Lohri 2026: लोहड़ी 2026 विशेष, इतिहास, परंपराएँ और त्योहार का महत्व
Lohri 2026, भारत विविधताओं का देश है और यहाँ मनाए जाने वाले त्योहारों में एक खास नाम है लोहड़ी। पंजाब, हरियाणा, हिमाचल और उत्तरी भारत के कई हिस्सों में मनाया जाने वाला यह त्योहार खुशियों,
Lohri 2026 : लोहड़ी 2026, पहली लोहड़ी का महत्व और नए जोड़ों के लिए खास जानकारी
Lohri 2026, भारत विविधताओं का देश है और यहाँ मनाए जाने वाले त्योहारों में एक खास नाम है लोहड़ी। पंजाब, हरियाणा, हिमाचल और उत्तरी भारत के कई हिस्सों में मनाया जाने वाला यह त्योहार खुशियों, एकता और नई उम्मीदों का प्रतीक माना जाता है। लोहड़ी नई फसल के आगमन और सर्दियों के खत्म होने का संकेत है। यह त्योहार परिवार, दोस्त और पड़ोसियों को एक साथ लाकर समाज की एकता को मजबूत करता है। लोहड़ी 2026 में यह त्योहार 13 जनवरी 2026, मंगलवार को पूरे उल्लास के साथ मनाया जाएगा। आइए जानते हैं इस त्योहार के इतिहास, पूजा विधि, परंपराओं और इसके महत्व के बारे में विस्तार से।
लोहड़ी कब और क्यों मनाई जाती है?
हर वर्ष लोहड़ी मकर संक्रांति से एक दिन पहले, यानी 13 जनवरी को आती है। यह समय सूर्य के उत्तरायण होने का संकेत देता है, जब दिन लंबे और रातें छोटी होने लगती हैं। किसान समुदाय के लिए यह मौसम बेहद खास होता है क्योंकि रबी की फसल विशेष रूप से गेंहू कटाई के लिए तैयार होने लगती है। लोहड़ी को फसल कटाई के त्योहार के रूप में भी जाना जाता है। यह धरती माता, सूर्य देव और अग्नि देव को धन्यवाद देने का पर्व है कि उन्होंने जीवन देने वाली फसलें प्रदान कीं।
लोहड़ी का पौराणिक और लोक इतिहास
लोहड़ी से कई लोककथाएँ जुड़ी हुई हैं, जिनमें सबसे लोकप्रिय कहानी दुल्ला भट्टी की है। दुल्ला भट्टी पंजाब का एक लोकनायक था, जिसने मुगल शासन के दौरान गरीब लड़कियों को बचाया और उनकी शादी करवाई। कहा जाता है कि लोहड़ी के गीतों में आज भी उसके कारनामों का वर्णन किया जाता है। लोग “दुल्ला भट्टी वाला” गीत गाकर उसकी बहादुरी को याद करते हैं, जो त्योहार को और भी भावनात्मक बनाता है। कुछ लोगों का मानना है कि “लोहड़ी” शब्द ‘लोल’ या ‘लॉय’ से निकला है, जिसका अर्थ लकड़ी या ईंधन होता है जो आग जलाने के लिए प्रयुक्त होता है। वहीं कुछ लोग इसे ‘तिलोड़ी’ का रूप मानते हैं, जिसमें तिल और गुड़ की मिठाई शामिल होती है।
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लोहड़ी के प्रमुख अनुष्ठान और परंपराएँ
1. अलाव (Bonfire) की परंपरा
लोहड़ी की शाम को मोहल्ले या आंगन में लकड़ी, सूखे पत्ते और उपले रखकर अग्नि जलाई जाती है।
इस अलाव की पूजा करते समय लोग आग में—
- तिल
- गुड़
- रेवड़ी
- मक्की के दाने
- मूंगफली
चढ़ाते हैं। माना जाता है कि यह अर्पण आग की तरह सभी बुराइयों को भी जला देता है।
2. लोकगीत और ढोल की थाप
लोहड़ी पर लोकगीतों का विशेष महत्व है। लोग अलाव के चारों ओर नाचते-गाते हैं और ढोल की थाप पर भांगड़ा और गिद्धा करते हैं। यह नृत्य सिर्फ मनोरंजन ही नहीं, बल्कि खुशी और आभार का प्रतीक है।
3. मिठाइयों और पारंपरिक भोजन का आनंद
लोहड़ी के दिन घरों में पारंपरिक पंजाबी भोजन बनाया जाता है—
- सरसों दा साग
- मक्के दी रोटी
- खीर
- तिल-गुड़ की मिठाइयाँ
- रेवड़ी
- पॉपकॉर्न
इन सबका त्योहार में विशेष स्थान होता है।
4. नवविवाहितों और नवजात बच्चों के लिए खास लोहड़ी
लोहड़ी उन परिवारों के लिए भी बेहद खास होती है जिनके घर में—
- हाल ही में शादी हुई हो
- या बच्चा पैदा हुआ हो
ऐसे घरों में “पहली लोहड़ी” धूमधाम से मनाई जाती है। परिवार के सदस्य और रिश्तेदार विशेष उपहार देते हैं, गाते-बजाते हैं और नए जीवन की खुशियों का स्वागत करते हैं।
लोहड़ी 2026 का ज्योतिषीय महत्व
13 जनवरी 2026 को लोहड़ी ऐसे समय पड़ेगी जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करने से ठीक पहले का संक्रांति काल चल रहा होगा। यह स्थिति ऊर्जा, प्रकाश और सकारात्मकता को बढ़ाने वाली मानी जाती है। अग्नि देव को अर्पण करना इस समय शुभ माना जाता है, क्योंकि यह—
- बुरी शक्तियों को दूर
- स्वास्थ्य में सुधार
- और सुख-समृद्धि प्राप्त होने का संकेत देता है।
लोहड़ी का सामाजिक महत्व
आज भी लोहड़ी सिर्फ एक धार्मिक या फसल से जुड़ा त्योहार नहीं है, बल्कि यह सामाजिक एकता का प्रतीक है।
यह लोगों को साथ लाता है, रिश्तों को मजबूत करता है और समाज में भाईचारे को बढ़ावा देता है।
लोहड़ी हमें यह भी सिखाती है कि—
- हमारी खुशियाँ बाँटने से बढ़ती हैं,
- संकटों का सामना सामूहिकता से आसान होता है,
- और प्रकृति का सम्मान करना आवश्यक है।
लोहड़ी और पर्यावरण का संदेश
पिछले कुछ वर्षों में लोहड़ी पर अनावश्यक लकड़ी जलाने से पर्यावरण प्रदूषण की चिंता बढ़ी है।
इसलिए आजकल लोग—
- गोबर के उपले
- बायो-फ्रेंडली सामग्री
- पेड़ लगाने जैसे संकल्प
के साथ लोहड़ी मनाते हैं।
इससे त्योहार की पवित्रता भी बनी रहती है और पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुँचता। लोहड़ी 2026 प्रेम, उत्साह और सकारात्मक ऊर्जा से भरा हुआ त्योहार है। यह सिर्फ आग के चारों ओर नाचने का समारोह नहीं, बल्कि—
- नई उम्मीदों का
- अच्छी फसल की खुशी का
- और सामूहिकता का प्रतीक है।
इस दिन लोग पुराने दुखों को पीछे छोड़कर नई शुरुआत का स्वागत करते हैं। लोहड़ी हमें सिखाती है कि रोशनी और गर्माहट हमेशा अंधकार पर विजय पाती है।
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