International Tea Day: अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस पर जानें, सेहत और एकता का पेय ‘चाय’ क्यों है खास
International Tea Day, हर साल 15 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस (International Tea Day) मनाया जाता है। यह दिन दुनिया के सबसे लोकप्रिय पेय “चाय” को समर्पित है।
International Tea Day : अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस 2025, स्वाद, सुगंध और सेहत का प्रतीक है ‘चाय’
International Tea Day, हर साल 15 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस (International Tea Day) मनाया जाता है। यह दिन दुनिया के सबसे लोकप्रिय पेय “चाय” को समर्पित है। चाय केवल एक पेय नहीं, बल्कि यह संस्कृति, परंपरा और आपसी जुड़ाव का प्रतीक है। भारत जैसे देशों में तो चाय लोगों के दिन की शुरुआत का हिस्सा है “एक कप चाय” के बिना दिन अधूरा लगता है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा इस दिन को मनाने का उद्देश्य चाय उत्पादक किसानों की स्थिति सुधारना, चाय उद्योग को बढ़ावा देना और इसके सामाजिक-आर्थिक महत्व के प्रति जागरूकता फैलाना है।
अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस का इतिहास
चाय दुनिया का सबसे अधिक पिया जाने वाला पेय है, और इसका इतिहास हजारों साल पुराना है। चीन में लगभग 2737 ईसा पूर्व सम्राट शेन नोंग ने पहली बार चाय की खोज की थी। धीरे-धीरे यह पेय एशिया से यूरोप और फिर पूरे विश्व में लोकप्रिय हुआ। अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस मनाने की पहल सबसे पहले 2005 में भारत में हुई थी। उस समय चाय उत्पादक देशों – भारत, श्रीलंका, नेपाल, वियतनाम, इंडोनेशिया, केन्या, मलावी और तंजानिया ने मिलकर 15 दिसंबर को “International Tea Day” घोषित किया। इसका मुख्य उद्देश्य चाय उद्योग में काम करने वाले श्रमिकों और किसानों के अधिकारों की रक्षा करना था। बाद में, संयुक्त राष्ट्र (UN) ने भी 2020 में इस दिन को आधिकारिक मान्यता दी और वैश्विक स्तर पर मनाने की घोषणा की।
अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस मनाने का उद्देश्य
इस दिवस को मनाने के पीछे कई प्रमुख उद्देश्य हैं –
- चाय उत्पादक किसानों की स्थिति में सुधार लाना।
- चाय उत्पादन में सतत विकास (Sustainable Development) को प्रोत्साहित करना।
- चाय उद्योग में काम करने वाले मजदूरों के अधिकारों की रक्षा करना।
- चाय के स्वास्थ्य लाभ और सांस्कृतिक महत्व के बारे में जागरूकता फैलाना।
- पर्यावरण संरक्षण और जैविक खेती (Organic Tea Farming) को बढ़ावा देना।
भारत और चाय का गहरा संबंध
भारत में चाय सिर्फ एक पेय नहीं, बल्कि संस्कृति का हिस्सा है। भारत चाय का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है और यहां की चाय दुनियाभर में प्रसिद्ध है।
भारत के प्रमुख चाय उत्पादन क्षेत्र –
- असम चाय: अपनी गहरी रंगत और तेज़ स्वाद के लिए मशहूर।
- दार्जिलिंग चाय: इसे “चाय की शैंपेन” कहा जाता है, इसका स्वाद हल्का और सुगंध अद्भुत होती है।
- नीलगिरी चाय: दक्षिण भारत की पर्वतीय घाटियों में उगाई जाने वाली सुगंधित चाय।
- कांगड़ा और सिक्किम चाय: इन क्षेत्रों की जैविक चाय अंतरराष्ट्रीय बाजारों में लोकप्रिय है।
भारत में चाय केवल सुबह का पेय नहीं, बल्कि मेहमाननवाजी, बातचीत और रिश्तों को जोड़ने का जरिया भी है। “चलो, एक कप चाय हो जाए!” यह वाक्य भारतीय जीवनशैली का हिस्सा बन चुका है।
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चाय के प्रकार
दुनिया में चाय की कई किस्में हैं, जो स्वाद, पत्तियों और प्रसंस्करण के आधार पर अलग-अलग होती हैं:
- ग्रीन टी (Green Tea): एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर, जो वजन घटाने और हृदय स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।
- ब्लैक टी (Black Tea): सबसे लोकप्रिय चाय, जो ऊर्जा देती है और मानसिक सतर्कता बढ़ाती है।
- व्हाइट टी (White Tea): सबसे हल्की और प्राकृतिक चाय, जो त्वचा और इम्यून सिस्टम के लिए फायदेमंद है।
- ऊलॉन्ग टी (Oolong Tea): चीन की पारंपरिक चाय, जो हृदय रोगों के खतरे को कम करती है।
- हर्बल टी (Herbal Tea): इसमें तुलसी, अदरक, दालचीनी, पुदीना आदि का मिश्रण होता है, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।
चाय के स्वास्थ्य लाभ
चाय केवल स्वाद ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी वरदान है।
- तनाव कम करती है: चाय में मौजूद थीनाइन (Theanine) दिमाग को शांत करता है और मूड बेहतर बनाता है।
- पाचन सुधारती है: अदरक या नींबू वाली चाय पाचन क्रिया को दुरुस्त करती है।
- हृदय के लिए लाभदायक: ग्रीन टी कोलेस्ट्रॉल कम करने में मदद करती है।
- इम्यूनिटी बढ़ाती है: हर्बल चाय में मौजूद जड़ी-बूटियाँ प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत बनाती हैं।
- ऊर्जा प्रदान करती है: ब्लैक टी और दूध वाली चाय सुबह के समय ऊर्जा का अच्छा स्रोत है।
पर्यावरण और चाय उद्योग
चाय उत्पादन जलवायु पर निर्भर करता है। लेकिन आज जलवायु परिवर्तन (Climate Change) और भूमि के अत्यधिक दोहन के कारण चाय की फसलें प्रभावित हो रही हैं।
संयुक्त राष्ट्र का उद्देश्य है कि चाय की खेती सतत (Sustainable) तरीके से की जाए
- जैविक खाद का उपयोग बढ़ाया जाए।
- जल संरक्षण पर ध्यान दिया जाए।
- महिला श्रमिकों और छोटे किसानों को सशक्त बनाया जाए।
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