भारत

Toxic air in Delhi: दिल्ली की जहरीली हवा से बच्चे सबसे ज्यादा खतरे में, डॉक्टरों ने दी बड़ी चेतावनी

Toxic air in Delhi, दिल्ली और एनसीआर इलाके में प्रदूषण की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। जहरीली हवा किस हद तक लोगों को बीमार कर रही है, इसका अंदाज़ा राजधानी के अस्पतालों में बढ़ती मरीजों की संख्या से लगाया जा सकता है।

Toxic air in Delhi : दिल्ली की हवा बनी ‘साइलेंट किलर’, बच्चों के फेफड़े पर सबसे बड़ा असर

Table of Contents

Toxic air in Delhi, दिल्ली और एनसीआर इलाके में प्रदूषण की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। जहरीली हवा किस हद तक लोगों को बीमार कर रही है, इसका अंदाज़ा राजधानी के अस्पतालों में बढ़ती मरीजों की संख्या से लगाया जा सकता है। डॉक्टरों के अनुसार, इस समय सबसे अधिक प्रभावित बच्चे हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि दिल्ली-एनसीआर में हर 10 में से 8 बच्चे सांस से जुड़ी बीमारी या फ्लू जैसे लक्षणों से पीड़ित हैं। यह स्थिति बेहद गंभीर है और बच्चों की फेफड़ों की सेहत के लिए बड़ा खतरा बन चुकी है।

AQI लगातार ‘गंभीर’ श्रेणी में

दिल्ली की वायु गुणवत्ता पिछले कई दिनों से गंभीर स्तर पर बनी हुई है।

  • बुधवार सुबह 7 बजे दिल्ली का औसत AQI 373 दर्ज किया गया।
  • इससे पहले मंगलवार सुबह AQI 385 तक पहुँच चुका था।

यह लगातार ‘बहुत खराब’ से ‘गंभीर’ श्रेणी में आने वाला स्तर है, जिसमें स्वस्थ व्यक्ति भी सांस लेने में परेशानी महसूस कर सकता है। ऐसे में छोटे बच्चों के लिए स्थिति और भी अधिक खतरनाक हो जाती है, क्योंकि उनके फेफड़े पूरी तरह विकसित नहीं होते और प्रदूषक कण आसानी से असर कर जाते हैं।

अस्पतालों में बढ़ रहे छोटे मरीज

दिल्ली के मालवीय नगर स्थित रेनबो चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अनामिका दुबे के अनुसार, इस मौसम में ओपीडी में आने वाले बच्चों में अधिकतर को

  • सर्दी,
  • खांसी,
  • सांस लेने में कठिनाई,
  • सीने में जकड़न,
  • और बार-बार होने वाला फ्लू प्रभावित कर रहा है।

डॉ. दुबे कहती हैं कि 10 में से लगभग 8 बच्चे ऐसे लक्षणों के साथ अस्पताल पहुँच रहे हैं।
छोटे बच्चे, जो बोल कर अपनी समस्या नहीं बता पाते, उनमें भी भारी सांस, तेज खांसी और चिड़चिड़ापन जैसे संकेत देखे जा रहे हैं।

प्रदूषण के कारण हवा में बढ़े जहरीले तत्व

डॉक्टरों का कहना है कि प्रदूषण बढ़ने से हवा में मौजूद

  • PM2.5,
  • सल्फर डाइऑक्साइड,
  • नाइट्रोजन ऑक्साइड,
  • और अन्य जहरीली गैसें

खतरनाक स्तर पर पहुँच चुकी हैं। ये छोटे कण बच्चों के फेफड़ों में जाकर सूजन, संक्रमण और सांस संबंधी गंभीर दिक्कतें पैदा करते हैं।
विशेषकर नवजात और कम उम्र के बच्चों में फेफड़ों का संरक्षण तंत्र कमजोर होता है, इसलिए उन पर इसका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है।

नेब्युलाइज़र और एंटी-एलर्जी दवाओं की बढ़ी जरूरत

डॉ. दुबे ने बताया कि बच्चों में आजकल सांस संबंधी समस्या इतनी आम हो चुकी है कि अस्पतालों में

  • नेब्युलाइज़र,
  • इंहेलर,
  • एंटी-एलर्जी दवाएं
    की मांग और उपयोग काफी बढ़ गया है।

कई मामलों में बच्चों को घर पर नेब्युलाइज़ेशन देना पड़ रहा है। गंभीर स्थिति वाले बच्चों को अस्पताल में भर्ती करके ऑक्सीजन सपोर्ट तक देना पड़ रहा है।

Read More : Tell Me Softly On OTT: ओटीटी पर दस्तक दे रही Tell Me Softly, कब और कहां देखें यह रोमांटिक लव ट्रायंगल फिल्म?

बच्चों को तीन श्रेणियों में बांटा जा रहा है

डॉक्टरों द्वारा बच्चों को उनकी स्थिति के अनुसार तीन वर्गों में रखा जा रहा है:

1. हल्के लक्षण वाले बच्चे

इनमें केवल हल्की खांसी, जुकाम और बहती नाक जैसे संकेत होते हैं। ऐसे बच्चों का इलाज घर पर ही किया जाता है।

2. मध्यम श्रेणी के मरीज

इनमें सांस लेने में परेशानी, बार-बार खांसी और सीने में जकड़न दिखाई देती है। डॉक्टर इन्हें नेब्युलाइज़र, एंटी-एलर्जी और मॉनिटरिंग पर रखते हैं।

3. गंभीर स्थिति वाले बच्चे

ये वे बच्चे होते हैं जिन्हें

  • तेज सांस,
  • लगातार खांसी,
  • ऑक्सीजन की कमी
    की समस्या होती है। इन्हें अस्पताल में भर्ती कर इलाज किया जाता है।

डॉक्टर बताते हैं कि इन लक्षणों में एंटीबायोटिक का इस्तेमाल नहीं किया जाता, बल्कि एलर्जी और प्रदूषण से जुड़े उपचार ही दिए जाते हैं।

अस्थमा और ब्रोंकाइटिस वाले बच्चों के लिए खतरा दोगुना

जिन बच्चों को पहले से

  • अस्थमा,
  • ब्रोंकाइटिस,
  • या एलर्जी

की समस्या है, उनके लिए प्रदूषण का स्तर घातक साबित हो रहा है। इनमें सांस संबंधी परेशानी अचानक बढ़ जाती है, और कई बार इमरजेंसी की स्थिति तक बन जाती है।

Read More : Kerala couple Viral News: केरल कपल की शादी सोशल मीडिया पर छाई, एक्सीडेंट के बाद दूल्हे की इंसानियत जीती दिल

क्या करें माता-पिता?—डॉक्टरों की जरूरी सलाह

डॉ. अनामिका दुबे ने बच्चों को प्रदूषण से बचाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए:

✔ मास्क पहनाएं

घर से बाहर जाते समय बच्चों को उच्च गुणवत्ता वाला मास्क पहनाएं। 5 साल से ऊपर के बच्चों के लिए N95 मास्क बेहतर है।

✔ हाथ धोने की आदत

प्रदूषण वायरस और बैक्टीरिया के संक्रमण बढ़ा देता है, इसलिए बच्चों को नियमित हाथ धोने की आदत डालें।

✔ घर में वेंटिलेशन कंट्रोल करें

सुबह और शाम के समय प्रदूषण का स्तर अधिक रहता है, इसलिए इन घंटों में खिड़कियाँ बंद रखें।

✔ एयर प्यूरिफायर का उपयोग

यदि संभव हो तो घर में एयर प्यूरिफायर चलाएं, विशेषकर बच्चों के कमरे में।

✔ बच्चों की बाहरी गतिविधियाँ सीमित करें

खेलने या बाहर दौड़ने जैसी गतिविधियाँ हाई AQI में फेफड़ों पर ज्यादा दबाव डालती हैं।

✔ सांस लेने में कठिनाई दिखे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें

बच्चे की सांस तेज हो, नीला पड़ जाए या सीने में सीटी की आवाज़ आए तो इलाज में देर ना करें।

कब सुधरेगी दिल्ली की हवा?

मौसम विभाग के अनुसार, हवा की गति धीमी होने और तापमान गिरने के कारण फिलहाल दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर कम होने की संभावना कम है। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले कुछ दिनों तक AQI ‘गंभीर’ श्रेणी में ही बना रह सकता है, जिससे स्वास्थ्य पर असर और बढ़ सकता है।

We’re now on WhatsApp. Click to join.

अगर आपके पास भी हैं कुछ नई स्टोरीज या विचार, तो आप हमें इस ई-मेल पर भेज सकते हैं info@oneworldnews.com

Back to top button