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Loksabha Election: जानिए क्या है इलेक्शन इंक? कहां बनती है यह स्याही?

वोट देने के बाद लगाई जाने वाली स्याही में सिल्वर नाइट्रेट होता है, जो आपकी त्वचा अथवा नाखून के संपर्क में आने के बाद और गहरा हो जाता है।

Loksabha Election: 2024 के चुनावों के लिए कंपनी ने EC को दिए 28 लाख बोतल स्याही…


Loksabha Election: लोकसभा चुनाव का पहला चरण आज से शुरू हो गया. पहले चरण में 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 102 सीटों पर मतदान हो रहा है। वोट डालने के बाद मतदान कर्मी, मतदाता के बाएं हाथ की तर्जनी (इंडेक्स फिंगर) पर पर्पल कलर की स्याही लगाते हैं, इससे पता लगता है कि संबंधित मतदाता ने अपना वोट दे दिया है। क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर उस स्याही में ऐसा क्या होता है, जो लगाने के कई दिन बाद भी नहीं छूटती? आइए जानते है इसके बारे में

स्याही में ऐसा क्या होता है?

वोट देने के बाद लगाई जाने वाली स्याही में सिल्वर नाइट्रेट होता है, जो आपकी त्वचा अथवा नाखून के संपर्क में आने के बाद और गहरा हो जाता है और गाढ़ा निशान छोड़ देता है। सिल्वर नाइट्रेट की खास बात यह है कि इसका निशान कई दिन तक नहीं जाता है। जिस जगह यह स्याही लगती है, जब तक वहां नए सेल्स नहीं बन जाते हैं या नाखून नहीं बढ़ जाते, तब तक यह निशान जाता नहीं। सिल्वर नाइट्रेट की एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि ये फोटो सेंसिटिव है और इसे सीधे सूर्य की रोशनी के संपर्क में आने से बचाना चाहिए, अन्यथा आपकी स्किन को नुकसान पहुंचा सकता है.

कहां बनती है यह स्याही?

नीली स्याही अब दक्षिण भारत में स्थित एक कंपनी में बनाई जाती है। मैसूर पेंट एंड वार्निश लिमिटेड नाम की कंपनी इस स्‍याही को बनाती है। NPL ने 1962 में इस इंक का लाइसेंस और सारी जानकारी मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड कंपनी को ट्रांसफर कर दी थी। MVPL इस चुनावी स्याही को थोक में नहीं बेचती है। सिर्फ सरकार या चुनाव से जुड़ी एजेंसियों को ही इस स्याही की सप्‍लाई की जाती है।

2024 के चुनावों के लिए कंपनी ने EC को दिए 28 लाख बोतल स्याही

2024 के चुनावों के लिए MVPL ने भारत के चुनाव आयोग को करीब 28 लाख बोतल में नीली स्याही की सप्लाई की है। इसकी कीमत 58 करोड़ रुपये बताई जा रही है। 2019 के आम चुनावों में चुनाव आयोग को करीब 26000 लीटर अमिट स्याही की सप्लाई की गई थी।

कितनी है स्याही की कीमत

चुनाव वाली स्याही की एक शीशी से कम से कम 700 उंगलियों पर पक्की स्याही लगाई जा सकती है। हर शीशी में 10 ML स्याही होती है और इसकी कीमत करीब 127 रुपये है। इस लिहाज से 1 लीटर की कीमत करीब 12,700 रुपये होगी। वहीं, एक एमएल यानी एक बूंद की बात करें तो करीब 12.7 रुपये इसकी कीमत बैठेगी।

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इस बार नया रिकॉर्ड

एक और दिलचस्प बात यह है कि इस बार के लोकसभा चुनाव में अब तक की रिकॉर्ड स्याही इस्तेमाल की जा रही है। इस बार 26.5 लाख शीशी स्याही यूज होगी। इससे पहले 2019 में 25.9 लाख और 2014 में 21.5 लाख शीशी इस्तेमाल की गई थी।

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