदियाँ दिवस की शुरुआत कनाडा से हुई थी। वर्ष 2005 में इसे पहली बार मनाया गया। इसका श्रेय कनाडाई पर्यावरणविद् मार्क एंजेलो को जाता है। उन्होंने नदियों की बिगड़ती स्थिति और प्रदूषण को देखते हुए एक वैश्विक अभियान की शुरुआत की। इस अभियान का उद्देश्य था – लोगों में नदियों के महत्व के प्रति जागरूकता बढ़ाना और उन्हें संरक्षण की दिशा में प्रेरित करना। आज यह दिन लगभग 60 से अधिक देशों में मनाया जाता है।
नदियों का महत्व
-जीवन का आधार – नदियाँ पीने के पानी, कृषि सिंचाई और उद्योगों के लिए सबसे बड़ा स्रोत हैं।
-संस्कृति और आस्था – भारत में गंगा, यमुना, सरस्वती, नर्मदा, गोदावरी, कावेरी जैसी नदियों को माँ का दर्जा दिया गया है।
-पर्यावरण संतुलन – नदियाँ भूजल को रिचार्ज करती हैं, मृदा उपजाऊ बनाती हैं और पारिस्थितिकी को संतुलित रखती हैं।
-आर्थिक विकास – जलविद्युत, परिवहन, मत्स्य पालन और पर्यटन नदियों से जुड़े प्रमुख आर्थिक स्तंभ हैं।
नदियों की मौजूदा स्थिति
दुर्भाग्यवश, आज नदियाँ भारी संकट में हैं।
-प्रदूषण – औद्योगिक कचरा, प्लास्टिक, सीवेज और रासायनिक कचरा नदियों में सीधे डाला जा रहा है।
-जलवायु परिवर्तन – ग्लेशियर पिघलने और अनियमित वर्षा से नदियों का प्रवाह अस्थिर हो रहा है।
-अवैध खनन और अतिक्रमण – रेत खनन और अतिक्रमण से नदियों की धारा और जलग्रहण क्षेत्र प्रभावित हो रहे हैं।
-अत्यधिक दोहन – नदियों के पानी का अत्यधिक दोहन उनकी प्राकृतिक क्षमता को खत्म कर रहा है।
भारत में नदियों की स्थिति
भारत को ‘नदियों का देश’ कहा जाता है। गंगा, ब्रह्मपुत्र, यमुना, गोदावरी, नर्मदा और कावेरी जैसी नदियाँ यहाँ जीवन का आधार हैं। लेकिन गंगा और यमुना जैसी नदियाँ दुनिया की सबसे प्रदूषित नदियों में गिनी जाती हैं। सरकार और समाज दोनों स्तर पर नदियों को बचाने के लिए कई योजनाएँ चलाई गईं जैसे –
-नमामि गंगे अभियान
-यमुना शुद्धिकरण परियोजना
-नर्मदा बचाओ आंदोलन
इन प्रयासों ने कुछ हद तक सुधार किया है, लेकिन अभी लंबा सफर तय करना बाकी है।
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नदियों के संरक्षण के उपाय
-औद्योगिक कचरे का प्रबंधन – कारखानों से निकलने वाले अपशिष्ट को बिना शुद्ध किए नदियों में न डालें।
-प्लास्टिक पर रोक – नदियों के किनारों पर प्लास्टिक का उपयोग बंद होना चाहिए।
-जनभागीदारी – हर व्यक्ति को नदियों की सफाई और संरक्षण में योगदान देना चाहिए।
-वृक्षारोपण – नदियों के किनारे वृक्ष लगाने से मिट्टी का कटाव रुकता है और जलस्तर सुरक्षित रहता है।
-सतत जल उपयोग – पानी का उपयोग संयमित और योजनाबद्ध होना चाहिए।
-शिक्षा और जागरूकता – स्कूल, कॉलेज और मीडिया के माध्यम से लोगों को नदियों के महत्व और उनकी सुरक्षा के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए।
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नदियाँ और भविष्य
नदियों के बिना जीवन असंभव है। यदि हम आज नदियों को बचाने के प्रयास नहीं करेंगे तो आने वाली पीढ़ियों को पानी के लिए संघर्ष करना पड़ेगा। विश्व नदियाँ दिवस हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि हम अपनी जीवनदायिनी नदियों को कैसे बचा सकते हैं। यह दिन केवल जागरूकता का नहीं बल्कि व्यवहार में बदलाव का संदेश देता है। विश्व नदियाँ दिवस हमें यह याद दिलाता है कि नदियाँ केवल प्राकृतिक संसाधन नहीं बल्कि हमारी धरोहर हैं। नदियों को प्रदूषण और दोहन से बचाना हम सबकी जिम्मेदारी है। यदि हम सब मिलकर प्रयास करें तो नदियों को पुनर्जीवित किया जा सकता है। आखिरकार, नदियाँ बहेंगी तो जीवन बहेगा।
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