Prakash Singh: भारत विरोधी साजिश नाकाम, पाक इंटेलिजेंस को सूचना देने वाला प्रकाश सिंह गिरफ्तार
Prakash Singh, राजस्थान पुलिस की सीआईडी इंटेलिजेंस विंग ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए काम कर रहे एक जासूस को श्री गंगानगर से गिरफ्तार कर एक बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश किया है।
Prakash Singh : राजस्थान में जासूसी कांड! पाकिस्तान के लिए काम कर रहे प्रकाश सिंह का पर्दाफाश
Prakash Singh, राजस्थान पुलिस की सीआईडी इंटेलिजेंस विंग ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए काम कर रहे एक जासूस को श्री गंगानगर से गिरफ्तार कर एक बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश किया है। पकड़ा गया आरोपी पंजाब के फिरोजपुर निवासी प्रकाश सिंह उर्फ बादल (34) है, जो पिछले कई महीनों से भारतीय सैन्य क्षेत्रों पर नजर रखकर पाकिस्तान को संवेदनशील जानकारी भेज रहा था। जांच में सामने आया है कि आरोपी ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी आईएसआई के संपर्क में सक्रिय था।
कैसे पकड़ा गया जासूस? संदिग्ध गतिविधियों से टूटा राज
सीआईडी सूत्रों के मुताबिक, 27 नवंबर को श्री गंगानगर के साधुवाली सैन्य क्षेत्र के पास उसकी संदिग्ध गतिविधियां देखी गईं। बॉर्डर इंटेलिजेंस टीम ने तुरंत कार्रवाई की और मौके पर ही उसे हिरासत में ले लिया। उसके मोबाइल फोन की जांच में कई हैरान कर देने वाले डेटा मिले—
- पाकिस्तानी एजेंटों के साथ उसकी व्हाट्सऐप चैट
- सैन्य ठिकानों की तस्वीरें
- वीडियो क्लिप
- सेना की मूवमेंट से जुड़ी जानकारी
- कई फर्जी वॉट्सऐप अकाउंट्स
डिजिटल सबूतों ने साफ कर दिया कि युवक काफी समय से दुश्मन देशों को भारतीय सेना से जुड़ी संवेदनशील जानकारी मुहैया करा रहा था।
कौन है गिरफ्तार हुआ आरोपी?
पकड़े गए व्यक्ति की पहचान प्रकाश सिंह उर्फ बादल, निवासी भांभा हाजी, फिरोजपुर (पंजाब) के रूप में हुई है। सूत्र बताते हैं कि वह अक्सर राजस्थान, पंजाब और गुजरात के विभिन्न सैन्य इलाकों में घूमकर सेना के वाहनों, पुलों और कैंटोन्मेंट क्षेत्रों की गतिविधियों पर नजर रखता था। उसकी गतिविधियां इतनी सुव्यवस्थित तरीके से होती थीं कि वह सैन्य क्षेत्रों की तस्वीरें खींचकर और वीडियो बनाकर पाकिस्तान भेज देता था।
कैसे बनाता था फर्जी अकाउंट्स? जांच में बड़ा खुलासा
जांच अधिकारियों ने पाया है कि युवक तकनीकी रूप से काफी चालाक था। वह दूसरों के मोबाइल नंबरों पर आने वाले ओटीपी का दुरुपयोग कर फर्जी व्हाट्सऐप अकाउंट बनाता था।
इन अकाउंट्स के जरिये—
- आईएसआई के हैंडलर उससे संपर्क करते
- उसे टास्क देते
- और हर गतिविधि की रिपोर्ट की मांग करते
बताया गया है कि पाकिस्तान की ओर से उसे इसके बदले नकद भुगतान भी मिलता था। कुछ ट्रांजैक्शन डिटेल्स जांच एजेंसियों के radar पर आ चुकी हैं।
आईएसआई से संपर्क की पुष्टि कैसे हुई?
सीआईडी इंटेलिजेंस के आईजी प्रफुल्ल कुमार के अनुसार, आरोपी के फोन की फोरेंसिक जांच में कई पाकिस्तानी नंबरों के साथ नियमित चैटिंग मिली।
ये वार्तालाप मुख्य रूप से—
- लोकेशन शेयरिंग
- सैन्य मूवमेंट
- संवेदनशील फोटो
- और सीमावर्ती स्थितियों की रिपोर्ट
से जुड़े हुए थे।
फोन में मिले डेटा से पता चला कि पाकिस्तान में बैठे उसके हैंडलर्स उससे ‘रूट मैप’, ‘रोड कंडीशन’, ‘सैन्य वाहनों की संख्या’ जैसी सूचनाएं मांगते थे जिन्हें वह फौरन भेज देता था।
जॉइंट इंटरोगेशन में कई खुलासे
गिरफ्तारी के बाद प्रकाश सिंह को जॉइंट इंटरोगेशन सेंटर, श्री गंगानगर और बाद में जयपुर शिफ्ट किया गया, जहां सेना की इंटेलिजेंस, सीआईडी, स्पेशल ब्रांच और अन्य केंद्रीय एजेंसियों ने उससे कई घंटे पूछताछ की।
पूछताछ में पता चला—
- वह पिछले कई महीनों से आईएसआई के लिए रेकी कर रहा था
- ऑपरेशन सिंदूर के दौरान आईएसआई ने उसे कई लोकेशन भेजने को कहा
- उसके नेटवर्क में राजस्थान और पंजाब के कुछ और लोग भी जुड़े हो सकते हैं
इन तथ्यों की पुलिस क्रॉस-वेरिफिकेशन कर रही है।
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मुकदमा दर्ज, आधिकारिक गिरफ्तारी
जांच पूरी होने के बाद,1 दिसंबर को स्पेशल पुलिस स्टेशन, जयपुर में उसके खिलाफ ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट, 1923 के तहत केस दर्ज किया गया। फिलहाल, उसके मोबाइल फोन, चैटिंग डेटा, बैंक डिटेल्स और यात्रा रिकॉर्ड्स की पेचीदगियों को खंगाला जा रहा है। पुलिस के अनुसार, आरोपी ने किस-किस क्षेत्र में फोटो खींची, किन-किन लोगों से मिला और उसके नेटवर्क का दायरा कितना बड़ा है—इन सभी सवालों पर गहन जांच जारी है।
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क्या हो सकती है आगे की कार्रवाई?
भारत में किसी भी दुश्मन देश के लिए जासूसी करना गंभीर अपराध है और देश की सुरक्षा के साथ सीधा खिलवाड़ माना जाता है। ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट के तहत दोष साबित होने पर—
- 14 साल तक की सजा
- भारी जुर्माना
- और कठोर निगरानी
हो सकती है।
एजेंसियां अब यह भी पता लगा रही हैं कि—
- क्या वह किसी बड़े मॉड्यूल का हिस्सा था?
- क्या पाकिस्तान से उसके एक से ज्यादा हैंडलर जुड़े थे?
- क्या इसी नेटवर्क के जरिए दूसरे लोग भी भारत-विरोधी गतिविधियों में शामिल थे?
जांच पूरी होने के बाद कई और गिरफ्तारियां संभव हैं।
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