Maulana Abul Kalam Azad: मौलाना आज़ाद की पुण्यतिथि, स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री को नमन
Maulana Abul Kalam Azad: आज, 22 फरवरी 2025, हम मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की 67वीं पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। मौलाना आज़ाद एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी, विद्वान, लेखक, और स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री थे। उनका जन्म 11 नवंबर 1888 को मक्का, सऊदी अरब में हुआ था
Maulana Abul Kalam Azad: राष्ट्रीय शिक्षा नीति के शिल्पकार मौलाना आज़ाद की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि
Maulana Abul Kalam Azad: आज, 22 फरवरी 2025, हम मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की 67वीं पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। मौलाना आज़ाद एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी, विद्वान, लेखक, और स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री थे। उनका जन्म 11 नवंबर 1888 को मक्का, सऊदी अरब में हुआ था, और उनका मूल नाम मुहियुद्दीन अहमद था। उनके पिता, मौलाना खैरुद्दीन, एक अफगानी विद्वान थे, जबकि उनकी माता, आलिया, अरबी मूल की थीं। बचपन में ही उनका परिवार भारत लौट आया, और उनकी प्रारंभिक शिक्षा इस्लामी परंपराओं के अनुसार घर पर ही हुई।
मौलाना आज़ाद की पुण्यतिथि
मौलाना आज़ाद ने उर्दू, फ़ारसी, हिंदी, अरबी, और अंग्रेज़ी भाषाओं में दक्षता हासिल की। उन्होंने 1912 में ‘अल-हिलाल’ नामक उर्दू साप्ताहिक पत्रिका की स्थापना की, जिसका उद्देश्य हिंदू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा देना और ब्रिटिश शासन के खिलाफ जनजागरण करना था। बाद में, ब्रिटिश सरकार ने इस पत्रिका पर प्रतिबंध लगा दिया, जिसके बाद उन्होंने ‘अल-बलाग’ नामक एक अन्य पत्रिका शुरू की। उनकी पत्रकारिता ने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
भारत के पहले शिक्षा मंत्री को नमन
राजनीतिक क्षेत्र में, मौलाना आज़ाद ने महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में सक्रिय भाग लिया और 1923 में, मात्र 35 वर्ष की आयु में, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सबसे युवा अध्यक्ष बने। वह 1940 से 1945 तक कांग्रेस अध्यक्ष रहे, इस दौरान ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ जैसे महत्वपूर्ण आंदोलनों का नेतृत्व किया। वह हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रबल समर्थक थे और देश के विभाजन के खिलाफ थे।
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की पुण्यतिथि
स्वतंत्रता के बाद, मौलाना आज़ाद ने देश के पहले शिक्षा मंत्री के रूप में कार्य किया। उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC), साहित्य अकादमी, संगीत नाटक अकादमी, और ललित कला अकादमी जैसी संस्थाओं की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका मानना था कि शिक्षा समाज के सर्वांगीण विकास की कुंजी है, और उन्होंने सभी के लिए अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा की वकालत की।
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योगदान और उनकी अमर विरासत
मौलाना आज़ाद की साहित्यिक कृतियों में ‘इंडिया विन्स फ्रीडम’ और ‘ग़ुबार-ए-ख़ातिर’ प्रमुख हैं, जो उनके विचारों और दृष्टिकोण को दर्शाती हैं। उनके योगदान के सम्मान में, उनके जन्मदिवस 11 नवंबर को ‘राष्ट्रीय शिक्षा दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। 1992 में, उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
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