Netaji’s Family: नेताजी के जयंती पर बेटी की गुहार, भारत लायी जाए उनकी अस्थियां
Netaji’s Family: नेताजी की अस्थियां लाने से क्यों पीछे हट रही वर्तमान सरकार
Highlights:-
. अनीता बोस ने कहा, आरएसएस और भाजपा इस रवैये को प्रतिबिंबित नहीं करते है।
. अनीता बोस ने सुभाष चंद्र बोस के अवशेषों को भारत वापस लाने का भी आह्वान किया है।
. अनीता ने कहा जापान के रैंकोजी मंदिर में सुरक्षित रखी गई नेताजी की अस्थियों को वापस स्वदेश लाया जाए।
Netaji’s Family: देश की आजादी की लड़ाई को नई उर्जा देने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आज (23 जनवरी) जयंती मनाई जा रही है। उनकी बेटी अनीता बोस ने भी उन्हें याद किया। उन्होंने कहा कि जो लोग नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रशंसा करते हैं, वह अपने राजनीतिक और व्यक्तिगत कामों में भी उनके मूल्यों को बरकरार रखकर उन्हें सर्वश्रेष्ठ सम्मान दे सकते हैं। नेताजी सुभाष चंद्र बोस आज के युवाओं के लिए बेहद प्रेरणादायक है।
‘तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ और ‘जय हिन्द’ जैसे नारों के साथ नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने देश की आजादी की लड़ाई लड़ी थी। आज नेताजी की 127 वीं जयंती है। जिसे पुरा देश मना रहा है।
On the birth anniversary of Netaji Subhas Chandra Bose, our humble tribute to one of the greatest leaders of India’s freedom struggle.
My installation Sand Art at Puri beach in Odisha. pic.twitter.com/WttPqcRk95— Sudarsan Pattnaik (@sudarsansand) January 23, 2023
कोलकाता में आज (23 जनवरी) को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती मनाने की आरएसएस की योजना पर बेटी अनीता बोस का रिएक्शन आया है। अनीता बोस ने कहा है कि ऐसा उनके पिता की विरासत का ‘आंशिक फायदा’ उठाने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आरएसएस की विचारधारा और नेताजी के धर्मनिरपेक्षता व समावेशिता के विचार ‘अलग-अलग ध्रुव हैं और आपस में मेल नहीं खाते हैं।’
जर्मनी में रहने वाली अनीता बोस ने कहा, ‘आरएसएस और भाजपा इस रवैये को प्रतिबिंबित नहीं करते है। यदि आप एक साधारण छाप लगाना चाहें, तो वे दक्षिणपंथी हैं और नेताजी वामपंथी थे।’ उन्होंने कहा, ‘आरएसएस की विचारधारा के बारे में मैंने जो सुना है, उससे मुझे लगता है कि यह और नेताजी की विचारधारा अलग-अलग हैं। दोनों मूल्य प्रणालियां मेल नहीं खाती हैं।’
अनीता बोस ने कहा, ‘अगर आरएसएस को लगता है कि वह नेताजी के आदर्शों और विचारों को अपनाना चाहता है। तो यह निश्चित रूप से अच्छा होगा। कई अलग-अलग समूह नेताजी के जन्मदिन को अलग-अलग तरीकों से मनाना चाहते हैं। उनमें से कई आवश्यक रूप से उनके विचारों से सहमत हैं।’ अनीता ने कहा कि आरएसएस और नेताजी की धर्मनिरपेक्षता की विचारधारा एक-दूसरे के साथ मेल नहीं खाती।
अनीता ने कहा कि जहां तक विचारधारा का संबंध है। तो देश में किसी भी अन्य पार्टी की तुलना में कांग्रेस में नेताजी से मिलती बहुत अधिक समानताएं हैं। अनीता बोस ने कहा कि नेताजी ‘सभी धर्मों, जातियों और सभी सामाजिक स्तरों के सदस्यों के लिए समान अधिकार, अवसर और कर्तव्य’ में विश्वास करते थे। नेताजी चाहते थे कि स्वतंत्र भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य बने।
अनीता बोस नेताजी की इकलौती संतान हैं। उन्होंने सुभाष चंद्र बोस के अवशेषों को भारत वापस लाने का भी आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि नेताजी ने सभी धर्मों के सदस्यों के लिए समान अधिकारों वाले भारत और एक धर्मनिरपेक्ष राज्य की परिकल्पना की थी। जहां सभी धर्मों के लोग शांति से एक साथ रहेंगे। जर्मनी में रह रही अनिता ने अपनी मांग दोहराई कि जापान के रैंकोजी मंदिर में सुरक्षित रखी गई नेताजी की अस्थियों को वापस स्वदेश लाया जाए।
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उन्होंने एक बयान में कहा, ‘‘विदेशी जमीन पर मौत के 77 साल से अधिक समय बीतने के बावजूद उनकी अस्थियां विदेशी जमीन पर रखी हैं। उनके देश के कई पुरुष और महिलाएं उन्हें नहीं भूले है। पूरे राजनीतिक जगत में पार्टियां जो उनके विचारों और विचारधारा को साझा करती हैं और जो नहीं भी करती, उनके भारत के लिए दिए गए बलिदान को श्रद्धांजलि देती हैं|’’
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पोते चंद्रकुमार बोस ने कहा है कि टोक्यो के रैंकोजी मंदिर में रखी अस्थियों का डीएनए टेस्ट कराया जाना चाहिए ताकि नेताजी के निधन को लेकर बने रहस्य पर पूर्ण विराम लगाया जा सके। उनका कहना है अगले साल जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे भारत की यात्रा पर आ रहे हैं। उस समय भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके सामने इस मामले को रखना चाहिए।
आपको बता दें केंद्र सरकार अब तक नेताजी से संबंधित करीब 300 फाइलों को क्लासीफाइड कर चुकी है। लेकिन इसके बावजूद ये पता नहीं चलता कि 18 अगस्त 1945 को तायहोकु में हुए हवाई हादसे के बाद क्या वाकई वो जिंदा थे। भारत में इसकी जांच को लेकर तीन आयोग बन चुके हैं।
पहले दो आयोगों का कहना है कि नेताजी का निधन 18 अगस्त 1945 को ताइवान के तायहोकु एयरपोर्ट पर हो चुका है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस मनोज मुखर्जी जांच आयोग ने इससे एकदम विपरीत रिपोर्ट दी। उसके बाद से ही नेताजी की जापान के मंदिर में रखी अस्थियों की डीएनए जांच का मुद्दा तूल पकड़ रहा है।
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