रक्त की कमी से जूझ रहे है देश के 58 फीसदी बच्चे
58 फीसदी बच्चे रक्त की कमी से जूझ रहे है
भारत एक विकासशील देश है। लेकिन आज भी कई लोग ऐसे है जिन्हें सही से तीन टाइम का खाना भी नसीब नहीं हो पाता है। इन सबसे ज्यादा प्रभावित है हमारे देश का नन्हा बचपन और हम देश को डिजिटल बनाने की बात कर रहे है। आपको यह जान कर हैरानी होगी की हमारे देश के 58 फीसदी बच्चे रक्त की कमी से जूझ रहे है।
एनीमिक से जूझ रहे हैं बच्चे
फैमिली हेल्थ सर्वे के अनुसार देश में पांच साल तक के 58 बच्चे रक्त की कमी की से जूझ रहे हैं। रक्त की कमी यानि की एनीमिक से झूझ रहे हैं। एनीमिक होने का मतलब है रक्त में हेमोग्लोबिन की कमी होना। एनीमिक के कारण ही बच्चों में बीमारी होना का खतरा बना रहता है। इसी वजह से इन बच्चों का मानसिक विकास नही हो पाता है।
साल 2015-16 में देश के लगभग 6 लाख घरों में किये गये इस सर्वे के नतीजे स्वस्थ मातृत्व और स्वस्थ बचपन के हमारे नारों की पोल खोलते है। इन आंकडों के मुताबिक 5 साल से कम उम्र के 38 फीसदी बच्चों का विकास ठीक ढंग से नहीं हो पाया 21 फीसदी बच्चे बहुत ही कमजोर हालत में थे जबकि 36 फीसदी बच्चों को वजन उनके उम्र के अनुपात में कम था।
2011 की जनगणना आंकड़ो के मुताबिक देश में 5 साल से कम उम्र के बच्चों की संख्य 12.4 करोड़ है। इस लिहाज से 7.2 करोड़ बच्चे रक्तहीनता से पीड़ित है, लगभग 5 साल के बच्चों का सही शारीरिक विकास नहीं हो पा रहा है।
देश की आधी गर्भवती महिलाओं मे होती है रक्त की कमी
NFHS के आंकड़ो में यह भी सामने आया है कि देश की आधी से गर्भवती महिलाएं खून की कमी से पीड़ित है। महिलाओं में खून की कमी के कारण ही बच्चे कमजोर पैदा होते हैं।
जारी किए गए डाटा के अनुसार 15 से 49 वर्ष की आयु वाले मे लोगों में 53 फीसदी महिलाएं और 23 फीसदी पुरुष है।
केंद्र सरकार के सर्वे करने वाली नोडल एजेंसी मुंबई के इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर पॉपुलेशन साइंसेज के प्रोफेसर बलराम पासवान कहते है कि यूपी में चल रहें चुनाव की वजह से वहां का डाटा जारी नहीं किया गया है।
इस सर्वे से ये भी पता चलता है कि देश के गरीब राज्यों जैसे बिहार, मध्यप्रदेश, झारखंड, असम, राजस्थान और छत्तीसगढड में एनीमिया का दर राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है। वहीं दूसरी ओर हरियाणा गुजरात और दक्षिण के राज्यों में स्थिति थोड़ी अच्छी है। लेकिन अंतर्राष्ट्रीय औसत से फिर भी ये राज्य पीछे ही है।