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Difference Between Love And Affection: मोटिवेशनल स्पीकर जया किशोरी ने प्रेम और मोह में बताया अंतर, बोलीं- हर चीज सोच समझकर करें, वरना बर्बाद हो जाती है जिंदगी

Difference Between Love And Affection: मोटिवेशनल स्पीकर जया किशोरी ने प्रेम और मोह के बीच अंतर को बताया है। उनका कहना है कि प्रेम हमें आजादी देता है तो वहीं मोह हमें बांध के रख देता है। जब भी कभी सही पार्टनर को चुनने की बात आए तो इन बातों पर जरूर ध्यान देना चाहिए।

Difference Between Love And Affection: क्या हे प्रेम और मोह में अंतर, जया किशोरी से जानें कैसे करें सही पार्टनर का चुनाव

बात चाहे मां-पापा की हो, पति-पत्नी की हो या फिर गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड की, प्यार के साथ-साथ इनके रिश्ते में मोह भी होता है। जिसमें अंतर कर पाना भले ही आसान हो लेकिन मानता कोई नहीं हैं। हर कोई अपने भावनाओं को प्यार का नाम दे देता है। इसी विषय पर बात करते हुए मोटिवेशनल स्पीकर जया किशोरी ने एक इंटरव्यू के दौरान प्यार और मोह के बीच अंतर को समझाया। Difference Between Love And Affection जया किशोरी ने इसका इतना बेहतरीन उदाहरण दिया कि अगर आप भी जान लें तो एक बार में ही सारा वहम दूर हो जाएगा। साथ ही आपकी सामने वाले के लिए क्या फीलिंग है, वो भी जान जाएंगे।

मोटिवेशनल स्पीकर जया किशोरी बताती हैं कि मोह वो है जब हमारे पास जो भी भौतिक वस्तुएं होती हैं हम उसे अपने पार्टनर के साथ बांटते हैं। प्रेम वह है जब हम खुद को ही इस रिश्ते में अर्पण कर देते हैं। जया किशोरी कहती हैं कि रिश्ते ज़्यादा दिनों तक चलें, इसके लिए जरूरी है कि हम रिश्तों को निस्वार्थ भाव से निभाना सीखें। Difference Between Love And Affection जया किशोरी ने धृतराष्ट्र और दुर्योधन का बहुत ही अच्छा उदाहरण देते हुए समझाया कि ‘जो धृतराष्ट्र ने दुर्योधन से किया था, वो मोह था। उन्होंने अपनी भी जिंदगी बर्बाद की और अपने बच्चों की भी जिंदगी बर्बाद की और नाम प्यार का दे दिया।’ ये बात हर किसी को पढ़नी और समझनी चाहिए।

प्रेम और मोह में अंतर Difference Between Love And Affection

प्रेम और मोह के बीत अंतर बताते हुए जया किशोरी ने कहा कि ‘प्यार और मोह में बिल्कुल अंतर होता है। प्रेम फ्रीडम है, मोह बॉन्डेज, कि आप एक सेट कर लेते हैं, ऐसा होगा वैसा होगा, ये होगा वो होगा, ऐसी दुनिया होगा वैसी दुनिया होगी। ये प्रेम नहीं है क्योंकि सोची समझी चीज आप कर रहे हैं। प्रेम एकदम फ्रीडम और फ्रीडम ऐसी कि आप हर चीज देख कर रहे हैं। आपको पता है, क्या सही है और फिर उसके बाद अपना चुनाव करते हैं आप, यही लॉन्ग टर्म लव होता है।’ यानी कि सामने वाले की हर अच्छी बुरी आदत को देखने और समझने के बाद आप उनके साथ रहने का चुनाव करते हैं, और यही प्रेम होता है।

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हर बात पर न भरें हामी Difference Between Love And Affection

इसके अलावा जया किशोरी कहती हैं कि ‘आज मैं ये बात कहती हूं कि, मैंने जिसमें धृतराष्ट्र और दुर्योधन की बात कही… प्यार तो अर्जुन और कृष्ण हैं। गलत था तब टोका, जब सही था, तब साथ दिया।’ ‘धृतराष्ट्र ने हर चीज में दुर्योधन का साथ दिया, अंत में किसका क्या हुआ आपको पता ही है। जो हम कहते हैं न कि प्यार अंधा होता है, वो क्या है, हम हर चीज में कह देते हैं कि हां-हां प्यार है, वो प्यार नहीं है, वो मोह है और वो दोनों को ले कर डूबेगा।’ इससे हमें भी ये सीख मिलती है कि अपने पार्टनर की हर बात में हामी भरना, उसके हर अच्छे-बुरे काम में साथ देने प्यार नहीं है। प्यार तो अपने साथी को सही होने पर प्रोत्साहित करना और गलत होने पर टोकना है।

कंट्रोल करने की कोशिश न करें Difference Between Love And Affection

अक्सर देखा जाता है कि कुछ लोग अपने रिश्ते को प्यार का नाम दे देते हैं और फिर पार्टनर को बांधने और कंट्रोल में रखने की कोशिश करते हैं। लेकिन अगर आप सच में किसी से प्यार करते हैं तो उन्हें किसी भी तरह के पिंजरे में न रखें, उनके पीछे इतने दीवाने न हों कि सामने वाले का गलत काम भी आपको सही लगे। बल्कि अपने साथ-साथ पार्टनर को भी लाइफ में कुछ करने और अपने अरमानों को पूरा करने के लिए प्रेरित करें। ये बात न सिर्फ पति-पत्नी या फिर गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड पर लागू होती है, बल्कि माता-पिता और बच्चों के साथ-साथ भाई बहनों पर भी लागू होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि प्यार और मोह किसी से भी हो सकता है।

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ऐसे चुनें अपना लाइफ पार्टनर Difference Between Love And Affection

जया किशोरी कहती हैं कि किसी भी रिश्ते को थोड़ा वक्त देकर एक- दूसरे को समझना जरूरी है। कम वक्त में बड़े फैसले लेना बाद में मुश्किल पैदा कर सकता है। उनका कहना है कि चाहे प्रेम विवाह हो या अरेंज मैरिज, दोनों ही स्थितियों में जरूरी है कि आप एक दूसरे को वक्त दें। एक दूसरे से मिलें, ताकि अच्छे से खूबियों और बुराइयों को समझ सकें। जब आप किसी के साथ प्यार के रिश्ते में होते हैं और उस रिश्ते को ज़िंदगी भर का रिश्ता बनाना चाहते हैं तो जल्दबाजी में सिर्फ दिल की सुनकर कोई फैसला न लें।

इन चीजों पर भी दें ध्यान Difference Between Love And Affection

उनका मत है कि जब जल्दबाजी में दिल से सोचकर हम किसी को अपनी ज़िंदगी में शामिल कर लेते हैं और समय के साथ असल आदतें सामने आती है तो मुश्किल खड़ी हो जाती है। इसलिए दिमाग से सभी अच्छाइयों और बुराइयों को जानकर, समझकर ही कोई फैसला लें। वो कहती हैं कि एक- दूसरे के साथ अधिक वक्त गुज़ारने से अच्छाइयां, बुराइयां सामने आती है। उस इंसान को अधिक से अधिक बोलने दें, किसी भी व्यक्ति की बोली इंसान के स्वभाव को बता देती है। स्वभाव को समझकर ही उस इंसान के साथ ज़िंदगी में आगे बढ़ें अन्यथा आगे चलकर अक्सर रिश्ता जल्दी टूट जाता है।

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vrinda

मैं वृंदा श्रीवास्तव One World News में हिंदी कंटेंट राइटर के पद पर कार्य कर रही हूं। इससे पहले दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण और नवभारत टाइम्स न्यूज पेपर में काम कर चुकी हूं। मुझसे vrindaoneworldnews@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।
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