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Rajasthan Diwas 2024: इन राजे-रजवाड़ों और रियासतों से बना है राजस्थान, रावण का भी है ससुराल

Rajasthan Diwas 2024: राजस्‍थान का शाब्दिक अर्थ राजाओं का स्‍थान होता है। यानि कि राजाओं की भूमि। चूंकि देश आजाद होने से पहले यहां अनेक राजा-महाराजाओं ने राज किया था। इससे पहले राजस्‍थान को राजपूताना के नाम से जाना जाता था और कुल 19 रियासतों को मिलाकर यह राज्‍य बना था।

Rajasthan Diwas 2024: कैसे पड़ा राजस्थान नाम, 75वें स्थापना दिवस पर जानें राज्य की खास बातें

15 अगस्त 1947 को जब देश आजाद हुआ, तब अलग-अलग राज्यों के गठन का काम शुरू हुआ। मध्य पश्चिमी भारत में कई राजाओं की रियासतें थीं। इन रियासतों का एकीकरण करके वृहत राजस्थान संघ की स्थापना की गई, जिसे राजपुताना नाम से भी जाना जाता था। पहले अलवर, भरतपुर, धौलपुर और करौली की रियासतों को एक किया गया। बाद में जयपुर, जोधपुर, जैसलमेर और बीकानेर की रियासतों का भी विलय गिया गया। कुल 7 चरणों में राजस्थान का एकीकरण हुआ, जिसे 30 मार्च 1949 को अंतिम रूप दिया गया। राजस्थान के एकीकरण में सरदार वल्लभ भाई पटेल का विशेष योगदान रहा। हर वर्ष 30 मार्च को राजस्थान का स्थापना दिवस मनाया जाता है। 30 मार्च 2024 को राजस्थान 75 साल का हो जाएगा।

जानकारी हो कि राजस्‍थान का शाब्दिक अर्थ राजाओं का स्‍थान होता है। यानि कि राजाओं की भूमि। चूंकि देश आजाद होने से पहले यहां अनेक राजा-महाराजाओं ने राज किया था। इससे पहले राजस्‍थान को राजपूताना के नाम से जाना जाता था और कुल 19 रियासतों को मिलाकर यह राज्‍य बना था। इस दिन को राजस्थान के लोगों की वीरता, दृढ़ इच्छाशक्ति और बलिदान को नमन किया जाता है। राजस्थान दिवस को ही राजस्‍थान स्‍थापना दिवस भी कहते हैं।

हर थोड़ी दूर पर बदल जाती है भाषा

मालूम हो कि राजस्थान की खासियत भी यही है कि यहां पर हर थोड़ी दूरी पर भाषा का अंदाज बदल जाता है। इस भाषा में अधिक मात्रा में लोक गीत, संगीत, नृत्य, नाटक, कथा, कहानी आदि उपलब्ध है। हालांकि इस भाषा को संवैधानिक मान्यता प्राप्त नहीं है। इस कारण इसे स्कूलों में पढ़ाया भी नहीं जाता है। रंगीलो राजस्थान के कई तरह के लोक नृत्य, व्यंजन व अनेकों भाषाओं के मिश्रित समूह को राजस्थानी भाषा का नाम दिया गया है।

राजस्थान का इतिहास

राजस्थान का अस्तित्व प्रागैतिहासिक काल से ही मिलता है। मेवाड़, मारवाड़, जयपुर, बुंदी, कोटा, भरतपुर और अलवर बड़ी रियासतें थीं। यहां चौहान, परमार, राठौड़, गहलोत वंशों का राज रहा है। मुगल और बाहरी आक्रमणों ने यहां के इतिहास को शौर्य गाथाओं से भर दिया। स्वाभिमान की जंग में पृथ्वी राज और महाराणा प्रताप से लेकर राणा सांगा, राणा कुंभा जैसे शूरवीर इस इतिहास को सहेजे रखा, वहीं तराइन, रणथंभौर, चित्तौड़, खानवा से लेकर हल्दी घाटी जैसे कई ऐतिहासिक युद्ध भी राजस्थान की धरती पर लड़े गए।

किन राजे-रजवाड़ों और रियासतों से बना है राजस्थान

सबसे पहले अलवर, भरतपुर, धौलपुर और करौली की रियासतों का एकीकरण किया गया था। बाद में इसमें जयपुर, जोधपुर, जैसलमेर और बीकानेर की रियासतों का भी इसमें विलय गिया गया। इतिहास बताता है कि कुल सात चरण में राजस्थान का एकीकरण हुआ। एकीकरण का यह काम 30 मार्च 1949 को पूरा हुआ था। इसे राजस्थान नाम देने के पीछे भी एक बड़ा कारण है। आजादी से पहले यहां अलग-अलग रियासतें थी। इनमें अलग-अलग राजा शासन करते थे। राजपरिवारों का शासन वंशानुगत चलता था। आजादी के बाद जब देश में लोकतंत्र लागू हुआ तो राजाओं का शासन खत्म हो गया। शासन जनता के जरिए तय किया जाने लगा। चूंकि यह स्थान पहले राजाओं का स्थान रहा है, इसी वजह से इस प्रदेश का नामकरण भी राजस्थान के नाम से किया गया।

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राजस्थान में प्रमुख हैं 13 किले

राजस्थान में कई किले हैं। इनमें 13 प्रमुख हैं। इनमें जयपुर का आमेर और जयगढ़ किला, जोधपुर का मेहरानगढ़ किला, राजसमंद का कुम्भलगढ़ किला, सवाई माधोपुर का रणथम्भोर किला, बीकानेर का जूनागढ़ किला,भरतपुर का लोहागढ़ किले की दुनियाभर में पहचान है। अन्य किलों और महलों में गागरौन किला, जैसलमेर, सिरोही का अचलगढ़, नागौर का अहिछत्रगढ़, जालौर दुर्ग, सिरोही का खिमसर किला, अवलर का निमराणा किला, सिटी पैलेस आदि भी प्रसिद्ध हैं। अभेद किलों के साथ रानियों के रहने के लिए आलीशान महल भी बने हुए थे।

देश का है सबसे बड़ा राज्य

राजस्थान देश का सबसे बड़ा राज्य है। इसका क्षेत्रफल तीन लाख 42 हजार 239 वर्ग किलोमीटर है। यह देश का 1/10 भूभाग है। राजस्थान में अभी तक सात संभाग और 33 जिले थे। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 18 मार्च को दो जिलों का विलय करते हुए 19 नए जिले और तीन नए संभाग के गठन की घोषणा की। इसके बाद से अब राजस्थान में कुल 10 संभाग और 50 जिले हो गए हैं। हालांकि नए जिलों और संभागों का नोटिफिकेशन अभी जारी नहीं हुआ है।

जैसलमेर की अपनी अलग पहचान

पर्यटन के नक्शे में राजस्थान की विशेष पहचान है। यहां दर्जनों ऐसे पर्यटन स्थल है, जहां रोजाना हजारों की संख्या में देसी-विदेशी पर्यटक आते हैं। वहीं धरोहरों की धरती जैसलमेर की अपनी अलग पहचान है। वहां हिचकोले खाते पर्यटक ऊंटों की सवारी का आनन्द लेते देखे जा सकते हैं। झीलों की नगरी उदयपुर हो या पिंक सिटी जयपुर, पर्यटन की दृष्टि से यहां कई दर्शनीय स्थान हैं।

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राजस्‍थान के बारे में रोचक फैक्‍ट

  • 342,239 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के लिहाज से राजस्‍थान भारत का सबसे बड़ा राज्‍य है।
  • राजस्‍थान के भू-भाग का 60 फीसदी हिस्‍सा थार मरुस्‍थल में स्थित है। थार भारत का सबसे बड़ा रेगिस्‍तान भी है।
  • रावण का ससुराल राजस्‍थान में है। कहा जाता है कि रावण की पत्‍नी मंदोदरी राजस्‍थान के जोधपुर के मंडोर की रहने वाली थी।
  • दुनिया में ब्रह्मा जी का एकमात्र मंदिर राजस्‍थान के अजमेर जिले के पुष्‍कर में स्थित है।
  • राजस्‍थान आबादी के लिहाज से भारत का सातवां सबसे बड़ा राज्‍य है।

राजस्थान के प्रतीक चिन्ह

  • पुष्प रोहिडा
  • राज्य वृक्ष खेजड़ी पेड़
  • राज्य पक्षी गोडावण पक्षी
  • राज्य नृत्य घूमर
  • राज्य खेल बास्केट बॉल
  • राज्य पशु चिंकारा तथा ऊंट

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vrinda

मैं वृंदा श्रीवास्तव One World News में हिंदी कंटेंट राइटर के पद पर कार्य कर रही हूं। इससे पहले दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण और नवभारत टाइम्स न्यूज पेपर में काम कर चुकी हूं। मुझसे vrindaoneworldnews@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।
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