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Relationship: क्यों होते हैं पुरुष रिश्तों में अधिक हिंसक? जानिए प्रमुख कारण

Relationship: रिश्तों में हिंसा एक गंभीर और जटिल समस्या है, जो विभिन्न समाजों में विभिन्न रूपों में प्रकट होती है। यह सवाल कि अक्सर पुरुष ही क्यों हिंसक होते हैं, इसके पीछे कई मनोवैज्ञानिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और जैविक कारण हो सकते हैं।

Relationship : क्यों पुरुष अक्सर रिश्तों में हिंसा का सहारा लेते हैं?


रिश्तों में हिंसा एक गंभीर और जटिल समस्या है, जो विभिन्न समाजों में विभिन्न रूपों में प्रकट होती है। यह सवाल कि अक्सर पुरुष ही क्यों हिंसक होते हैं, इसके पीछे कई मनोवैज्ञानिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और जैविक कारण हो सकते हैं।रिश्तों में पुरुषों की हिंसा एक जटिल समस्या है, जिसके कई कारण हो सकते हैं। सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव, मनोवैज्ञानिक कारक, जैविक और Hormonal कारक, पारिवारिक प्रभाव, नियंत्रण की भावना और नशे का प्रभाव सभी इस समस्या में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसे समझने और इस पर काबू पाने के लिए समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। हमें एक समाज के रूप में इस समस्या को पहचानने, इसके कारणों को समझने और प्रभावी समाधान खोजने की दिशा में काम करना चाहिए।

Relationship : क्यों पुरुष अक्सर रिश्तों में हिंसा का सहारा लेते हैं?

सांस्कृतिक और सामाजिक प्रभाव

रिश्तों में पुरुषों की हिंसा का एक प्रमुख कारण सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव है। पारंपरिक समाजों में, पुरुषों को अक्सर एक प्रभुत्वशाली और शक्तिशाली भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इस भूमिका के साथ, वे भावनाओं को प्रकट करने के बजाय आक्रामकता और हिंसा का सहारा लेते हैं। समाज में यह धारणा होती है कि पुरुषों को मजबूत और नियंत्रक होना चाहिए, जिससे वे अपनी भावनाओं को सही ढंग से प्रकट नहीं कर पाते और आक्रामक हो जाते हैं।

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इसके अलावा, कई समाजों में पुरुषों को हिंसा और आक्रामकता के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। खेल, मीडिया और फिल्मों में पुरुषों को अक्सर हिंसक और आक्रामक भूमिकाओं में दिखाया जाता है, जिससे उनके मन में यह धारणा बनती है कि हिंसा एक सामान्य और स्वीकार्य व्यवहार है। इस प्रकार के सामाजिक प्रभाव पुरुषों में हिंसक प्रवृत्तियों को बढ़ावा देते हैं।

 मनोवैज्ञानिक कारक

मनोवैज्ञानिक कारक भी रिश्तों में पुरुषों की हिंसा का एक महत्वपूर्ण कारण हो सकते हैं। बचपन में अनुभव की गई हिंसा, तनाव, अवसाद और अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं पुरुषों में आक्रामकता को बढ़ा सकती हैं। बचपन में यदि किसी व्यक्ति ने घरेलू हिंसा का अनुभव किया हो, तो यह संभव है कि वे बड़े होकर वही व्यवहार दोहराएं। इसके अलावा, मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं जैसे अवसाद, चिंता और अन्य मनोवैज्ञानिक विकार भी हिंसक व्यवहार को प्रोत्साहित कर सकते हैं। आत्म-सम्मान की कमी भी पुरुषों को हिंसक बना सकती है। जब पुरुष अपनी आत्म-सम्मान को कम महसूस करते हैं या किसी प्रकार की असुरक्षा का अनुभव करते हैं, तो वे इसे छुपाने के लिए हिंसा का सहारा ले सकते हैं। यह उन्हें अपने साथी पर नियंत्रण महसूस करने और अपनी स्थिति को मजबूत करने में मदद करता है।

जैविक और हार्मोनल कारक

जैविक और हार्मोनल कारक भी पुरुषों में हिंसक ट्रेंड्स को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। पुरुष हार्मोन टेस्टोस्टेरोन का उच्च स्तर अग्रेशन और हिंसा के साथ जोड़ा गया है। हालांकि, यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सभी पुरुषों में उच्च टेस्टोस्टेरोन स्तर हिंसा का कारण नहीं बनता। यह केवल एक संभावित कारक है जो अन्य साइकोलोजिस्ट और सामाजिक कारकों के साथ मिलकर हिंसक व्यवहार को प्रभावित कर सकता है।

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पारिवारिक प्रभाव

परिवार भी पुरुषों की हिंसक ट्रेंड्स को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यदि किसी व्यक्ति ने अपने बचपन में पारिवारिक हिंसा का अनुभव किया है, तो यह संभव है कि वे बड़े होकर वही व्यवहार दोहराएं। इसके अलावा, पारिवारिक संघर्ष, माता-पिता के बीच तनावपूर्ण संबंध और अन्य पारिवारिक समस्याएं भी पुरुषों को हिंसक बना सकती हैं।

रिश्तों में नियंत्रण की भावना

रिश्तों में नियंत्रण की भावना भी एक महत्वपूर्ण कारण हो सकता है, जिसकी वजह से पुरुष हिंसक हो जाते हैं। कई पुरुषों को यह विश्वास होता है कि उन्हें अपने साथी पर नियंत्रण रखना चाहिए। यह नियंत्रण की भावना उन्हें हिंसा और अग्रेशन के रूप में प्रकट हो सकती है। जब उन्हें लगता है कि वे अपने साथी पर नियंत्रण खो रहे हैं, तो वे हिंसा का सहारा ले सकते हैं।

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 नशे का प्रभाव

नशे का प्रभाव भी रिश्तों में हिंसा का एक प्रमुख कारण हो सकता है। शराब और अन्य नारकोटिक्स का सेवन पुरुषों की आक्रामकता और हिंसक ट्रेंड्स को बढ़ा सकता है। नशे की स्थिति में, पुरुष अपनी भावनाओं को कंट्रोल्ड करने में ुनाबले हो सकते हैं, जिससे वे हिंसक हो जाते हैं। नशा शरीर और ब्रेन को नुकसान पहुंचाता है। इससे लीवर, किडनी, दिल और ब्रेन की बीमारियाँ हो सकती हैं। लंबी अवधि तक नशे का सेवन मानसिक समस्याओं जैसे अवसाद और चिंता का कारण बन सकता है। नशे की लत के कारण व्यक्ति की व्यक्तिगत और पेशेवर जिंदगी प्रभावित हो सकती है। परिवार और दोस्तों से रिश्ते बिगड़ सकते हैं, और काम में प्रदर्शन खराब हो सकता है। नशे की लत महंगी होती है। व्यक्ति अपनी बचत और आय का बड़ा हिस्सा नशे पर खर्च कर सकता है, जिससे आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है। नशे के कारण अपराध दर बढ़ सकती है, जैसे चोरी, हिंसा और अन्य अपराध। नशे की लत सामुदायिक संसाधनों पर भी दबाव डालती है, जैसे स्वास्थ्य सेवाएँ और पुलिस व्यवस्था। व्यक्ति की मानसिक स्थिरता को प्रभावित करता है। इससे आत्मसम्मान में कमी, आत्महत्या के विचार और व्यवहार में चेंज हो सकते हैं।

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