Milton S. Hershey’s Birthday: मिल्टन हर्शे, संघर्ष से लेकर हर्शे चॉकलेट कंपनी तक का सफर
Milton S. Hershey’s Birthday, जब भी चॉकलेट का नाम आता है तो सबसे पहले दिमाग में हर्शे (Hershey) कंपनी की याद आती है।
Milton S. Hershey’s Birthday : मिल्टन एस. हर्शे, मीठी दुनिया के महानायक की कहानी
Milton S. Hershey’s Birthday, जब भी चॉकलेट का नाम आता है तो सबसे पहले दिमाग में हर्शे (Hershey) कंपनी की याद आती है। दुनिया भर में करोड़ों लोगों की पसंद बनी यह कंपनी और इसका स्वाद, मिल्टन एस. हर्शे (Milton S. Hershey) की मेहनत और दूरदर्शिता का परिणाम है। उनका जन्म 13 सितंबर 1857 को अमेरिका के पेंसिल्वेनिया राज्य के डेरी टाउनशिप में हुआ था। हर्शे सिर्फ एक सफल बिज़नेसमैन ही नहीं थे, बल्कि वे समाजसेवी और दूरदर्शी भी थे। आइए उनके जन्मदिन के मौके पर जानते हैं उनकी पूरी जीवनगाथा और योगदान।
बचपन और पारिवारिक पृष्ठभूमि
मिल्टन एस. हर्शे का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था। उनके पिता हेनरी हर्शे खेती और छोटे-मोटे काम करते थे, लेकिन उनका कोई भी काम ज्यादा दिनों तक टिक नहीं पाया। वहीं उनकी मां फेनी हर्शे धार्मिक और अनुशासनप्रिय महिला थीं। परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत मजबूत नहीं थी, जिसकी वजह से हर्शे की पढ़ाई-लिखाई अधिक नहीं हो पाई। उन्होंने चौथी कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ दी और काम सीखना शुरू कर दिया।
शुरुआती संघर्ष और असफलताएँ
मिल्टन ने अपने करियर की शुरुआत प्रिंटिंग प्रेस में काम करके की, लेकिन इसमें उनकी रुचि नहीं बनी। बाद में उन्होंने कैंडी बनाने की कला सीखने का फैसला किया। इसके लिए उन्होंने एक कन्फेक्शनरी शॉप में काम करना शुरू किया। इस दौरान उन्हें मिठाई और कैंडी बनाने के हुनर की बारीकियां समझ में आईं।
हालांकि, उनका शुरुआती बिज़नेस सफल नहीं रहा। उन्होंने फिलाडेल्फिया और न्यूयॉर्क में कई बार कैंडी शॉप शुरू की लेकिन हर बार असफल रहे। बार-बार की असफलताओं ने उन्हें तोड़ा नहीं बल्कि मजबूत बनाया।
सफलता की शुरुआत
1894 में हर्शे ने अपनी कंपनी लैंकेस्टर कैरामेल कंपनी शुरू की, जो जल्दी ही सफल हो गई। उनकी कैरामेल कैंडीज़ अमेरिका में बहुत पसंद की जाने लगीं। इसी दौरान उन्होंने चॉकलेट बनाने की तकनीक में रुचि दिखाई। स्विट्जरलैंड से प्रेरणा लेकर उन्होंने दूध से बनी चॉकलेट तैयार करने का प्रयास शुरू किया। 1900 में उन्होंने लैंकेस्टर कैरामेल कंपनी बेच दी और पूरी तरह से चॉकलेट बिज़नेस में उतरने का फैसला किया। यही फैसला उनकी जिंदगी का सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट बना।
हर्शे चॉकलेट कंपनी की स्थापना
1903 में मिल्टन हर्शे ने पेंसिल्वेनिया में हर्शे चॉकलेट फैक्ट्री की नींव रखी। 1905 में यहां से बड़े पैमाने पर दूध वाली चॉकलेट (Milk Chocolate) का उत्पादन शुरू हुआ। हर्शे का उद्देश्य था कि चॉकलेट सिर्फ अमीरों की पहुंच तक सीमित न रहे, बल्कि आम लोग भी इसे खा सकें। उनकी किफायती और स्वादिष्ट चॉकलेट्स ने पूरे अमेरिका में तहलका मचा दिया। आज जिस Hershey’s Bar या Hershey’s Kisses को दुनिया जानती है, उनकी शुरुआत इसी दौर में हुई थी।
हर्शे टाउन – एक सपनों का शहर
मिल्टन हर्शे सिर्फ बिज़नेस तक सीमित नहीं रहे। उन्होंने अपने कर्मचारियों के लिए एक पूरे शहर का निर्माण कराया, जिसे बाद में Hershey, Pennsylvania कहा जाने लगा। यहाँ उन्होंने अपने कर्मचारियों और उनके परिवारों के लिए घर, स्कूल, चर्च, पार्क और अस्पताल जैसी सुविधाएँ उपलब्ध कराईं। उनका मानना था कि बिज़नेस तभी सफल होता है जब समाज भी उसके साथ आगे बढ़े।
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समाजसेवा और शिक्षा
मिल्टन और उनकी पत्नी कैथरीन की कोई संतान नहीं थी। इसलिए उन्होंने अपने धन का बड़ा हिस्सा समाज की भलाई और बच्चों की शिक्षा पर खर्च किया। 1909 में उन्होंने Milton Hershey School की स्थापना की, जहाँ गरीब और अनाथ बच्चों को शिक्षा और बेहतर जीवन देने की व्यवस्था की गई। आज भी यह स्कूल हर्शे ट्रस्ट के अंतर्गत चल रहा है और हजारों बच्चों का भविष्य संवार रहा है।
व्यक्तिगत जीवन
मिल्टन हर्शे ने 1898 में कैथरीन स्वीनी से शादी की थी। दोनों का जीवन बहुत सुखद रहा, लेकिन कैथरीन की सेहत अच्छी नहीं रहती थी। 1915 में उनकी मृत्यु हो गई, जिसके बाद मिल्टन अकेले रह गए। हालांकि उन्होंने खुद को पूरी तरह समाजसेवा और बिज़नेस में झोंक दिया।
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आखिरी साल और विरासत
मिल्टन हर्शे का निधन 13 अक्टूबर 1945 को हुआ। उन्होंने अपने पीछे न केवल एक सफल बिज़नेस छोड़ा बल्कि एक ऐसा ट्रस्ट और समाजसेवा की विरासत भी दी, जो आज भी लाखों लोगों का जीवन संवार रही है। आज हर्शे कंपनी दुनिया की सबसे बड़ी चॉकलेट कंपनियों में से एक है। उनके नाम से जुड़ा शहर, स्कूल और सामाजिक कार्य उन्हें हमेशा याद दिलाते हैं। मिल्टन एस. हर्शे की कहानी सिर्फ एक बिज़नेस मैन की सफलता की दास्तान नहीं है, बल्कि यह संघर्ष, दृढ़ता और समाजसेवा की मिसाल भी है। उन्होंने यह साबित कर दिया कि असफलताएँ इंसान को जितना गिराती हैं, उतना ही आगे बढ़ने का रास्ता भी दिखाती हैं।
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