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Sucheta Kriplani: 1 दिसंबर पुण्यतिथि, सुचेता कृपलानी के अद्भुत संघर्ष और योगदान को याद करते हुए

Sucheta Kriplani, भारत के स्वतंत्रता संग्राम और राजनीति के इतिहास में सुचेता कृपलानी एक ऐसा नाम है जिसे साहस, समर्पण और सामाजिक सेवा की मिसाल माना जाता है।

Sucheta Kriplani : सुचेता कृपलानी मृत्युदिन, स्वतंत्रता संग्राम की वीरांगना का स्मरण

Sucheta Kriplani, भारत के स्वतंत्रता संग्राम और राजनीति के इतिहास में सुचेता कृपलानी एक ऐसा नाम है जिसे साहस, समर्पण और सामाजिक सेवा की मिसाल माना जाता है। वह न केवल स्वतंत्रता आंदोलन की एक जुझारू सिपाही थीं, बल्कि स्वतंत्र भारत की पहली महिला मुख्यमंत्री बनकर उन्होंने भारतीय लोकतंत्र में महिलाओं की भागीदारी को नई दिशा दी। उनकी पुण्यतिथि पर हम उनके बहुआयामी योगदान को याद करते हैं और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

सुचेता कृपलानी का जन्म 25 जून 1908 को पंजाब के अंबाला शहर में हुआ था। उनके पिता एक सरकारी डॉक्टर थे और परिवार का वातावरण आधुनिक तथा शिक्षा समर्थक था। इसी कारण सुचेता बचपन से ही पढ़ाई-लिखाई और सामाजिक मुद्दों के प्रति संवेदनशील रहीं। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की, जहाँ उनका झुकाव सामाजिक कार्य और राष्ट्रवादी विचारों की ओर बढ़ा। शिक्षा ने ही सुचेता कृपलानी के व्यक्तित्व को मजबूत बनाया और आगे के संघर्षों का आधार तैयार किया।

क्विट इंडिया मूवमेंट में अग्रिम पंक्ति में

1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में सुचेता कृपलानी ने भूमिगत होकर देशभर में संदेश फैलाए और आंदोलन की योजनाओं को आगे बढ़ाया। वे गिरफ्तार हुईं, जेल गईं, लेकिन स्वतंत्रता की लौ उनके भीतर निरंतर जलती रही।

1947 के दंगों में राहत कार्य

भारत की आज़ादी से पहले के साम्प्रदायिक दंगों के दौरान उन्होंने हिंदू-मुस्लिम समुदायों के बीच शांति स्थापित करने और राहत कार्यों का नेतृत्व किया। वह बिना किसी भय के दंगाग्रस्त क्षेत्रों में जातीं और महिलाओं-बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करतीं।

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भारत की संविधान सभा की सदस्य

हमारे संविधान को आकार देने वाली संविधान सभा में सुचेता कृपलानी एक सक्रिय सदस्य थीं। उन्होंने संविधान के कई महत्वपूर्ण प्रावधानों पर चर्चा में भाग लिया और महिलाओं के अधिकारों तथा सामाजिक समानता के मुद्दों पर मुखरता से अपनी बात रखी। उनका योगदान यह दर्शाता है कि भारतीय संविधान में महिलाओं, श्रमिकों और कमजोर वर्गों के हितों को प्रमुखता देने में उनका भी बड़ा योगदान था।

पहली महिला मुख्यमंत्री—एक ऐतिहासिक उपलब्धि

1963 में सुचेता कृपलानी उत्तर प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। यह न केवल उनके लिए, बल्कि भारत की सभी महिलाओं के लिए गर्व का क्षण था।

कठिन परिस्थितियों में नेतृत्व

उनका कार्यकाल कई चुनौतियों से भरा था—

  • आर्थिक संकट
  • प्रशासनिक कठोरता
  • कर्मचारियों की लंबी हड़ताल

उन्होंने 62 दिनों की राज्य कर्मचारी हड़ताल को धैर्य, संवाद और सख्त प्रशासनिक फैसलों से सफलतापूर्वक समाप्त कराया।
उनकी नेतृत्व क्षमता की वजह से उन्हें एक दृढ़, अनुशासित और कुशल प्रशासक के रूप में पहचान मिली।

महात्मा गांधी के अंतिम क्षणों में साथ रहने वाली महान कार्यकर्ता

बहुत कम लोग जानते हैं कि सुचेता कृपलानी महात्मा गांधी की अंतिम संगी-साथियों में से एक थीं। गांधीजी के नोआखाली अभियान में वे उनके साथ थीं और उन्होंने गांधीजी के व्यक्तिगत कार्यों से लेकर महिला सुरक्षा तक अनेक जिम्मेदारियाँ संभालीं। गांधीजी की मृत्यु के बाद उनके अंतिम संस्कार में भी सुचेता कृपलानी महत्वपूर्ण भूमिका में दिखीं। वे न केवल राजनीतिक बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी गांधीजी की विचारधारा के बेहद निकट थीं।

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सादगी, ईमानदारी और अनुशासन की प्रतीक

सुचेता कृपलानी का जीवन अत्यंत सादगीपूर्ण था। वे न तो सत्ता का प्रदर्शन करती थीं, न ही राजनीतिक स्वार्थों के आगे झुकती थीं। एक बार उन्होंने कहा था“सत्ता सेवा का माध्यम है, स्वयं को बड़ा बनाने का नहीं।” उन्होंने खुद को हमेशा जनता के बीच रखा और राजनीति को जनसेवा का माध्यम माना।

महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत

आज जब हम राजनीति, प्रशासन और विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी देखते हैं, तो यह सुचेता कृपलानी जैसी अग्रदूतों की बदौलत ही संभव हुआ है। उन्होंने उस दौर में महिलाओं के लिए नेतृत्व का रास्ता खोला, जब समाज उन्हें राजनीति से दूर रखने का प्रयास करता था। उन्होंने दिखा दिया कि मजबूत इच्छाशक्ति और देशप्रेम के साथ कुछ भी संभव है।

मृत्यु और विरासत

सुचेता कृपलानी का निधन 1 दिसंबर 1974 को हुआ। उनके जाने पर देश ने एक सच्ची देशभक्त, निर्भीक नेता और मानवता की पुजारी को खो दिया।

लेकिन उनकी विरासत आज भी जीवित है—

  • महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी
  • मजबूत नेतृत्व
  • सादगीपूर्ण जीवन
  • देशहित के लिए समर्पण

उनका जीवन आज भी भारतीय राजनीति के लिए एक आदर्श है। सुचेता कृपलानी केवल एक नाम नहीं, बल्कि भारतीय स्त्री शक्ति का प्रतीक हैं। उन्होंने यह साबित किया कि समाज की बेड़ियाँ किसी व्यक्ति की उड़ान को रोक नहीं सकतीं।

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