Chulalongkorn Day: चुलालोंगकोर्न डे 2025, थाईलैंड के महान सुधारक राजा की याद में मनाया जाने वाला दिन
Chulalongkorn Day, हर साल 22 अक्टूबर को दुनिया भर में नेशनल कलर डे (National Color Day) मनाया जाता है। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि रंग सिर्फ देखने की चीज नहीं हैं,
Chulalongkorn Day : राजा चुलालोंगकोर्न, थाईलैंड को आधुनिक युग में ले जाने वाले दूरदर्शी सम्राट
Global Champagne Day, हर साल 23 अक्टूबर को थाईलैंड में चुलालोंगकोर्न डे (Chulalongkorn Day) मनाया जाता है। यह दिन थाईलैंड के सबसे सम्मानित और लोकप्रिय सम्राट राजा चुलालोंगकोर्न (King Chulalongkorn या Rama V) की पुण्यतिथि के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को थाई भाषा में “वान पियामहाट” (Wan Piyamaharaj Day) भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है “महान प्रिय राजा का दिन”। राजा चुलालोंगकोर्न को आधुनिक थाईलैंड का निर्माता माना जाता है, जिन्होंने देश को औपनिवेशिक शासन से बचाया और अनेक सामाजिक, राजनीतिक और शैक्षणिक सुधार किए।
राजा चुलालोंगकोर्न कौन थे?
राजा चुलालोंगकोर्न का जन्म 20 सितंबर 1853 को हुआ था और उन्होंने 1868 में अपने पिता राजा मोंगकुट (King Mongkut / Rama IV) के निधन के बाद सिंहासन संभाला। वे चकरी वंश के पांचवें राजा (Rama V) थे।
राजा चुलालोंगकोर्न थाई इतिहास के सबसे प्रभावशाली और सुधारवादी शासक माने जाते हैं। उनका शासनकाल 42 वर्षों तक चला (1868–1910), जो थाईलैंड की स्थिरता और प्रगति के लिए स्वर्ण युग माना जाता है।
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आधुनिक थाईलैंड के निर्माता
राजा चुलालोंगकोर्न ने थाईलैंड (तब सियाम कहा जाता था) को आधुनिक युग की दिशा में अग्रसर किया। उन्होंने पश्चिमी देशों की तकनीक, शिक्षा और प्रशासनिक प्रणाली को अपनाया, लेकिन अपनी संस्कृति और स्वतंत्रता को बरकरार रखा।
उनके प्रमुख सुधारों में शामिल हैं:
- गुलामी की समाप्ति (Abolition of Slavery):
उन्होंने धीरे-धीरे थाईलैंड में प्रचलित दासता की प्रथा को खत्म किया, जिससे देश में सामाजिक समानता की शुरुआत हुई। - शिक्षा प्रणाली में सुधार:
राजा चुलालोंगकोर्न ने आधुनिक शिक्षा को बढ़ावा दिया। उन्होंने सरकारी स्कूलों की स्थापना की और थाई युवाओं को विदेश में उच्च शिक्षा के लिए भेजा। - प्रशासनिक और न्यायिक सुधार:
उन्होंने मंत्रालयों और विभागों की आधुनिक संरचना तैयार की, जिससे शासन अधिक संगठित और पारदर्शी हुआ। - रेलवे और डाक प्रणाली की शुरुआत:
उन्होंने थाईलैंड में रेलमार्ग, सड़कें और डाक व्यवस्था शुरू की, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली। - कूटनीति और स्वतंत्रता की रक्षा:
उन्होंने यूरोपीय औपनिवेशिक शक्तियों (ब्रिटेन और फ्रांस) के बीच संतुलन बनाए रखते हुए थाईलैंड को उपनिवेश बनने से बचाया। यही कारण है कि थाईलैंड दक्षिण-पूर्व एशिया का एकमात्र देश है जिसे कभी किसी विदेशी ताकत ने पूरी तरह नहीं जीता।
राजा चुलालोंगकोर्न की विचारधारा
राजा चुलालोंगकोर्न का मानना था कि “शक्ति का सही उपयोग तभी होता है जब वह जनता के हित में किया जाए।”
वे शिक्षा, समानता और मानवाधिकारों के प्रबल समर्थक थे। उनकी नीतियों ने थाईलैंड को एक प्रगतिशील और आत्मनिर्भर राष्ट्र के रूप में उभरने में मदद की।
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चुलालोंगकोर्न डे क्यों मनाया जाता है
23 अक्टूबर 1910 को राजा चुलालोंगकोर्न का निधन हुआ। उनकी स्मृति में यह दिन हर साल राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाया जाता है। थाई जनता उन्हें “फ्रा पियामहाट” यानी “महान प्रिय राजा” के रूप में श्रद्धा से याद करती है। यह दिन थाई लोगों के लिए केवल शोक का नहीं, बल्कि कृतज्ञता का प्रतीक है एक ऐसे राजा के प्रति जो अपने देश को नई पहचान दिलाकर गया।
चुलालोंगकोर्न डे कैसे मनाया जाता है
थाईलैंड में यह दिन राष्ट्रीय अवकाश (Public Holiday) होता है। सरकारी दफ्तर, स्कूल और बैंक बंद रहते हैं।
लोग राजा चुलालोंगकोर्न की मूर्तियों और स्मारकों पर पुष्प अर्पित करते हैं।
- बैंकॉक के रॉयल प्लाजा (Royal Plaza) में स्थित राजा की भव्य प्रतिमा पर हजारों लोग फूल, माला और अगरबत्ती चढ़ाते हैं।
- पूरे देश में सरकारी समारोह आयोजित किए जाते हैं, जहां राजा के जीवन और कार्यों को याद किया जाता है।
- बौद्ध भिक्षु विशेष प्रार्थनाएं करते हैं और गरीबों के लिए भोजन वितरण का आयोजन किया जाता है।
- कुछ स्कूलों और संस्थानों में छात्रों को राजा के सुधारों और इतिहास के बारे में जागरूक किया जाता है।
राजा चुलालोंगकोर्न के स्थायी योगदान
राजा चुलालोंगकोर्न की विरासत आज भी थाई समाज में जीवित है।
- थाईलैंड की “चुलालोंगकोर्न यूनिवर्सिटी”, जो देश की सबसे प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी है, उन्हीं के नाम पर स्थापित की गई थी।
- उनकी नीतियों ने लोकतंत्र की नींव रखी, जिससे बाद के शासकों को सुधारों को आगे बढ़ाने की प्रेरणा मिली।
- थाई मुद्रा पर आज भी उनकी तस्वीर अंकित है, जो उनके प्रति लोगों के सम्मान का प्रतीक है।
अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण
राजा चुलालोंगकोर्न सिर्फ थाईलैंड के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे एशिया के लिए प्रेरणा हैं। उन्होंने यह दिखाया कि एक राष्ट्र अपनी संस्कृति को बनाए रखते हुए भी आधुनिक बन सकता है। उनकी कूटनीतिक नीति, “संतुलन और समझदारी,” आज भी कई देशों के लिए उदाहरण है। चुलालोंगकोर्न डे केवल एक ऐतिहासिक स्मृति नहीं है, बल्कि यह एक राष्ट्रीय गर्व का प्रतीक है। राजा चुलालोंगकोर्न ने अपने बुद्धिमान नेतृत्व, दूरदृष्टि और मानवता की भावना से थाईलैंड को आधुनिक युग में प्रवेश दिलाया। उनकी जीवनगाथा हमें सिखाती है कि सच्चा नेतृत्व सत्ता से नहीं, बल्कि सेवा और सुधार की भावना से जन्म लेता है। इस दिन थाईलैंड की जनता राजा के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए यह संकल्प लेती है कि वे उनके आदर्शों पर चलकर देश को और भी समृद्ध और सशक्त बनाएंगे।
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