Ram Mandir Flag Hoisting: अयोध्या में राम मंदिर ध्वजारोहण, पीएम मोदी ने कहा मन भावविभोर हो उठा
Ram Mandir Flag Hoisting, अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मंदिर परिसर में आयोजित ध्वजारोहण समारोह ऐतिहासिक और भावनात्मक क्षणों का साक्षी बना।
Ram Mandir Flag Hoisting : अयोध्या ध्वजारोहण समारोह, पीएम मोदी ने साझा किया वीडियो, बताया भावनाओं से भरा अनुभव
Ram Mandir Flag Hoisting, अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मंदिर परिसर में आयोजित ध्वजारोहण समारोह ऐतिहासिक और भावनात्मक क्षणों का साक्षी बना। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस शुभ अवसर का वीडियो साझा करते हुए एक्स पर एक लंबा संदेश लिखा और इसे अपने जीवन के अत्यंत भावविभोर करने वाले अनुभवों में से एक बताया। उन्होंने कहा कि राम मंदिर में ध्वजा फहराने का पवित्र क्षण सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक चेतना और राष्ट्रीय एकता का नया अध्याय है।
प्रधानमंत्री मोदी का संदेश: राष्ट्रीय गौरव और नवजागरण का प्रतीक
पीएम मोदी ने अपने संदेश में लिखा कि अयोध्या धाम के इस पावन स्थल पर ध्वजारोहण समारोह में शामिल होना मन को गहराई तक प्रभावित करने वाला क्षण है। उन्होंने इसे शुभ मुहूर्त में हुआ एक ऐसा अनुष्ठान बताया जो भारत की सांस्कृतिक विरासत, आध्यात्मिक चेतना और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है। पीएम मोदी के अनुसार, राम मंदिर पर लहराता यह ध्वज विकसित भारत के नवजागरण का प्रतीक है, जो आने वाले समय में नीति, न्याय और सुशासन का मार्गदर्शन करेगा। प्रधानमंत्री ने कामना की कि यह ध्वज हमेशा देशवासियों में ऊर्जा, प्रेरणा और एकता का भाव जगाता रहे—
“ये ध्वज विकसित भारत की ऊर्जा बने और सदैव इसी रूप में आरोहित रहे… भगवान श्री राम से मेरी यही प्रार्थना है। जय जय सियाराम।”
ध्वजारोहण के बाद संबोधन: “आज अयोध्या सांस्कृतिक उत्कर्ष का साक्षी”
समारोह में ध्वजा फहराने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने 32 मिनट का संबोधन दिया। उन्होंने कहा कि अयोध्या आज एक बार फिर सांस्कृतिक उत्कर्ष के शिखर पर खड़ी है। उन्होंने भावुक होते हुए कहा“सदियों के घाव आज भर रहे हैं। सदियों की वेदना आज विराम पा रही है। सदियों का संकल्प आज सिद्धि में बदल रहा है। भारत और विश्व आज राममय है और हर राम भक्त के हृदय में अलौकिक आनंद उमड़ रहा है।” प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में इस दिन को एक ऐसे यज्ञ की पूर्णाहुति बताया, जिसकी पवित्र अग्नि 500 वर्षों से प्रज्वलित रही। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ मंदिर का ध्वजारोहण नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और सभ्यता के पुनर्जागरण का ध्वज है।
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गरिमामयी उपस्थिति और उत्साहपूर्ण माहौल
ध्वजारोहण समारोह में कई प्रमुख हस्तियां मौजूद रहीं। इनमें शामिल थे:
- उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल
- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
- RSS प्रमुख मोहन भागवत
इन सभी की उपस्थिति में 18 फीट लंबी और 9 फीट चौड़ी धर्मध्वजा बटन दबाकर फहराई गई। जैसे ही यह ध्वज मंदिर शिखर पर लहराया, पूरे परिसर में जयघोष गूंजने लगा। जब प्रधानमंत्री मोदी मंच पर पहुंचे, तो दीर्घा से उठ रहे “जय श्री राम” के नारों का उन्होंने “सियावर रामचंद्र की जय” कहकर उत्तर दिया। पूरा वातावरण भक्ति, ऊर्जा और उल्लास से भर गया। हजारों श्रद्धालुओं ने इस अद्भुत क्षण का साक्षी बनकर अपने आप को सौभाग्यशाली महसूस किया।
500 वर्षों की प्रतीक्षा का अंत
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में बताया कि यह क्षण उन असंख्य लोगों की तपस्या, आस्था और संघर्ष को भी समर्पित है, जिन्होंने सदियों तक राम मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए कामना, प्रयास और बलिदान दिए। उन्होंने कहा “आज एक ऐसी ऐतिहासिक यात्रा अपने मुकाम पर पहुंची है, जिसका आरंभ सदियों पहले हुआ था। यह दिन उनके प्रति कृतज्ञता का भी है जिन्होंने अपने जीवन में अत्याचार और संघर्ष सहे लेकिन रामलला के प्रति समर्पण बनाए रखा।” प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि यह ध्वज भारतीय सभ्यता के पुनरुत्थान का प्रतीक है और इसका आरोहण बताता है कि भारत अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़कर विकास के नए युग में प्रवेश कर रहा है।
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ध्वजा का महत्व—एकता, नीति और समृद्धि का संदेश
ध्वजारोहण केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि भारतीय जीवन दर्शन में इसका गहरा महत्व है। पीएम मोदी ने कहा कि यह ध्वज—
- नीति और न्याय का प्रतीक है
- समरसता और सद्भाव का संदेश देता है
- सुशासन से समृद्धि की ओर ले जाने वाला पथ प्रदर्शक है
उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे यह ध्वज ऊंचाइयों को छूता है, वैसे-ही भारत विकास, समृद्धि और सांस्कृतिक उत्थान की नई ऊंचाइयों को प्राप्त करेगा।
अयोध्या के राम मंदिर में ध्वजारोहण समारोह आने वाली पीढ़ियों के लिए ऐतिहासिक स्मृति बनने जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी के शब्दों में यह सिर्फ ध्वज का आरोहण नहीं, बल्कि एक राष्ट्र की आत्मा का उत्थान है। यह समारोह भारत की सांस्कृतिक अस्मिता, भक्ति और राष्ट्रीय एकता का एक अनोखा संगम था। अयोध्या में यह पवित्र क्षण न केवल भारतीय इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज होगा, बल्कि दुनिया को भी भारत की गहरी आध्यात्मिक शक्ति और सांस्कृतिक विरासत का संदेश देगा।
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