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World Milk Day: दूध उत्पादन में विश्व भर में भारत अग्रिम, जानें कौन देश है दूसरे नंबर पर

पिछले तीन दशक में प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता ढाई गुना हुई है। शहरीकरण और लोगों की आय बढ़ने के कारण दूध से बने उत्पादों की खपत तेजी से बढ़ रही है। देश की जीडीपी में कृषि क्षेत्र का योगदान 15-16 प्रतिशत है और इसमें 6 प्रतिशत योगदान मवेशी सेक्टर करता है। भारत का डेरी मार्केट 15 वर्षों से हर साल करीब 15% बढ़ रहा है।

World Milk Day: एक दशक में दूध का उत्पादन करीब 57% बढ़ा, जानिए विश्व में दूध की औसत खपत


World Milk Day: आपको बता दें कि बीते पांच दशक में भारत में दूध उत्पादन पांच गुना से ज्यादा बढ़ा है। वर्ष 1970 में शुरू हुए ऑपरेशन फ्लड से पहले 1968 में यहां 2.12 करोड़ टन दूध का उत्पादन हुआ था, जो अब 23.06 करोड़ टन तक पहुंच गया है। आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक है और एक-चौथाई दूध का उत्पादन करता है। दुधारू पशुओं की संख्या भी यहां सबसे अधिक है। पिछले तीन दशक में प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता ढाई गुना हुई है। शहरीकरण और लोगों की आय बढ़ने के कारण दूध से बने उत्पादों की खपत तेजी से बढ़ रही है। देश की जीडीपी में कृषि क्षेत्र का योगदान 15-16 प्रतिशत है और इसमें 6 प्रतिशत योगदान मवेशी सेक्टर करता है। भारत का डेरी मार्केट 15 वर्षों से हर साल करीब 15% बढ़ रहा है। वर्ष 2027 तक इसके 31 लाख करोड़ रुपये का हो जाने का अनुमान है।

विश्व दूध दिवस आज

आज विश्व दूध दिवस (1 जून) के अवसर पर हम आपको बता रहे हैं कि भारत कैसे दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक बना, आगे की चुनौतियां और उनका समाधान क्या है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) ने 2001 में विश्व दूध दिवस की शुरुआत की थी। इस वर्ष विश्व दूध दिवस की थीम ‘विश्व को पोषण उपलब्ध कराने में डेरी का महत्व’ है।

एक दशक में दूध का उत्पादन करीब 57% बढ़ा

पिछले नौ वर्षों में देश में दूध का उत्पादन लगभग 57 प्रतिशत से भी अधिक बढ़ा है। इसी का परिणाम है कि प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 2022-23 में 459 ग्राम प्रतिदिन हो गई है। यह नौ वर्ष पूर्व सिर्फ 303 ग्राम प्रति व्यक्ति प्रतिदिन थी। दूध की उपलब्धता बढ़ने से भारतीयों के खान-पान के तरीके में भी बदलाव आने लगे है।

किस प्रकार प्राप्त की गई यह उपलब्धि?

पिछले एक दशक के दौरान दूध के उत्पादन एवं उत्पादकता में स्वतंत्रता के बाद से सर्वाधिक वृद्धि हुई है।
यह मुख्यतः देशी गायों के संवर्धन के लिए लगभग एक दशक से किए जा रहे प्रयासों का परिणाम है।
दूध की खपत में भी तेजी से बढ़ते हुए भारत ने दुनिया की औसत खपत की मात्रा को काफी पीछे छोड़ दिया है।

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विश्व में दूध की औसत खपत

दूध एवं उसके अन्य उत्पादों की खपत में तेजी से वृद्धि देखी जा रही है। वर्तमान में भारत में प्रत्येक व्यक्ति विश्व में दूध की औसत खपत से 65 ग्राम अधिक दूध पीने लगा है।

विश्व में दूध की औसत खपत वर्तमान में मात्र 394 ग्राम प्रति व्यक्ति है। दूध के मामले में ऐसी संपन्नता का रास्ता राष्ट्रीय गोकुल मिशन के कारण खुल सका है।

राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना की शुरुआत दिसंबर 2014 में हुई थी। इसका उद्देश्य वैज्ञानिक तरीके से देशी गौ-जातीय नस्लों का विकास और संरक्षण करना था।

राज्यों में गायों और भैंसों की परंपरागत प्रजनन तरीके से अलग किसानों के लिए कई आधुनिकतम सुविधाओं को उपलब्ध कराना रहा है। इसके तहत मुख्यतः कृत्रिम गर्भाधान सेवाएं, उपलब्ध कराना, आईवीएफ तकनीक, लिंग सॉर्टेड सीमेन उपरोक्त के जरिए देशी नस्ल के प्रजनन में गुणवत्ता लाने पर विशेष ध्यान दिया गया।

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