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Rare Disease Day: दुर्लभ रोग दिवस, जागरूकता और संवेदनशीलता का संदेश

Rare Disease Day, दुर्लभ रोग दिवस हर साल फरवरी के आखिरी दिन (29 फरवरी या 28 फरवरी) को मनाया जाता है।

Rare Disease Day : स्वास्थ्य के अधिकार की ओर एक कदम, दुर्लभ रोग दिवस

Rare Disease Day, दुर्लभ रोग दिवस हर साल फरवरी के आखिरी दिन (29 फरवरी या 28 फरवरी) को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य दुर्लभ बीमारियों के प्रति जागरूकता बढ़ाना और मरीजों को बेहतर उपचार और सुविधाएं दिलाने के लिए समर्थन जुटाना है। यह दिन उन लाखों लोगों की आवाज उठाने का एक मंच है, जो किसी न किसी दुर्लभ बीमारी से जूझ रहे हैं।

दुर्लभ रोग क्या होते हैं?

दुर्लभ रोग वे बीमारियां होती हैं जो किसी बड़ी आबादी में बहुत कम लोगों को प्रभावित करती हैं। आमतौर पर, यूरोप में किसी बीमारी को दुर्लभ माना जाता है अगर वह 2,000 में से 1 व्यक्ति को प्रभावित करती है, जबकि अमेरिका में यह सीमा 2 लाख लोगों में 1 व्यक्ति है। भारत में दुर्लभ बीमारियों की स्पष्ट परिभाषा नहीं है, लेकिन यहां भी लाखों लोग इससे प्रभावित हैं।

दुर्लभ रोग दिवस का इतिहास

दुर्लभ रोग दिवस की शुरुआत 2008 में यूरोपियन ऑर्गनाइजेशन फॉर रेयर डिजीज (EURORDIS) द्वारा की गई थी। इसका उद्देश्य था कि सरकारें, वैज्ञानिक समुदाय और समाज इन बीमारियों के प्रति जागरूक हों और प्रभावित लोगों को बेहतर सुविधाएं मिलें। इसे फरवरी के आखिरी दिन मनाने का कारण यह है कि 29 फरवरी चार साल में एक बार आता है, जो इस दिवस को और भी विशेष बनाता है।

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दुर्लभ रोगों के प्रकार

कुछ दुर्लभ बीमारियां जन्मजात होती हैं, तो कुछ जीवन के किसी भी चरण में विकसित हो सकती हैं। कुछ प्रमुख दुर्लभ बीमारियां इस प्रकार हैं:

1. गौचर डिजीज (Gaucher’s Disease) – एंजाइम की कमी से हड्डियों और अंगों को नुकसान।

2. हंटिंगटन डिजीज (Huntington’s Disease) – न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर, जो धीरे-धीरे दिमाग को प्रभावित करता है।

3. मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (Muscular Dystrophy) – मांसपेशियों की कमजोरी और विकृति।

4. हेमोफिलिया (Hemophilia) – खून का थक्का न बनने की समस्या।

5. सिस्टिक फाइब्रोसिस (Cystic Fibrosis) – फेफड़ों और पाचन तंत्र को प्रभावित करने वाली बीमारी।

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भारत में दुर्लभ रोगों की स्थिति

भारत में दुर्लभ बीमारियों से प्रभावित मरीजों की संख्या लाखों में है, लेकिन इस क्षेत्र में जागरूकता और चिकित्सा सुविधाएं सीमित हैं। 2021 में भारत सरकार ने राष्ट्रीय दुर्लभ रोग नीति (National Policy for Rare Diseases – NPRD 2021) लॉन्च की, जिसमें आर्थिक सहायता, शोध और दवा विकास को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया।

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