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World Press Freedom Day 2023: जानें 3 मई को ही क्यों मनाया जाता है विश्व प्रेस फ्रीडम डे

World Press Freedom Day 2023: विश्व प्रेस फ्रीडम में दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के क्या हाल हैं?


World Press Freedom Day 2023 :हर साल 3 मई को वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे मनाया जाता है। इस साल की मेजबानी पुंटा डेल एस्टे,उरुग्वे करेगा। आपको बता दें कि संयुक्त राष्ट्र की महासभा ने 3 मई 1993 को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस का ऐलान किया था। यह दिन प्रेस की आजादी के महत्व से दुनिया को अवगत कराने के लिए मनाया जाता है।

प्रेस समाज का आईना कहलाता है। किसी भी देश की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रेस को मिली आज़ादी से साबित होती है। यह हर देश का मौलिक अधिकार है। प्रेस की स्वतंत्रता हर लोकतांत्रिक देश का एक अहम मुद्दा रहा है। प्रेस और मीडिया हमारे आसपास घटित होने वाली घटनाओं से हमें अवगत कराता है और हमारे लिए खबर वाहक का काम करता है। प्रेस आम जन को दुनिया से जोड़े रखने का काम करता है। इसलिए प्रेस की सुरक्षा, प्रेस की आज़ादी बहुत जरूरी है। विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस का महत्व प्रेस की आज़ादी के महत्व के प्रति जागरूकता फैलाना है।

भारत में प्रेस फ्रीडम डे का स्तर –

भारत में प्रेस की स्वतंत्रता भारतीय संविधान के अनुच्छेद – 19 में भारत के नागरिकों को दिए गए अभिव्यक्ति की आजादी के मूल अधिकार से सुनिश्चित होती है। भारत में अक्सर प्रेस की स्वतंत्रता को लेकर चर्चाएं होती रहती है। जैसा कि आप जानते ही होंगे कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और भारत में प्रेस की आजादी बहुत मायने रखती है।

प्रेस की स्वतंत्रता बहुत अहम है। प्रेस को न ही सिर्फ लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में जाना जाता है बल्कि यह एक आम जन की आज़ादी भी है। प्रेस को लेकर दुनिया भर में चर्चाएं और बात चीत होती रहती हैं।

दुनिया के कई देशों में प्रेस को आजादी नहीं है। कई ऐसे लोकतंत्र देश हैं जहाँ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के प्रतीक को आजादी नहीं हैं और आम लोगों को सही जानकारी तक पहुंचने के अधिकार से वंचित रखा जाता है। यह जानना हर किसी के लिए बहुत आवश्यक है कि प्रेस की आजादी नहीं मिलना देश पर खतरा हो सकता है। दुनिया भर में प्रेस की आजादी को सम्मान देने और उसके महत्व को सबके सामने लाने के लिए हर साल 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस ( World Freedom Day ) मनाया जाता है।

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Press Freedom Day की अहमियत

आज प्रेस और उसके अन्य आधुनिक स्वरूप जिसे मीडिया या पत्रकारिता भी कहा जाता है, की अहमियत जितनी है उतनी पहले कभी नहीं हुआ करती थी। सूचनाओं के आदान प्रदान के माध्यम इंटरनेट के कारण बहुत तेजी से हो पा रहा है जिसे डिजिटल युग भी कहा जाता है। सूचनाएं पाना और उन्हें सही जगह पहुंचाना फिर समस्या हो सकता है क्योंकि कई जगह के शासन ऐसी पाबंदियां लगाकर रखते हैं जिसे प्रेस की आजादी को दबा कर रखा हुआ है।

यूनेस्को 1997 से हर वर्ष 3 मई को विश्व स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। इस मौके पर गिलेरमो कानो वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम पुरस्कार भी दिया जाता है। यह पुरस्कार उस संस्था या व्यक्ति को दिया जाता है जिसने प्रेस के आजादी के लिए महान और उल्लेखनीय कार्य किया हो। यहाँ सबसे अनोखी बात यह है कि भारत के किसी भी पत्रकार या संस्थान को अभी तक यह पुरस्कार नहीं दिया गया है। यह बात ध्यान देने वाली है।

यूनेस्को का एजेंडा

प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाने के पीछे यूनेस्को का मकसद सरकारों को यह याद दिलाना है कि उन्हें प्रेस की आजादी के प्रति प्रतिबद्धता के सम्मान करने की जरूरत है। यह हर देश की सरकार का काम है कि वो प्रेस की आजादी पर सही रूप से काम करें। यह मीडिया कर्मी, पत्रकारों को प्रेस की आजादी और व्यावसायिक मूल्यों की याद करना का भी दिन है। यह दिन मीडिया के उन लोगों के समर्थन के लिए है जो प्रेस और अभिव्यक्ति की आजादी के लिए काम करते हुए विरोध और जुल्म का शिकार हुए हैं। ऐसे कई उदाहरण हैं जो यह दर्शाते हैं कि प्रेस को आजादी क्यों मिलनी चाहिए।

यूनेस्को के अनुसार यह थीम दुनिया के तमाम देशों के लिए महत्व रखती है। यह बदलते संचार तंत्रों की पहचान करती है जो हमारे स्वास्थ्य, मानव अधिकार, लोकतंत्र पर असर डालते हैं।

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