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Women’s Reservation Bill: लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र बड़ा फैसला, कैबिनेट मीटिंग में महिला आरक्षण बिल को मिली मंजूरी

केंद्र सरकार की कैबिनेट मीटिंग में महिला आरक्षण बिल को मंजूरी मिल गई है। संसद के विशेष सत्र के दौरान इस बिल को मंजूरी दी गई है।

Women’s Reservation Bill: इतने सालों से संसद में अटका रहा महिला आरक्षण बिल, अब जा के मिली मंजूरी


संसद का पांच दिवसीय विशेष सत्र सोमवार (18 सितंबर) से शुरू हो गया। संसद के इस विशेष सत्र के दौरान केंद्र सरकार की ओर से 8 विधेयक पेश किए जाने हैं। इस बीच चर्चा है कि संसद के विशेष सत्र में ही मोदी सरकार महिला आरक्षण विधेयक ला सकती है। ठीक वहीं हुआ सोमवार की शाम को हुई मोदी सरकार की कैबिनेट बैठक में इस बिल को मंजूरी दे दी गई है।

Women’s Reservation Bill: केंद्र सरकार की कैबिनेट मीटिंग में महिला आरक्षण बिल को मंजूरी मिल गई है। संसद के विशेष सत्र के दौरान इस बिल को मंजूरी दी गई है। इस मंजूरी के साथ ही इस बिल के विशेष सत्र के दौरान पारित होने की संभावना भी बढ़ गई है। यदि यह बिल सदन से पारित हो जाता है तो मोदी सरकार ने नाम एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हो जाएगी। ऐसे समय में इस बिल को मंजूरी मिली है जब देश की नई संसद में लोकसभा और राज्य सभा शिफ्ट हो रही है। नई संसद भवन की इमारत के लिए इससे यादगार शुरुआत क्या हो सकती है। नई संसद में महिला आरक्षण बिल को मंजूरी इस इमारत की शुरुआत को भी इतिहास में दर्ज करा देगी।

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1996 में पहली बार आया प्रस्ताव

साल 1996 में पहली बार यूनाइटेड फ्रंट की सरकार ने महिलाओं को आरक्षण का प्रस्ताव पेश किया था। तब जनता दल के नेताओं ने इस बिल का तीखा विरोध किया। इसके बाद इसे ज्वाइंट कमेटी को भेज दिया गया था। इस कमेटी की अगुवाई सीपीआई की गीता मुखर्जी कर रही थीं। कमेटी में कुल 31 नेता थे। जिसमें ममता बनर्जी, मीरा कुमार, सुमित्रा महाजन, नीतीश कुमार, शरद पवार, सुषमा स्वराज, उमा भारती जैसे बड़े नेता शामिल थे। कमेटी ने बिल में तमाम संशोधन सुझाए, लेकिन बात आगे नहीं बढ़ पाई।

वाजपेयी से लेकर यूपीए सरकार में हुई लागू करने की कोशिशें

पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने 1998 में लोकसभा में इस विधेयक को आगे बढ़ाया, लेकिन ये फिर भी पारित नहीं हुआ। अटल बिहारी वाजपेयी ने 1998 में अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में 33 फीसदी आरक्षण का उल्लेख किया था।

मनमोहन सरकार के कार्यकाल में भी कोशिशें सफल नहीं हो पाईं

वर्ष 2004 में कांग्रेस के नेतृत्व वाला यूपीए गठबंधन सत्ता में आया और मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री बने। मनमोहन सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2008 में महिला आरक्षण से जुड़े विधेयक को राज्यसभा में पेश किया गया। वर्ष 2010 में यूपीए सरकार ने भाजपा, लेफ्ट और अन्य दलों के समर्थन से भारी बहुमत के साथ राज्यसभा से इस बिल को पारित करवा लिया। लेकिन, यह लोकसभा से पारित नहीं होने के कारण कानून नहीं बन पाया।

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