International Literacy Day: तर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस 2025, शिक्षा ही असली शक्ति
International Literacy Day, हर साल 8 सितंबर को पूरी दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस (International Literacy Day) मनाया जाता है।
International Literacy Day : अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस का महत्व, इतिहास और उद्देश्य
International Literacy Day, हर साल 8 सितंबर को पूरी दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस (International Literacy Day) मनाया जाता है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य लोगों को शिक्षा और साक्षरता के महत्व के प्रति जागरूक करना है। साक्षरता केवल पढ़ने-लिखने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह व्यक्ति को जागरूक, आत्मनिर्भर और सामाजिक रूप से सशक्त बनाने की कुंजी है।
अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस का इतिहास
अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस की शुरुआत वर्ष 1966 में यूनेस्को (UNESCO) द्वारा की गई थी। इसका पहला आयोजन 1967 में हुआ। उस समय विश्व के कई हिस्सों में शिक्षा का स्तर बेहद निम्न था और करोड़ों लोग निरक्षर थे। यूनेस्को ने शिक्षा को मूल अधिकार मानते हुए यह दिन घोषित किया ताकि लोगों को साक्षरता की दिशा में प्रेरित किया जा सके। तब से लेकर आज तक यह दिवस पूरी दुनिया में बड़े महत्व के साथ मनाया जाता है।
साक्षरता का महत्व
साक्षरता केवल अक्षर ज्ञान नहीं है, बल्कि यह जीवन को दिशा देने का माध्यम है। एक साक्षर व्यक्ति अपनी व्यक्तिगत और सामाजिक जिम्मेदारियों को बेहतर ढंग से निभा सकता है। पढ़ना-लिखना आने से व्यक्ति आत्मनिर्भर बनता है और रोजगार के अवसर बढ़ते हैं। साक्षर समाज आपसी सहयोग, जागरूकता और समानता की ओर बढ़ता है। शिक्षा और साक्षरता किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाती है। साक्षर लोग अपने स्वास्थ्य, परिवार और समाज के प्रति ज्यादा सचेत रहते हैं।
भारत में साक्षरता की स्थिति
भारत एक विकासशील देश है, जहां पिछले कुछ दशकों में साक्षरता दर में काफी सुधार हुआ है। स्वतंत्रता के समय 1947 में भारत की साक्षरता दर केवल 12% थी, जबकि 2011 की जनगणना के अनुसार यह 74% तक पहुंच गई। हालांकि, अब भी कई ग्रामीण क्षेत्रों, विशेषकर महिलाओं और पिछड़े वर्गों में साक्षरता की कमी देखी जाती है। सरकार और गैर-सरकारी संगठन (NGOs) मिलकर इस दिशा में काम कर रहे हैं।
यूनेस्को और वैश्विक प्रयास
यूनेस्को हर साल साक्षरता दिवस पर अलग-अलग थीम (Theme) तय करता है, ताकि शिक्षा को आधुनिक जरूरतों के साथ जोड़ा जा सके। डिजिटल शिक्षा, महिलाओं की शिक्षा, युवा सशक्तिकरण और पर्यावरणीय जागरूकता जैसे मुद्दों को भी इसमें शामिल किया जाता है। इसके अलावा, “यूनेस्को साक्षरता पुरस्कार” (UNESCO Literacy Prize) भी दिए जाते हैं, ताकि उन संगठनों और व्यक्तियों को सम्मानित किया जा सके जिन्होंने साक्षरता बढ़ाने में अहम योगदान दिया है।
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आधुनिक युग में साक्षरता की नई परिभाषा
आज के समय में साक्षरता का अर्थ केवल किताब पढ़ना या लिखना जानना नहीं है। तकनीकी युग में डिजिटल साक्षरता (Digital Literacy) भी उतनी ही जरूरी है। इंटरनेट, कंप्यूटर और मोबाइल का सही उपयोग सीखना भी आधुनिक शिक्षा का अहम हिस्सा है। इसके बिना आज के जमाने में रोजगार पाना या विकास करना मुश्किल है।
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चुनौतियाँ
भले ही दुनिया साक्षरता की ओर बढ़ रही हो, लेकिन अब भी कई चुनौतियाँ सामने हैं:
- ग्रामीण और दूर-दराज़ के इलाकों में शिक्षा की कमी
- गरीबी और सामाजिक असमानता
- बाल मजदूरी और बाल विवाह जैसी समस्याएँ
- महिलाओं की शिक्षा में बाधाएँ
- आधुनिक तकनीक तक सभी की पहुंच न होना
समाधान और आगे की राह
इन चुनौतियों को दूर करने के लिए सरकार, समाज और हर नागरिक को मिलकर प्रयास करना होगा। शिक्षा को सभी के लिए सुलभ बनाना जरूरी है। गरीब बच्चों के लिए मुफ्त और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की व्यवस्था होनी चाहिए। बाल मजदूरी को रोकना और लड़कियों को स्कूल भेजने के लिए प्रोत्साहित करना जरूरी है। डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देकर हर वर्ग को आधुनिक ज्ञान से जोड़ा जाए। अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस हमें याद दिलाता है कि शिक्षा ही असली शक्ति है। बिना साक्षरता के किसी भी देश का विकास अधूरा है। हर व्यक्ति को यह जिम्मेदारी उठानी होगी कि वह न केवल खुद साक्षर बने, बल्कि दूसरों को भी पढ़ने-लिखने के लिए प्रेरित करे। तभी एक शिक्षित, प्रगतिशील और सशक्त समाज का निर्माण संभव होगा।
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