World Keratoconus Day: विश्व केराटोकॉनस दिवस 2025, आँखों की अनदेखी बीमारी को जानें और बचाव करें
World Keratoconus Day, हर साल 10 नवंबर को पूरी दुनिया में विश्व केराटोकॉनस दिवस (World Keratoconus Day) मनाया जाता है।
World Keratoconus Day : केराटोकॉनस क्या है? जानें इस दुर्लभ नेत्र रोग के लक्षण और उपचार
World Keratoconus Day, हर साल 10 नवंबर को पूरी दुनिया में विश्व केराटोकॉनस दिवस (World Keratoconus Day) मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य लोगों में केराटोकॉनस (Keratoconus) नामक आँखों की बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाना है। यह एक ऐसी नेत्र रोग स्थिति है जिसमें कॉर्निया (आँख की सामने की परत) धीरे-धीरे पतली और शंकु (cone) के आकार की हो जाती है, जिससे दृष्टि धुंधली या विकृत दिखाई देने लगती है।
केराटोकॉनस क्या है?
केराटोकॉनस एक कॉर्नियल विकार (Corneal Disorder) है, जो आमतौर पर युवावस्था में शुरू होता है। सामान्य रूप से, कॉर्निया एक गोल और चिकनी संरचना होती है जो प्रकाश को आँख के अंदर सही दिशा में केंद्रित करती है। लेकिन केराटोकॉनस में यह परत पतली होकर धीरे-धीरे बाहर की ओर उभर जाती है, जिससे प्रकाश का फोकस बिगड़ जाता है और व्यक्ति को धुंधला, विकृत या दोहरा दिखाई देना शुरू हो जाता है। यह समस्या अक्सर 16 से 30 वर्ष की आयु के बीच शुरू होती है और समय के साथ गंभीर रूप ले सकती है यदि इसका इलाज समय पर न किया जाए।
विश्व केराटोकॉनस दिवस का उद्देश्य
इस दिवस का प्रमुख उद्देश्य है —
- लोगों को केराटोकॉनस जैसी दुर्लभ नेत्र रोग के बारे में जागरूक करना,
- प्रारंभिक लक्षणों की पहचान के लिए प्रेरित करना,
- और रोगियों को समय पर सही उपचार प्राप्त करने के लिए मार्गदर्शन देना।
World Keratoconus Day की शुरुआत Eye Bank Association of America (EBAA) और National Keratoconus Foundation (NKCF) जैसी संस्थाओं द्वारा की गई थी। इसका लक्ष्य समाज को यह समझाना है कि “साफ़ दिखना हर व्यक्ति का अधिकार है, और आँखों की छोटी-सी अनदेखी भी बड़ी समस्या में बदल सकती है।”
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केराटोकॉनस के कारण
केराटोकॉनस के सटीक कारण अभी पूरी तरह स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन विशेषज्ञ कुछ प्रमुख कारणों का उल्लेख करते हैं —
- आनुवांशिक कारण (Genetic Factors): यदि परिवार में किसी को यह समस्या रही हो, तो इसकी संभावना बढ़ जाती है।
- ऑक्सीडेटिव तनाव (Oxidative Stress): आँखों की कोशिकाओं में असंतुलन होने से कॉर्निया कमजोर पड़ने लगता है।
- अत्यधिक आँख रगड़ना (Frequent Eye Rubbing): बार-बार आँखें रगड़ने से कॉर्निया की बनावट प्रभावित होती है।
- एलर्जी या अस्थमा: जिन लोगों को एलर्जी या अस्थमा जैसी समस्याएँ होती हैं, उनमें यह रोग अधिक देखने को मिलता है।
- हार्मोनल बदलाव: किशोरावस्था या युवावस्था में हार्मोनल परिवर्तन भी इसका कारण बन सकते हैं।
केराटोकॉनस के लक्षण
शुरुआत में इसके लक्षण बहुत हल्के हो सकते हैं, लेकिन धीरे-धीरे ये बढ़ते जाते हैं। प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं —
- दृष्टि का धीरे-धीरे धुंधला होना
- चश्मे का नंबर बार-बार बदलना
- प्रकाश या चमक के चारों ओर छल्ले दिखना
- रात्रि में देखने में कठिनाई
- वस्तुओं का दोहरा या विकृत दिखना
- सिरदर्द और आँखों में जलन
यदि ऐसे लक्षण महसूस हों, तो नेत्र विशेषज्ञ से तुरंत जांच करवाना जरूरी है, क्योंकि प्रारंभिक चरण में पहचान से रोग को नियंत्रित किया जा सकता है।
केराटोकॉनस की पहचान और जांच
केराटोकॉनस का निदान विशेष नेत्र जांचों द्वारा किया जाता है, जैसे —
- कॉर्नियल टोपोग्राफी (Corneal Topography): इससे कॉर्निया की आकृति का नक्शा तैयार किया जाता है।
- स्लिट लैम्प जांच (Slit Lamp Examination): यह कॉर्निया की मोटाई और पारदर्शिता की स्थिति दिखाती है।
- पचिमेट्री (Pachymetry): कॉर्निया की मोटाई मापने की जांच।
ये परीक्षण डॉक्टर को यह समझने में मदद करते हैं कि रोग किस चरण में है और कौन-सा उपचार उपयुक्त रहेगा।
केराटोकॉनस का इलाज
केराटोकॉनस का इलाज उसके चरण पर निर्भर करता है।
- प्रारंभिक अवस्था:
- चश्मा या कॉन्टैक्ट लेंस: हल्के मामलों में चश्मा या विशेष “रिजिड गैस पर्मिएबल लेंस” से दृष्टि सुधारी जा सकती है।
- मध्यम अवस्था:
- कॉर्नियल क्रॉस-लिंकिंग (Corneal Cross-Linking): यह प्रक्रिया कॉर्निया की ऊतकों को मजबूत बनाती है और रोग की प्रगति को रोकती है।
- गंभीर अवस्था:
- कॉर्नियल ट्रांसप्लांट (Corneal Transplant): यदि कॉर्निया बहुत पतली हो जाती है या लेंस से भी दृष्टि ठीक नहीं होती, तो प्रत्यारोपण आवश्यक होता है।
केराटोकॉनस के साथ जीवन
केराटोकॉनस कोई असाध्य बीमारी नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी स्थिति है जिसे सावधानी, नियमित जांच और उचित इलाज से नियंत्रित किया जा सकता है। रोगियों को चाहिए कि वे —
- नियमित रूप से नेत्र विशेषज्ञ से जांच करवाएं,
- आँखें बार-बार न रगड़ें,
- धूल या धूप से बचने के लिए चश्मा पहनें,
- और आँखों में किसी भी बदलाव को अनदेखा न करें।
जागरूकता ही बचाव है
विश्व केराटोकॉनस दिवस हमें यह याद दिलाता है कि हमारी आँखें सबसे कीमती हैं। अक्सर लोग इस बीमारी को “साधारण दृष्टि दोष” समझकर अनदेखा कर देते हैं, जिससे स्थिति बिगड़ जाती है।
इसलिए जरूरी है कि
- स्कूलों, कॉलेजों और हेल्थ कैंप्स में नियमित नेत्र जांच की जाए।
- सोशल मीडिया और न्यूज़ प्लेटफॉर्म्स पर लोगों को जागरूक किया जाए।
- हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स मरीजों को समय पर सही जानकारी दें।
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