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Pilot Baba Ki Kahani: आज हरिद्वार में पायलट बाबा को दी जाएगी समाधि, खुद चुना था स्थान, महाभारत के 'अश्‍वत्‍थामा' से भी मिल चुके हैं बाबा, एक्ट्रेस मनीषा कोयराला को दी थी दीक्षा
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Pilot Baba Ki Kahani: आज हरिद्वार में पायलट बाबा को दी जाएगी समाधि, खुद चुना था स्थान, महाभारत के ‘अश्‍वत्‍थामा’ से भी मिल चुके हैं बाबा, एक्ट्रेस मनीषा कोयराला को दी थी दीक्षा

Pilot Baba Ki Kahani: श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़ा के महामडंलेश्वर ब्रह्मलीन संत पायलट बाबा का मंगलवार को निधन हो गया। उनका पार्थिव शरीर बुधवार को हरिद्वार के कनखल स्थित उनके आश्रम में लाया गया। श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमहंत नारायण गिरि ने बताया कि गुरुवार को श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक श्रीमहंत हरि गिरि के दिशा-निर्देशन एवं अभिजीत मुहूर्त में 11 बजकर 55 मिनट पर ब्रह्मलीन संत पायलट बाबा को उनके कनखल स्थित आश्रम में भू-समाधि दी जाएगी।

Pilot Baba Ki Kahani: वायुसेना में रहते हुए पायलट बाबा ने किए कई कारनामे, विवादों से था गहरा नाता

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श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़ा के महामडंलेश्वर ब्रह्मलीन संत पायलट बाबा का मंगलवार को निधन हो गया। उनका पार्थिव शरीर बुधवार को हरिद्वार के कनखल स्थित उनके आश्रम में लाया गया। श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमहंत नारायण गिरि ने बताया कि गुरुवार को श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक श्रीमहंत हरि गिरि के दिशा-निर्देशन एवं अभिजीत मुहूर्त में 11 बजकर 55 मिनट पर ब्रह्मलीन संत पायलट बाबा को उनके कनखल स्थित आश्रम में भू-समाधि दी जाएगी। यही उनकी अंतिम इच्छा थी। पायलट बाबा मंगलवार को मुंबई के एक निजी अस्पताल में ब्रह्मलीन हो गए थे। वो लंबी बीमारी से पीड़ित थे।

पायलट बाबा के इंस्टाग्राम अकाउंट के माध्यम से उनके निधन की जानकारी दी गई थी। जहां लिखा गया था- ओम नमो नारायण, भारी मन से और अपने प्रिय गुरुदेव के प्रति गहरी श्रद्धा के साथ, दुनिया भर के सभी शिष्यों, भक्तों को सूचित किया जाता है कि हमारे पूज्य गुरुदेव महायोगी पायलट बाबाजी ने आज महासमाधि ले ली है। उन्होंने अपना नश्वर शरीर त्याग दिया है। यह समय हम सभी के लिए अपने घरों में रह कर प्रार्थना करने का है। कृपया परेशान न हों। यह समय शांत रहने और उनके प्रति आभार व्यक्त करने का है।

रोहतास के बिशनपुरा गांव में हुआ था बाबा का जन्म

पायलट बाबा का जन्म रोहतास जिले के बिशनपुरा गांव में 1938 में हुआ था। उनके पिता का नाम चंद्रमा सिंह और माता का नाम तपेश्वरी देवी था। उन्होंने काशी विश्व हिंदू विश्वविद्यालय से ऑर्गेनिक केमिस्ट्री में एमएससी की शिक्षा प्राप्त की थी। इसके बाद वह भारतीय वायु सेना में बतौर पायलट भर्ती हो गए। पायलट बाबा ने साल 1962 के भारत चीन युद्ध में हिस्सा लिया। इसके अलावा 1965 और 1971 के युद्ध में भी उन्होंने हिस्सा लिया था। लेकिन बाद में उन्होंने संन्यास ले लिया।

योग विद्या में सिद्धस्थ थे पायलट बाबा Pilot Baba Ki Kahani

उनका नाम कपिल अद्वैत सामनाथ गिरी था, लेकिन भक्तों में वो पायलट बाबा के नाम से जाने जाते थे। पायलट बाबा योग विद्या में सिद्धस्थ थे। पायलट बाबा लंबे समय तक समाधि, या मुत्यु जैसी शारीरिक अवस्था में प्रवेश करने के लिए जाने जाते थे। उनकी समाधि प्रायः जमीन के नीचे होती थी। पायलट बाबा का पहला आश्रम हरिद्वार में बनाया गया था। अखाड़े से उन्हें दीक्षा मिली तो महामंडलेश्वर की उपाधि हासिल कर ली। देश और विदेश तक में उन्होंने जितने श्रद्धालु जोड़े उतने ही उनके आश्रम भी बनते गए।

संपत्ति को लेकर हो सकता है विवाद Pilot Baba Ki Kahani

अकूत संपत्ति के मालिक पायलट बाबा 2021 में ही हरिद्वार आश्रम के पीछे एक विवादित भूमि में अपना समाधि स्थल भी तैयार कर गए थे। अनुयायी बताते हैं कि दूर दृष्टि वाले पायलट बाबा ने अपनी अंतिम इच्छा तो बता दी, लेकिन अपने उत्तराधिकार को लेकर उन्होंने कोई निर्णय किसी को नहीं बताया। यही वजह है कि अब पायलट बाबा के गोलोक सिधारने के बाद संपत्ति का विवाद सामने आएगा। हालांकि श्री पंचदश नाम जूना अखाड़ा भी इसके लिए तैयार है। किसी भी अराजक तत्व का आश्रम में प्रवेश न हो सके इसके लिए निधन की सूचना के बाद ही आश्रम के मुख्य द्वार पर ताला लगा दिया गया। जो अंदर हैं वह अंदर रह रहे हैं बाहर से जाने वालों को प्रवेश नहीं दिया गया।

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रूस, यूक्रेन और जापान में हैं बाबा के अनुयायी Pilot Baba Ki Kahani

पायलट बाबा के सबसे ज्यादा अनुयायी रूस, यूक्रेन और जापान में हैं। उन्होंने भारत मैदानी और गढ़वाल कुमाऊं में भी कई आश्रम बनाए हैं। महामंडलेश्वर पायलट बाबा के निधन के बाद संपत्ति विवाद का मामला तूल पकड़ेगा ऐसा माना जा रहा है। पायलट बाबा के शिष्य बताते हैं कि उन्होंने अपने जीवित रहते ही तीन वर्ष पूर्व समाधि स्थल चयन किया था। निधन की सूचना के बाद ही व्यवस्थापकों ने अंदर से मुख्य द्वार को बंद कर दिया।

महाभारत कालीन अश्‍वत्‍थामा से मिल चुके हैं पायलट बाबा Pilot Baba Ki Kahani

आपको बता दें कि बाबा के संन्‍यास ग्रहण करने के बाद उन्‍होंने 16 वर्षों तक हिमालय में तपस्‍या की थी। अपनी किताबों Unveils mystery of Himalaya (Part 1) और Discover secret of the Himalaya (Part 2) में उन्‍होंने अपने अनुभवों को पिरोया है। इनमें उन्‍होंने दावा किया कि वो महाभारत कालीन अश्‍वत्‍थामा से मिले। अश्‍वत्‍थामा के बारे में कहा जाता है कि महाभारत में भगवान कृष्‍ण ने उनको श्राप दे दिया था कि वो कलियुग के समाप्‍त होने तक नहीं मरेंगे। तब से ही उनको चिंरजीवी माना जाता है।

110 बार ले चुके हैं समाधि Pilot Baba Ki Kahani

पायलट बाबा ने इसी तरह महावतार बाबाजी, कृपाचार्य से मिलने का भी दावा किया। अपनी किताबों में उन्‍होंने समाधि के रहस्‍यों और विज्ञान के बारे में भी बताया। उनका दावा था कि उन्‍होंने 110 बार समाधि ली। 1996 में एक इंटरव्‍यू के दौरान उन्‍होंने अपनी जिंदगी के टर्न लेने का किस्‍सा सुनाया था। उन्‍होंने बताया था कि एक बार जब वह नॉर्थ-ईस्‍ट में मिग एयरक्राफ्ट के साथ उड़ान भर रहे थे तो उनके फाइटर प्‍लेन में तकनीकी बाधा उत्‍पन्‍न हो गई और वो उनके कंट्रोल से बाहर हो गया।

चमत्कारी घटना का किया था जिक्र Pilot Baba Ki Kahani

उन्‍होंने कुछ ही पलों में अपने जिंदा रहने की आशा खो दी और अपने आध्‍यात्मिक गुरु हरि बाबा का स्‍मरण करने लगे। उन्‍होंने महसूस किया कि उनके गुरु कॉकपिट में मौजूद हैं और सेफ लैंडिंग के लिए गाइड कर रहे हैं। प्‍लेन ने सुरक्षित लैंडिंग की और वो सकुशल बाहर आए। इस चमत्‍कारिक घटना के बाद उनको वैराग्‍य प्राप्‍त हो गया था। उन्‍होंने 33 साल की उम्र में वायुसेना से रिटायरमेंट लिया और संन्‍यास ले लिया।

1976 में पहली बार ली थी समाधि Pilot Baba Ki Kahani

पायलट बाबा ने दावा किया था कि उन्‍होंने 1976 में पहली बार समाधि ली। उसके बाद पूरे जीवन में उन्‍होंने करीब 110 बार समाधि ली। कई बार ऐसा भी हुआ कि लोगों को लगा कि समाधि के बाद अब वो वापस नहीं लौटेंगे लेकिन वो वापस आ गए। उनकी ये बात लोगों के बीच गहरे आकर्षण का कारण भी रही। उन्‍होंने इसके विज्ञान और रहस्‍यों के बारे में बताया था कि इसे हर कोई नहीं कर सकता। इसके लिए शरीर में संतुलन और धैर्य का संगम होना चाहिए।

वायुसेना में रहते हुए पायलट बाबा ने किए कई कारनामे Pilot Baba Ki Kahani

समाधि की अवस्‍था को वो मृत्‍यु से पार जाने वाली बात कहते थे। समाधि की अवस्‍था में व्‍यक्ति बाहरी दुनिया से पूरी तरह से अलग हो जाता है और अपने भीतर की तरफ ध्‍यान केंद्रित करता है। आपको बता दें कि वायुसेना में रहते हुए पायलट बाबा ने कई कारनामे किए। 1965 के युद्ध के दौरान पायलट बाबा ने पाकिस्‍तानी शहरों के ऊपर अपने जीएनएटी विमान से बेहद नीचे उड़ान भरी, जो एक रिकॉर्ड है।

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पाकिस्तान के उड़ा दिए थे छक्के Pilot Baba Ki Kahani

पाक सेना को यकीन ही नहीं था कि कोई भारतीय विमान इतने नीचे भी उड़ सकता है। इस दौरान उन्‍होंने पाकिस्‍तान को काफी नुकसान पहुंचाया था। 1971 में भी पायलट बाबा ने पाकिस्‍तान की नाक में दम कर दिया था। इसके लिए भारत सरकार द्वारा उन्‍हें सम्‍मानित भी किया गया था। कई नेताओं के पायलट बाबा से अच्‍छे संबंध रहे। कई बॉलीवुड की हस्तियां भी पायलट बाबा को बेहद मानती थीं। सेना से रिटायर होने के बाद पायलट बाबा कुछ दिन बॉलीवुड में भी रहे थे।

मनीषा कोयराला को दी थी दीक्षा Pilot Baba Ki Kahani

उन्होंने एक फूल दो माली जैसी सफल फिल्में की। इसके बाद वह पूरी तरह से वैरागी बन गए थे। अध्यात्मिक जीवन अपनाने के बाद प्रसिद्ध अभिनेत्री मनीषा कोयराला को दीक्षा दी। वहीं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत देश की कई बड़ी हस्तियां बाबा के सामने शीश झुकाती थीं। पायलट बाबा का विवादों से गहरा नाता था। सेना में नौकरी के दौरान उनके ऊपर मनमानी का आरोप लगा था। वहीं सन्यासी बनने के बाद पहला विवाद कुंभ मेले में भक्तों के ऊपर गाड़ी चढ़ाने के आरोप लगे।

विवादों से रहा बाबा का गहरा नाता Pilot Baba Ki Kahani

यह मामला साल 2010 के कुंभ का है। 14 अप्रैल को शाही स्नान के लिए जब पायलट बाबा का काफिला निकला तो कई लोग वाहनों से कुचल गए थे। वहीं कई लोग जान बचाने के लिए नदी में कूदे तो कुछ बह गए। इस संबंध में उनके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया गया था। इसी प्रकार हाथरस में उनके चरणरज लेने के लिए भगदड़ मची थी। फिर नैनीताल में जमीन कब्जाने का मुकदमा दर्ज हुआ था। इस मामले में वह जेल भी गए थे। बाबा का एक स्टिंग ऑपरेशन भी हुआ था, जिसमें वह काले धन को सफेद कर रहे थे।

सरकारी जमीन पर बनवा लिया था हैलीपैड Pilot Baba Ki Kahani

पायलट बाबा का आश्रम उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से 25 किमी दूर गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर कुमाल्टा गांव में है। यहां हमेशा देशी विदेशी भक्त आते जाते रहते हैं। हालांकि पायलट बाबा इनकी सूचना कभी भी पुलिस और प्रशासन को नहीं देते थे। जबकि ऐसा करना अनिवार्य होता है। इसको लेकर पुलिस हमेशा परेशान रहती थी। यही नहीं, पायलट बाबा ने अपने आश्रम के लिए न केवल सरकारी जमीन कब्जा ली, बल्कि संवेदनशील इलाके में हेलीपैड भी बना लिया था।

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vrinda

मैं वृंदा श्रीवास्तव One World News में हिंदी कंटेंट राइटर के पद पर कार्य कर रही हूं। इससे पहले दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण और नवभारत टाइम्स न्यूज पेपर में काम कर चुकी हूं। मुझसे vrindaoneworldnews@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।
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