कैसे घरों के बदलते माहौल से होते है बच्चे प्रभावित
घरों में बच्चे प्रभावित होते हैं इन बातों से
यह तो हम सभी जानते हैं की कैसे आजकल घरों मे माहौल बदलता जा रहा है। लोगों की व्यस्त जीवन शैली ने उन्ही के घर के बच्चों पर प्रभाव डाला है। आजकल के बच्चे पहले जैसे बच्चो के समान नहीं हैं। अब उनकी आदतों में काफी परिवर्तन आये हैं। माना कि परिवर्तन इस संसार कस नियम है परंतु क्या इतना बदलाव सही है?
आजकल घर में सभी लोगों के पास स्मार्टफोन होते हैं जिसमे सभी सदस्य दिन भर आँख गढ़ाकर बैठे रहते हैं और अपना समय छोटे बच्चो के साथ व्यतीत करने की जगह वे सारा समय फोन पर बर्बाद कर देते हैं। इससे बच्चे माता पिता से दूर होने लगते हैं और अपनी दुनिया अपने ही ख्यालों में कही बना लेते हैं। कई बार वे चजड़चिढे भी हो जाते हैं क्योंकि उन्हें उनका समय नही मिल पाता।
यह देखा गया है की बच्चे अधिकतर अपने माता पिता से फ़ोन मांगने की ज़िद करते हैं। जब वे ऐसा करते हैं तब माता पिता को भी गुस्सा आता है परंतु सोचने की बात यह है की ऐसी परिस्थिति उत्पन्न ही क्यों होती है जिसमे बच्चे भी फोन लेने की ज़िद करें। इसका उत्तर यह है कि सभी सदस्य उनकी आँखों के सामने ही फोन इस्तेमाल करते हैं जिससे उन्हें भी फ़ोन में गेम खेलने का या उसे चलाने का मन करने लगता है।
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यह ज़्यादा समय पहले की बात नहीं है जब पड़ोस के सभी बच्चे मिलकर खेला करते है। उनके खेल में उल्लास की सीमा ही नही होती थी। अपने कपास जैसे कोमल पैरो से एक छत से दूसरी छत पर बच्चे कूदते दिख जाते है। ये बचपन की सुन्दर यादें थी और अब, अब बच्चो को घरों में मूंदकर रखा जाता है जिससे उनका विकास उतने अच्छे तरीके से नहीं हो पाता।
बच्चों की मासूमियत अब कही खोकर रह गयी है। तमीज़ और तहज़ीब के नाम पर उनपर बड़े होने का बोझ डाल दिया जाता है। एक 5 या 6 साल के बच्चे से बड़ों की तरह पेश आने की उम्मीद कैसे रख सकते हैं। परंतु कुछ परिवार अब ऐसे है जो बच्चों से ऐसी उम्मीद रखते हैं।
घरों में माहौल के परिवर्तन के साथ साथ केवल रहन सहन में परिवर्तन नही आया है , इसके साथ साथ उनके खाने की आदतों में भी परिवर्तन आये हैं। अब वे जंक फूड ज़्यादा खाना पसंद करते हैं। जिससे उनको सही पोषण नहीं मिल पाता है और इससे उनका स्वास्थ्य का नुक्सान होता है।
आने वाली पीढ़ियों में अधिक अहँकार का भाव होता है क्योंकि उन्हें उनके माता पिता से कम समय मिलता है जिससे उन्हें सही संस्कार नहीं मिल पाते। भारतिय संस्कारों के अनुसार तो व्यक्ति को सादा जीवन जीना चाहये क्योकि इसी से मनुष्य का व्यक्तित्व सुन्दर बनता है।
आजकल के बच्चे बहुत अड़ियल हो गए हैं इसका कारण भी शायद यही है की उन्हें उनके माता पिता का प्रेम नहीं मिलता ओर धीरे धीरे वे ज़िद्दी होते चले जाते हैं। ऐसे बच्चों की बिगड़ने की संभावना ज़्यादा होती है। और इसका प्रभाव उनके माता पिता पर ही पड़ता है।