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New paradigm of faith in ayodhya: आस्था का नया प्रतीक, PM मोदी पहुंचेंगे अयोध्या, 732 मीटर परकोटे की भव्यता पर सबकी नजरें

New paradigm of faith in ayodhya, अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि परिसर में एक बार फिर आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिलने वाला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को राम मंदिर के स्वर्ण शिखर पर ध्वजारोहण के लिए अयोध्या पहुंच रहे हैं।

New paradigm of faith in ayodhya : अयोध्या में PM मोदी का विशेष कार्यक्रम, राम मंदिर के अद्भुत परकोटे में क्या है खास?

New paradigm of faith in ayodhya, अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि परिसर में एक बार फिर आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिलने वाला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को राम मंदिर के स्वर्ण शिखर पर ध्वजारोहण के लिए अयोध्या पहुंच रहे हैं। इस दौरान वे न केवल मुख्य मंदिर के गर्भगृह में विराजमान रामलला के दर्शन करेंगे, बल्कि परिसर में बने 14 पूरक मंदिरों में भी विशेष पूजा-अर्चना करेंगे। यह दौरा केवल एक औपचारिक यात्रा नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति, आस्था और ऐतिहासिक मूल्यों का संयुक्त उत्सव है।

मुख्य मंदिर के साथ पूरक मंदिरों की भव्यता

राम मंदिर अपनी अलौकिक वास्तुकला और दिव्य आस्था के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। लेकिन उसके साथ-साथ पूरक मंदिर भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं। इन पूरक मंदिरों में सनातन परंपरा के प्रमुख देवी-देवताओं और त्रेतायुगीन प्रेरक पात्रों की प्रतिमाएँ स्थापित की गई हैं। 161 फीट ऊँचे मुख्य शिखर और पाँच उप-शिखरों से सुसज्जित मंदिर के आसपास कई अन्य छोटे शिखर श्रृंखलाबद्ध हैं, जो इसकी संपूर्ण भव्यता को और अधिक बढ़ाते हैं। मुख्य मंदिर से बिल्कुल सटे छह पूरक मंदिर समान ऊँचाई और समान आधार पर निर्मित हैं, जो वास्तुकला में संतुलन और सामंजस्य का संदेश देते हैं।

वैदिक पंचदेव व अन्य देवताओं के पूरक मंदिर

राम मंदिर के परकोटे में स्थित पूरक मंदिरों में वैदिक पंचदेव परंपरा का सुंदर संगम देखने को मिलता है। यहाँ स्थापित हैं—

  • भगवान शिव
  • भगवान गणेश
  • भगवान सूर्य
  • आदि शक्ति मां दुर्गा

इसके अलावा परकोटे की दक्षिणी भुजा के मध्य में हनुमानजी का मंदिर स्थित है, जो राम भक्तों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है। उत्तरी भुजा के मध्य में मां अन्नपूर्णा का मंदिर स्थापित किया गया है, जिसके दर्शन समृद्धि और कृपा का प्रतीक माने जाते हैं।

सप्तर्षि मंडप: ऋषियों की तपोभूमि का आधुनिक स्वरूप

राम मंदिर के परकोटे के आग्नेय कोण पर स्थित सप्तर्षि मंडप में सात महत्वपूर्ण ऋषियों और त्रेतायुगीन पात्रों के मंदिर स्थापित हैं। इनमें शामिल हैं—

  • महर्षि वाल्मीकि
  • वशिष्ठ ऋषि
  • विश्वामित्र ऋषि
  • अगस्त्य ऋषि
  • निषादराज गुह
  • शबरी
  • देवी अहिल्या

ये सभी पात्र श्रीराम के जीवन, दर्शन और यात्राओं से गहराई से जुड़े हैं। प्रधानमंत्री जब इन मंदिरों में दर्शन करेंगे, तो यह केवल पूजा नहीं, बल्कि सामाजिक और आध्यात्मिक समरसता का संदेश होगा।

जटायु की वीरता का सम्मान: कुबेर टीला की भव्य प्रतिमा

रामजन्मभूमि परिसर केवल धार्मिक महत्व ही नहीं, बल्कि सृष्टिगत समरसता का भी प्रतिनिधित्व करता है। इसका सर्वोच्च उदाहरण है गिद्धराज जटायु की विशाल प्रतिमा, जो कुबेर टीला पर स्थित है। जटायु वह वीर थे जिन्होंने माता सीता को बचाने के लिए रावण से युद्ध करते हुए अपने प्राण बलिदान कर दिए थे। इस वीरता और त्याग को ध्यान में रखते हुए परिसर में उनकी भव्य प्रतिमा स्थापित की गई है। संभावना है कि प्रधानमंत्री मोदी कुबेर टीला पहुंचकर जटायु को नमन करेंगे। यह केवल श्रद्धांजलि नहीं, बल्कि धर्म, साहस और कर्तव्यनिष्ठा के प्रतीक को सम्मान देने का क्षण होगा।

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लक्ष्मण मंदिर: शेषावतार की महिमा

श्रीराम जन्मभूमि परिसर में लक्ष्मणजी के मंदिर का विशेष महत्व है। शेषावतार लक्ष्मण हमेशा भगवान श्रीराम के साथ छाया की तरह रहे। इस मंदिर की भव्यता और शांत वातावरण भक्तों को रामभक्ति के सच्चे अर्थ का बोध कराती है। प्रधानमंत्री का तीन घंटे के इस प्रवास में यहाँ भी दर्शन करना लगभग निश्चित माना जा रहा है। राम परिवार के इस महत्वपूर्ण मंदिर की आध्यात्मिक महत्ता हर भक्त की भावनाओं को गहराई से स्पर्श करती है।

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अयोध्या में आस्था का व्यापक संदेश

प्रधानमंत्री का यह दौरा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक एकता, आध्यात्मिकता और परंपरागत मूल्यों का उत्सव है। राम जन्मभूमि परिसर आज केवल एक मंदिर का रूप नहीं, बल्कि विविधता में एकता और समरसता का संदेश देने वाला आध्यात्मिक पथ बन चुका है। रामलला के गर्भगृह से लेकर सप्तर्षि मंडप तक, और जटायु प्रतिमा से लेकर लक्ष्मण मंदिर तक हर कदम एक कहानी कहता है, एक मूल्य सिखाता है और भारतीय संस्कृति की गहराई को उजागर करता है।

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