Tulsi Vivah 2022 : तुलसी कन्यादान करने से होती है पुण्य की प्राप्ती, इन पूजा विधि से करें मां तुलसी को प्रसन्न
Tulsi Vivah 2022 : तुलसी विवाह करने से आती है घर में खुशियां, नज़रअंदाज़ न करें ये चीजें
Highlights –
. हिंदू धर्म में प्रकृति की पूजा का बहुत महत्व है।
. साल में कई ऐसे त्यौहार होते हैं जिसमें पेड़ – पौधे, सूर्य – चंद्रमा और भी प्रकृति के कई हिस्से हैं जिनकी पूजा की जाती है।
. 5 नवंबर 2022 को देशभर में तुलसी विवाह मनाया जाएगा।
. यह त्योहार हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है।
हिंदू धर्म में प्रकृति की पूजा का बहुत महत्व है। साल में कई ऐसे त्यौहार होते हैं जिसमें पेड़ – पौधे, सूर्य – चंद्रमा और भी प्रकृति के कई हिस्से हैं जिनकी पूजा की जाती है। इन्हीं त्योहारों में से एक है तुलसी विवाह। तुलसी का पौधा ज्यादातर हिंदू घरों में मिल जाता है। ये त्योहार हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है।
इससे पहले पड़ने वाली एकादशी को प्रबोधिनी एकादशी या देवउठनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन तुलसी का विवाह कराया जाता है। देश के कुछ स्थानों पर ये त्योहार पांच दिनों तक मनाया जाता है, कार्तिक की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि से आरंभ होकर पूर्णिमा को समाप्त हो जाता है।
तुलसी विवाह में महिलाएं मां तुलसी की पूजा करती हैं और अपने परिवार की सलामती की दुआ मांगती हैं। तुलसी के पौधे को मां लक्ष्मी का अवतार माना जाता है, जिन्होंने पृथ्वी पर वृंदा के रूप में जन्म लिया था। सुहागिन महिलाओं के साथ-साथ अविवाहित लड़कियां भी अच्छे वर की कामना से इस पूजा को करती हैं।
कहा जाता है कि देवउठनी एकादशी से पहले तक भगवान विष्णु चिर निद्रा में सोए हुए होते हैं और देवउठनी एकादशी के दिन 4 महीने की लंबी नींद पूरी करके जागते हैं। उनके जागते ही सभी शुभ-मुहूर्त भी जागृत हो जाते हैं। इसके दूसरे दिन भगवान विष्णु के दूसरे स्वरूप श्री शालिग्राम और मां तुलसी का विवाह किया जाता है उनके विवाह के साथ ही अन्य सभी मांगलिक कार्यों का शुभारंभ हो जाता है।
आइए जानते हैं इस साल के तुलसी विवाह की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।
तुलसी विवाह 2022 तिथि – शनिवार, 5 नवंबर 2022
कार्तिक द्वादशी तिथि का आरंभ – 8 नवंबर 2022, शनिवार, सायं 6 बजकर 8 मिनट
द्वादशी तिथि समापन – 6 नवंबर 2022, रविवार, शाम 5 बजकर 6 मिनट तक
तुलसी विवाह पारण मूहुर्त – 6 नवंबर, रविवार, दोपहर 1 बजकर 9 मिनट से 3 बजकर 18 मिनट
Good evening from Dev Bhoomi. Sending you all Divine vibes. Tulsi vivaah sampann hua. Only one thought, wishing all the best for you all. Aap sab khush rahein. Har har Mahadev 🙏🙏 pic.twitter.com/dvaigxJsLO
— Filmmaker Maneesh (@TheManeeshShow) November 15, 2021
तुलसी विवाह का महत्व –
कहा जाता है कि इस दिन पूरी श्रद्धा भाव से भगवान शालिग्राम और मां तुलसी की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाओं पूर्ण होती हैं। साथ ही उनके वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि और शांति भी आती है। इसके अलावा, पति-पत्नी के बीच पैदा हो रही समस्याओं का भी निवारण होता है।
तुलसी विवाह की पूजा विधि
इस दिन परिवार के सभी सदस्य सुबह – सवेरे स्नान करके तुलसी के पौधे के पास एकत्रित हों। अधिकतर घरों में तुलसी का पौधा आँगन मे रखा जाता है।अब एक अन्य चौकी पर शालिग्राम रखें। आप चौकी पर साथ में अष्टदल कमल बना सकते हैं। इसके ऊपर कलश स्थापित करें। इसमें जस भरें और उसमें गंगाजल मिलाएं। कलश पर स्वास्तिक बनाएं। गेरू लगे तुलसी के गमले को शालिग्राम की चौकी के दाईं ओर स्थापित करें। अब धूप – दीप और अगरबत्ती जलाएं। ऊं तुलसाय नम: मंत्र का जाप करें। तुलसी को सोलह श्रृंगार करना ना भूलें।
तुलसी के विवाह के लिए गन्ने से विवाह मंडप बनाएं और मंडप को चुनरी से चढ़ाएं। अब शालिग्राम को चौकी समेत हाथ में लेकर तुलसी की सात परिक्रमा कराएं। तुलसी के शालिग्राम के बाईं ओर स्थापित करें। आरती उतारें इसके बाद विवाह संपन्न होने की घोषणा कर प्रसाद का वितरण करें।
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