अगर चाहते है वैभव और संतान सुख तो नवरात्रि के पांचवें दिन कुछ इस तरह करें माँ स्कंदमाता की पूजा
नवरात्रि के पांचवें दिन होती है माँ स्कंदमाता की पूजा
आज शारदीय नवरात्रि का पांचवां दिन है. नवरात्रि का पांचवां दिन माँ दुर्गा के स्कंदमाता स्वरूप को समर्पित होता है. नवरात्रि के पांचवें दिन माँ स्कंदमाता की पूजा अर्चना की जाती है. माना जाता है कि नवरात्रि के पांचवें दिन अगर कोई व्यक्ति अपने पूरे मन से माँ स्कंदमाता की पूजा करता है. तो उससे वैभव और संतान सुख प्राप्त होता है. इतना ही नहीं हिन्दू मान्यताओं के अनुसार माँ स्कंदमाता सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं और अगर कोई व्यक्ति सच्चे मन और पूरे विधि-विधान से माँ स्कंदमाता की पूजा करता है उसे ज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
जाने कौन है माँ स्कंदमाता
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार माँ स्कंदमाता हिमालय की पुत्री हैं. हिमालय की पुत्री होने के कारण ही माँ स्कंदमाता को पार्वती कहा जाता है. साथ ही महादेव की पत्नी होने के कारण इन्हें माहेश्वरी भी कहते हैं. इतना ही नहीं माँ स्कंदमाता का वर्ण गौर है. जिसके कारण माँ स्कंदमाता जो हमारे देश में देवी गौरी के नाम से भी जाना जाता है. माँ स्कंदमाता कमल के पुष्प पर विराजित अभय मुद्रा में होती हैं. जिसके कारण कुछ लोग उनको पद्मासना देवी और विद्यावाहिनी दुर्गा भी कहते है. माँ स्कंदमाता भगवान स्कंद यानी कार्तिकेय की माता है जिसके कारण उनको माँ स्कंदमाता भी कहते है.
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माँ स्कंदमाता की पूजा
वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा स्कन्दमाता यशस्वनीम्।।
धवलवर्णा विशुध्द चक्रस्थितों पंचम दुर्गा त्रिनेत्रम्।
अभय पद्म युग्म करां दक्षिण उरू पुत्रधराम् भजेम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानांलकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल धारिणीम्॥
प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वांधरा कांत कपोला पीन पयोधराम्।
कमनीया लावण्या चारू त्रिवली नितम्बनीम्॥
जाने कैसे करें माँ स्कंदमाता की पूजा
नवरात्रि के पांचवें दिन माँ स्कंदमाता की पूजा अर्चना की जाती है. इनकी पूजा अर्चना करने के लिए सबसे पहले आपको सुबह उठते ही स्नान करना चाहिए. उसके बाद आपको स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए. उसके बाद घर के मंदिर या पूजा स्थान को अच्छे से साफ़ करें और गंगाजल से घर का शुद्धिकरण करें. उसके बाद आपको एक कलश में पानी भर कर और उसमे कुछ सिक्के डाल कर उसे चौकी पर रखना होगा. उसके बाद आपको पूजा का संकल्प लेना होगा. और मंदिर में धूप-दीपक से मां की आरती करनी होगी. आरती हो जाने के बाद घर के सभी लोगों को प्रसाद बांटें और आप भी ग्रहण करें.
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