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Chaiti Chhath Puja 2023: 36 घंटे का व्रत सिर्फ संतान की मंगलकामना के लिए
लाइफस्टाइल

Chaiti Chhath Puja 2023: 36 घंटे का व्रत सिर्फ संतान की मंगलकामना के लिए

Chaiti Chhath Puja 2023: साल में दो बार विधि-पूजन के साथ मनाया जाता है छठ पर्व! 

Highlights :
  • बिहार-यूपी में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है छठ-पूजा
  • छठ-पूजा का संबंध ऋतु परिवर्तन से भी है
  • 36 घंटे का व्रत रख माताएं अपने पुत्रों की मंगलकामना करती हैं

Chaiti Chhath Puja:हिंदु सनातन परंपरा में छठ पूजा का महत्वपूर्ण स्थान है। यह पर्व वर्ष में दो बार मनाया जाता है। पहली छठ पुजा चैत्र के महीने में तो दूसरी कार्तिक महीने में होती है। चैती छठ चार दिनों तक चलती है। छठ को आमतौर पर बिहार और उसके समीप के क्षेत्रों में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। यदि बात यूपी की करें तो, यूपी में पूर्वांचल (जो बिहार से सटे हैं) के जिलों जैसे चंदौली, बनारस, गाजीपुर, आजमगढ़, बलिया-देवरिया लगायत गोरखपुर व बस्ती इत्यादि जिलों में बड़े ही उत्साह व विधिपूर्वक मनाया जाता है।

छठ पूजा मनाने का पीछे का लॉजिक भी होता है। कहा जाता है कि यह ऋतु परिवर्तन से भी संबंधित होता है। देखा जाए तो कार्तिक महीने में होने वाले छठ के बाद ठंडी के मौसम में वृद्धि देखने को मिलती है तो वहीं चैत्र मास में आने वाले छठ के बाद जिसे हम “चैती छठ” भी कहते हैं ग्रीष्म ऋतु के प्रभाव में वृद्धि होने लगती है। चूंकि इस पर्व में भगवान सूर्य की उपासना की जाती है और ऋतुओं में परिवर्तन का कारण सूरजदेव होते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात कि इस मास के छठ पूजा का बहुत महत्व होता है, परंतु लोगों में बढ़ चढ़कर उत्साहपूर्वक कार्तिक महीने के छठ को मनाते हुए देखा जा सकता है।

चैती छठ में भगवान सूर्य की उपासना की जाती है। यह पर्व चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू होकर तथा सप्तमी के दिन भगवान भास्कर (सूर्य) के उदय होने के दौरान ही अर्घ्य देकर समाप्त होता है। इस व्रत का मुख्य उद्देश्य संतान की अच्छी स्वास्थ्य, उज्ज्वल भविष्य और उसकी रक्षा के लिए महिलाएं चैती छठ पर व्रत रखती हैं।

इस साल चैती छठ पूजा कब करें

बतातें चलें कि चार दिनों तक चलने वाले चैती छठ पूजा में हर दिन का अपना अलग महत्व होता है। इसलिए हम प्रत्येक दिन के महत्व पर संक्षिप्त प्रकाश डालेंगे।

नहाय-खाय, 25 मार्च 2023 – चैती छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय परंपरा से होती है। इस दिन पूरे घर की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाता है। शाकाहारी और शुद्ध भोजन का सेवन किया जाता है। महिलाएं इसी दिन व्रत का संकल्प लेती हैं। प्रायः भोजन में महिलाएं सेंधा नमक का प्रयोग करती हैं। इस दिन माताएं भोजन में चने की दाल, लौकी की सब्जी और भात (चावल) खाती हैं।

खरना, 26 मार्च 2023 – चैती छठ पूजा का दूसरा दिन खरना कहलाता है। खरना वाले दिन शाम को गाय के उपले (गोईठा) या फिर आम की लकड़ी पर गुड़ के खीर के रूप में प्रसाद बनाया जाता है। इस प्रसाद जो माताएं-बहनें व्रत रहती हैं, वो ग्रहण करती हैं। इस दिन वे लोग नमकयुक्त भोजन का सेवन नहीं करते हैं। फिर इस भोजन के बाद मतलब खरना के बाद से ही माताओं-बहनों का 36 घंटे का व्रत आरंभ हो जाता है। यह इतना आसान नहीं होता है। परंतु मां की ममता से ज्यादा ताकतवर क्या हो सकता है? एक मां अपने बच्चों के सकुशलता और मंगल के लिए यह व्रत बड़े ही उत्साह के साथ करती है।

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संध्या अर्घ्य 27 मार्च 2023-

चैत्र शुक्ल षष्ठी तिथि पर डूबते सूर्य भगवान को अर्घ्य देने की परंपरा है। इसे संध्या अर्घ्य कहा जाता है। जो माताएं-बहनें व्रती होती हैं वे लोग नदी अथवा तालाब के किनारे खड़ा होकर भगवान भास्कर को अर्घ्य देती हैं। इस दिन छठी मैया और सूर्यदेवता की विधिवत अर्चना की जाती है।

उषा अर्घ्य 28 मार्च 2023

छठ पूजा के समापन के समय को उषा अर्घ्य कहते हैं। इस दिन व्रती महिलाएं उगते हुए सूरज को अर्घ्य देकर अपने पूजा का समापन करती हैं। भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के लिए टोकरी में ठेकुआ, चावल के लड्डू , और फलों के साथ अन्य महत्वपूर्ण पूजन-सामग्री को रखा जाता है। सूर्य पूजा के लिए सूप को अच्छी तरह से सजाया जाता है। सूर्य देवता को दूध और जल का अर्घ्य देकर छठी मैया को प्रसाद चढ़ाया जाता है। इसके बाद व्रती अपने व्रत का पारन करती हैं।

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