Geographic Information Systems Day: भौगोलिक सूचना प्रणाली दिवस 2025, तकनीक जो बताती है पृथ्वी की सच्ची तस्वीर
Geographic Information Systems Day, हर साल नवंबर के तीसरे बुधवार को भौगोलिक सूचना प्रणाली दिवस (Geographic Information Systems Day) मनाया जाता है।
Geographic Information Systems Day : GIS क्या है? जानें भौगोलिक सूचना प्रणाली दिवस का इतिहास, महत्व और उपयोग
Geographic Information Systems Day, हर साल नवंबर के तीसरे बुधवार को भौगोलिक सूचना प्रणाली दिवस (Geographic Information Systems Day) मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य लोगों को GIS तकनीक के महत्व और उसके उपयोग के बारे में जागरूक करना है। यह तकनीक आज न केवल नक्शों और स्थानों को समझने में मदद करती है, बल्कि पर्यावरण, शहरी विकास, आपदा प्रबंधन और प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा में भी अहम भूमिका निभा रही है।
GIS दिवस कब मनाया जाता है?
GIS Day 2025 इस साल 19 नवंबर 2025 (बुधवार) को मनाया जाएगा। इस दिन को दुनिया भर में शैक्षणिक संस्थान, सरकारी संगठन, पर्यावरण विशेषज्ञ और तकनीकी कंपनियाँ मनाती हैं। यह दिन भौगोलिक डेटा (Geographic Data) के सही उपयोग और इसके सामाजिक लाभों पर ध्यान केंद्रित करता है।
GIS क्या है? (What is GIS in Hindi)
GIS (Geographic Information System) एक ऐसी तकनीक है जो स्थानिक डेटा (Spatial Data) को संग्रहित, विश्लेषित और प्रस्तुत करने का कार्य करती है। यह किसी स्थान से संबंधित जानकारी जैसे भूमि, जल, जलवायु, सड़कें, जनसंख्या या प्राकृतिक संसाधन को डिजिटल रूप में एकीकृत करती है। सरल शब्दों में कहें तो GIS एक ऐसी प्रणाली है जो “डेटा को नक्शे से जोड़ती है” ताकि निर्णय लेने में आसानी हो।
GIS का इतिहास (History of GIS)
GIS का विकास 1960 के दशक में कनाडा के भूगोलविद डॉ. रोजर टॉमलिनसन (Dr. Roger Tomlinson) ने किया था, जिन्हें “Father of GIS” कहा जाता है। उन्होंने 1963 में Canada Geographic Information System (CGIS) तैयार किया, जो भूमि उपयोग और पर्यावरण से संबंधित डेटा को संगठित करने का पहला प्रयास था। बाद में यह तकनीक अमेरिका, यूरोप और एशिया तक फैल गई और अब यह आधुनिक डिजिटल मैपिंग और डेटा एनालिटिक्स की रीढ़ बन चुकी है।
GIS का महत्व (Importance of GIS)
GIS का उपयोग आज लगभग हर क्षेत्र में किया जा रहा है।
इसकी मदद से जटिल भौगोलिक समस्याओं को समझना और उनके समाधान निकालना आसान हो गया है।
मुख्य उपयोग क्षेत्र इस प्रकार हैं:
- पर्यावरण संरक्षण: प्रदूषण, वनों की कटाई और जलवायु परिवर्तन की निगरानी के लिए।
- आपदा प्रबंधन: भूकंप, बाढ़ या चक्रवात जैसे खतरों की भविष्यवाणी और राहत कार्यों के लिए।
- शहरी विकास: सड़कों, भवनों और ट्रैफिक प्लानिंग में सुधार के लिए।
- कृषि: मिट्टी की स्थिति और फसलों के वितरण को समझने के लिए।
- स्वास्थ्य सेवाएँ: बीमारियों के फैलाव और अस्पतालों की स्थिति का विश्लेषण करने के लिए।
GIS और आधुनिक तकनीक
आज GIS को ड्रोन, सैटेलाइट इमेजिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) जैसी तकनीकों से जोड़ा जा रहा है। इनके संयोजन से न केवल पृथ्वी के नक्शे बनाए जा रहे हैं, बल्कि जलवायु और जनसंख्या परिवर्तन जैसे विषयों पर सटीक डेटा भी उपलब्ध कराया जा रहा है। Google Maps, NASA, और ISRO जैसी संस्थाएँ GIS तकनीक का बड़े पैमाने पर उपयोग करती हैं।
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भारत में GIS का विकास
भारत में GIS तकनीक का उपयोग 1980 के दशक से शुरू हुआ था। इसरो (ISRO), नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (NRSC), और Survey of India जैसे संस्थान इसमें अग्रणी हैं। आज GIS का उपयोग भारत में स्मार्ट सिटी मिशन, डिजिटल इंडिया प्रोजेक्ट, आपदा प्रबंधन, और भूमि सुधार योजनाओं में किया जा रहा है। इसके ज़रिए सरकार डेटा आधारित निर्णय लेने में सक्षम हो रही है।
GIS Day का उद्देश्य
GIS Day का मुख्य उद्देश्य लोगों को यह समझाना है कि यह तकनीक हमारे दैनिक जीवन में कितनी उपयोगी है।
इस दिन शैक्षणिक संस्थानों में कार्यशालाएँ, सेमिनार, और जागरूकता अभियान आयोजित किए जाते हैं ताकि छात्र, शोधकर्ता और आम लोग इस तकनीक को समझ सकें। यह दिन युवाओं को तकनीकी क्षेत्र में करियर बनाने के लिए भी प्रेरित करता है।
GIS का भविष्य (Future of GIS)
आने वाले वर्षों में GIS तकनीक और भी उन्नत होने जा रही है। 3D मैपिंग, वर्चुअल रियलिटी (VR) और रियल-टाइम डेटा एनालिटिक्स के साथ GIS का प्रयोग शहर नियोजन, स्मार्ट ट्रांसपोर्टेशन और पर्यावरण सुरक्षा में और बढ़ेगा। यह तकनीक पृथ्वी के संसाधनों को बेहतर तरीके से प्रबंधित करने और मानव जीवन को अधिक सुरक्षित एवं सुविधाजनक बनाने में मदद करेगी। भौगोलिक सूचना प्रणाली दिवस (GIS Day) न केवल एक तकनीकी उत्सव है बल्कि यह पृथ्वी को समझने और उसकी रक्षा करने का माध्यम भी है। GIS ने हमें सिखाया है कि डेटा सिर्फ़ संख्याएँ नहीं होते, बल्कि वे हमारी धरती की कहानी कहते हैं। इस दिन हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम तकनीक का उपयोग पर्यावरण, समाज और मानवता के कल्याण के लिए करेंगे।
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