Vice President Election: उपराष्ट्रपति चुनाव में NDA की बढ़त या चुनौती? आंकड़ों की बारीकी से करें पड़ताल
Vice President Election, लंबे इंतजार के बाद आज यानी मंगलवार को भारत में उपराष्ट्रपति पद के चुनाव (Vice Presidential Election) का आयोजन होने जा रहा है।
Vice President Election : उपराष्ट्रपति चुनाव में NDA का पलड़ा भारी क्यों माना जा रहा है? आंकड़े बताते हैं पूरा सच
Vice President Election, लंबे इंतजार के बाद आज यानी मंगलवार को भारत में उपराष्ट्रपति पद के चुनाव (Vice Presidential Election) का आयोजन होने जा रहा है। इस बार का चुनाव राजनीतिक हलचल और सस्पेंस से भरपूर माना जा रहा है। बीजेपी के नेतृत्व वाले NDA गठबंधन का पलड़ा इस बार भी भारी नजर आ रहा है, लेकिन पिछली बार की तुलना में इस बार जीत की संभावना थोड़ी कमतर दिखाई दे रही है। आइए विस्तार से समझते हैं इस चुनाव का पूरा परिदृश्य और आंकड़ों की गहराई।
उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया
उपराष्ट्रपति चुनाव में भारत के संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा के सभी सदस्य सीक्रेट बैलेट के माध्यम से वोट डालते हैं। सांसद अपनी मर्जी से किसी भी उम्मीदवार को वोट दे सकते हैं, लेकिन सामान्यत: वे अपने राजनीतिक दल के निर्देशानुसार ही मतदान करते हैं। क्रॉस वोटिंग का चलन इस चुनाव में आम बात है, जो राजनीतिक समीकरण को और भी पेचीदा बना देता है।
पिछले चुनाव की यादें
2022 के उपराष्ट्रपति चुनाव में NDA उम्मीदवार जगदीप धनखड़ ने शानदार बहुमत के साथ जीत हासिल की थी।
उनके समर्थन में YSR कांग्रेस और बीजेडी सहित अन्य पार्टियों ने भी वोट डाले थे। इस चुनाव में जगदीप धनखड़ को कुल 75 प्रतिशत वोट मिले थे, जो उनकी जीत को बहुत मजबूत बनाता था। वहाँ क्रॉस वोटिंग ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसमें आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी और तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव भी शामिल रहे थे।
इस बार का आंकड़ा विश्लेषण
वर्तमान समय में राज्यसभा में कुल 239 सांसद हैं और लोकसभा में 542 सांसद। दोनों सदनों को मिलाकर कुल सांसदों की संख्या 781 हो जाती है। उपराष्ट्रपति बनने के लिए उम्मीदवार को आधे से अधिक यानी कम से कम 391 वोट हासिल करने होंगे। इन आंकड़ों के अनुसार, NDA उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन की जीत लगभग तय मानी जा रही है। यदि सभी सांसद एकजुट होकर वोट करें, तो उन्हें लगभग 458 वोट मिलने की संभावना बनती है।
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क्रॉस वोटिंग का सस्पेंस
जैसा कि पिछली बार हुआ था, इस बार भी क्रॉस वोटिंग को लेकर सस्पेंस बना हुआ है। YSR कांग्रेस ने सीपी राधाकृष्णन का समर्थन देने की घोषणा पहले ही कर दी है। YSRCP के पास कुल 11 सांसद हैं (7 लोकसभा और 4 राज्यसभा)। बीआरएस (BRS) के पास 4 सांसद हैं और बीजेडी (BJD) के पास 7 सांसद हैं। इन पार्टियों ने अब तक अपने वोटिंग पक्ष को स्पष्ट नहीं किया है, जिससे इस चुनाव में सस्पेंस बरकरार है। इसके अलावा आम आदमी पार्टी (AAP) की सांसद स्वाति मालिवाल का भी AAP से संबंध अच्छा नहीं बताया जा रहा है। इस कारण वह किसे वोट देंगी, यह भी चुनाव का बड़ा सवाल बन गया है। साथ ही लोकसभा में 7 निर्दलीय सांसद भी हैं, जिनके वोटिंग फैसले पूरी तस्वीर को प्रभावित कर सकते हैं।
सीपी राधाकृष्णन की स्थिति
सीपी राधाकृष्णन की उम्मीदवारी NDA की ओर से मजबूत मानी जा रही है। अगर सभी समर्थक सांसद उनका साथ देते हैं, तो उन्हें पर्याप्त वोट मिल सकते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो उनके पक्ष में लगभग 450 से अधिक वोट होने की संभावना है। हालांकि पिछले चुनाव में जगदीप धनखड़ को मिले 528 वोट के मुकाबले यह संख्या थोड़ी कम हो सकती है, लेकिन फिर भी जीत की संभावना बनी हुई है।
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संभावित चुनौती
इस बार चुनाव को और रोचक बनाने वाला सबसे बड़ा फैक्टर है क्रॉस वोटिंग का। बीआरएस और बीजेडी का निर्णय अभी तक अज्ञात है। यदि इनमें से कोई भी पार्टी विरोधी उम्मीदवार को समर्थन देती है, तो स्थिति बदल सकती है। स्वाति मालिवाल के वोटिंग निर्णय पर भी सबकी निगाहें टिकी हैं। निर्दलीय सांसद भी इस समीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, खासकर यदि वे अपनी पार्टी लाइन से हटकर वोट डालें।
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