UP Pollution: हवा हुई जहरीली! यूपी के नोएडा और गाजियाबाद में प्रदूषण गंभीर स्तर पर
UP Pollution, उत्तर प्रदेश के नोएडा और गाजियाबाद में लंबे समय से हवा का प्रदूषण गंभीर स्तर पर बना हुआ है।
UP Pollution : सांस लेने में दिक्कत, यूपी के नोएडा-गाजियाबाद में बढ़ा प्रदूषण, अलर्ट जारी
UP Pollution, उत्तर प्रदेश के नोएडा और गाजियाबाद में लंबे समय से हवा का प्रदूषण गंभीर स्तर पर बना हुआ है। लगातार सर्दियों के मौसम के साथ वायु गुणवत्ता में गिरावट देखी जा रही है, जिससे लोगों को सांस लेने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि शनिवार, 29 नवंबर को मामूली सुधार देखने को मिला, लेकिन हवा अभी भी स्वास्थ्य के लिए बेहद खराब श्रेणी में बनी हुई है।
नोएडा-गाजियाबाद में वायु गुणवत्ता का हाल
पिछले एक महीने से नोएडा और गाजियाबाद में हवा में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता रहा। पिछले 12 दिनों से यहाँ का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 400-450 के बीच दर्ज किया गया था, जो बेहद गंभीर माना जाता है। शनिवार को यह एक्यूआई 400 से नीचे आ गया, जिससे थोड़ी राहत मिली, लेकिन हवा अभी भी बेहद खराब श्रेणी में ही है। गाजियाबाद के लोनी क्षेत्र को छोड़कर बाकी इलाकों में प्रदूषण के स्तर में थोड़ी गिरावट देखने को मिली। लोनी में सुबह 6 बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक 405 दर्ज किया गया, जबकि इंदिरापुरम में 353, वसुंधरा में 303 रहा। नोएडा में भी सेक्टर-125 में 372, सेक्टर-116 में 368 और सेक्टर-1 में 351 एक्यूआई दर्ज किया गया। ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क में एक्यूआई 351 रहा, जबकि हापुड़ में 306 एक्यूआई दर्ज किया गया। विशेषज्ञों के अनुसार, यह मामूली कमी ठंडी हवाओं और धुंध के फैलाव कम होने के कारण आई है।
यूपी के अन्य शहरों का हाल
उत्तर प्रदेश के अन्य प्रमुख शहरों में भी प्रदूषण में थोड़ी राहत मिली है। राजधानी लखनऊ में अधिकांश इलाकों में एक्यूआई मॉडरेट श्रेणी में है, जबकि लालबाग में 221 एक्यूआई दर्ज किया गया, जो खराब हवा मानी जाती है। बुलंदशहर में एक्यूआई 269, मुजफ्फरनगर में 214, प्रयागराज (झूंसी) में 148 और वाराणसी में 136 एक्यूआई रिकॉर्ड किया गया। इन आंकड़ों से पता चलता है कि उत्तर प्रदेश के अधिकांश शहरों में हवा की गुणवत्ता अभी भी चिंताजनक या खराब श्रेणी में है, लेकिन नोएडा और गाजियाबाद में स्थिति सबसे गंभीर बनी हुई है।
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वायु गुणवत्ता सूचकांक और श्रेणियाँ
वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) के अनुसार हवा की गुणवत्ता को विभिन्न श्रेणियों में बांटा गया है:
- 101-200: चिंताजनक श्रेणी, स्वास्थ्य पर मामूली असर पड़ सकता है
- 201-300: खराब, सांस लेने में परेशानी और संवेदनशील लोगों के लिए खतरा
- 301-400: बेहद खराब, आम लोगों के लिए भी स्वास्थ्य खतरा
- 401-500: गंभीर, लंबी अवधि तक रहने से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं
नोएडा और गाजियाबाद में लगातार AQI 400 से ऊपर रहने के कारण यह क्षेत्र लोगों के लिए स्वास्थ्य दृष्टि से सबसे जोखिमपूर्ण बन गया है।
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स्वास्थ्य पर असर
विशेषज्ञों का कहना है कि लगातार खराब वायु में रहने से सांस की बीमारियाँ, अस्थमा, एलर्जी और फेफड़ों की समस्याएँ बढ़ सकती हैं। बच्चों, बुजुर्गों और हृदय रोगियों के लिए यह हवा विशेष रूप से खतरनाक है। प्रदूषण के स्तर में मामूली कमी होने के बावजूद, लोगों को मास्क पहनना, एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल और घर के अंदर रहना सलाह दी जा रही है।
कारण और स्थिति
उत्तर प्रदेश में प्रदूषण के बढ़ने के कई कारण हैं। सर्दियों में ठंडी हवाओं के कारण धुंध और धुआँ फैलता है, साथ ही वाहनों का धुआँ, औद्योगिक उत्सर्जन और पराली जलाने की वजह से वायु में विषैले कण बढ़ते हैं। दिल्ली से सटे नोएडा, गाजियाबाद और ग्रेटर नोएडा जैसे इलाकों में हवा की गुणवत्ता सबसे खराब रहती है, क्योंकि इन क्षेत्रों में औद्योगिक और यातायात का दबाव अधिक है।
लोगों के लिए सुझाव
- घर के बाहर अनावश्यक समय बिताने से बचें
- मास्क का इस्तेमाल करें, खासकर PM2.5 फिल्टर वाले मास्क
- घर के अंदर एयर प्यूरीफायर या ह्यूमिडिफायर का इस्तेमाल करें
- बच्चों और बुजुर्गों को घर के अंदर ही रखें
- बाहर व्यायाम या लंबी दूरी की गतिविधियों से बचें
नोएडा और गाजियाबाद में वायु गुणवत्ता अभी भी गंभीर स्तर पर बनी हुई है, और लोगों को सावधानी बरतने की आवश्यकता है। हालांकि शनिवार को AQI में मामूली कमी आई है, लेकिन यह हवा स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक है।
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