चीज़े जो आप खुद के साथ कभी ना करे
जानिए खुद के साथ कभी ना करे
ऐसी चीज़ें करना जिनके लिए हम तैयार ना हो या जो हमे पसंद ना हो, उसके लिए हमारी ज़िन्दगी बहुत छोटी है। हम ना जाने जितनी ही कोशिश क्यों ना कर ले लोगो को हम से कुछ न कुछ शिकायत रहती है। अब शिकायते अगर सुननी ही है तो क्यों न कुछ ऐसा कर के सुने जिससे हम खुद छोटा न महसूस करे। दुसरो के लिए और उनके हिसाब से जीना उतना बेमतलब है जितना दीवारों से बात करना। एक डसुखी ज़िन्दगी जीने के लिए आपको समाज से अलग चलना पड़ता है। ऐसा नहीं है कि वो रास्ता बहुत आसान है। पर अगर आप उनके साथ चलेंगे तो वो आपको कुचल के आगे बढ़ते रहेंगे। खुद को थोड़ा सम्मान दे और खुद के साथ कभी कुछ ऐसा न करे जिससे आपका अस्तित्व ही ना रहे।
हमेशा याद रखे और खुद के साथ कभी ना करें
खुद को दोषी मानना
गलतियां इंसान से ही होती है। अगर आप खुद को हर गलती के लिए दोषी मानते रहेंगे तो ये एहसास आपको अंदर ही अंदर खा जाएगा। आगे बढ़ना तो छोडो आप पीछे भी नहीं आ पाएँगे।
ज़्यादा सोचना
ज्यादा सोचने पर आप खुद को और अपने दिमाग को बस परेशान करते हैं। हम एक ही स्थिति में अटके रह जाते हैं। उससे आगे बढ़ना या निकलना हमारे लिए बहुत मुश्किल हो जाता है और किसी भी परिस्थिति के बारे में ज्यादा सोचने से सिर्फ हानि होती है और कुछ नहीं।
नए अवसरों से ना डरे
सभी नए अवसर और सभी नई चुनौतियां आपको एक बेहतर इंसान बनाते है। इनसे डर कर इन्हें नज़रअंदाज़ करना सबसे ख़राब बात होती है। अच्छे अवसर हर किसी को नहीं मिलते। खुद को भाग्यशाली समझे और इनका प्रयोग सही ढंग से करे।
दुसरो के लिए जीना
ये जिंदगी आपकी है। इसको दूसरे के हाथ में ना दे। अगर जीना ही है तो अपने लिए जिए और अपने लिए कुछ हासिल करे। खुद के अस्तित्व और ख़ुशी के लिए जिए।
खुद के सपनो को त्यागना
ये हमारे साथ अक्सर होता है। परिवार की नामंजूरी के कारण ही हमे हमारे सपनो को त्यागना पड़ता है। हमे उनकी मर्ज़ी के अनुसार चलना पड़ता है। इसमें हम खुद को नज़रअंदाज़ करते है और अपने इच्छा और सपनो को दूसरों के लिए त्याग देते है।
अपनी शर्तों पर ज़िन्दगी जिए।
जवाबदेही आपने हमेशा खुद को देनी है। दूसरे तो सिर्फ हमारे पर ऊँगली उठाने के लिए होते है। इसलिए ये चीज़े खुद के साथ कभी ना करे। खुश रहे और ज़िन्दगी अपनी शर्तों और ज़रूरतों के अनुसार जिए।