आइए जाने बलूचिस्तान पर है किस का राज
70वें स्वतंत्रता दिवस पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में गिलगित और बलूचिस्तान का जिक्र किया था जिससे पाकिस्तान बौखला-सा गया है।
पाकिस्तान ने बलूच नेताओं को बातचीत का न्योता दिया है और इसके बाद सरताज अजीज ने एक बयान में कहा है कि पीएम मोदी ने बीते पांच हफ़्तों से कश्मीर के हालातों से ध्यान भटकाने की कोशिश की है। सरताज अजीज का यह भी कहना है कि कश्मीर की घटनाओं से आतंकवाद का कोई लेना-देना नहीं है और पीएम मोदी के बलूचिस्तान का ज़िक्र करने से पाक का दावा सही साबित होता है कि भारत देश अपनी ख़ुफ़िया एजेंसी रॉ की मदद से बलूचिस्तान में आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है। कश्मीर के मुद्दे पर अजीज ने कहा कि भारत को समझना होगा कि कश्मीर का मुद्दा गोलियों से नहीं बातचीत से ही हाल होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
आइए जाने बलूचिस्तान के हालात
दरअसल बलूचिस्तान पाकिस्तान के दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। यह पाकिस्तान के कुल क्षेत्रफल का लगभग आधा हिस्सा है और पाकिस्तान की आबादी का यहां 3.6 प्रतिशत हिस्सा रहता है। बलूचिस्तान पाकिस्तान का बहुत ही पिछड़ा और ग़रीब क्षेत्र है, मगर खनिज के क्षेत्र में समृद्ध है। लेकिन इस का लाभ यहीं की जनता को नहीं मिल पा रहा है। वर्ष 1948 से ही यहां के लोग आज़ादी के लिए संघर्ष कर रहे हैं क्योंकि पाकिस्तानी सेना यहां के लोगों पर राज करती है। सेना शांति के नाम पर यहां हजारों लोगों की गिरफ्तारी, अपहरण और ह्त्या करती हैं।
बलूचिस्तान पाकिस्तान के लिए एक सोने की खान है। वर्ष 1952 में यहां के डेरा बुगती में गैस भंडार मिला था और वर्ष 1954 में गैस उत्पादन शुरू हो गया था। बलूचिस्तान को छोड़कर दूसरे हिस्सों में गैस की सप्लाई हुई। वर्ष 1985 में जाकर गैस पाइपलाइन से क्वेटा जुड़ा।
चगई मरुस्थल में साल 2002 में सड़क परियोजना शुरू की गई। चगई मरुस्थल के रास्ते चीन से व्यापार होता है। सोना, चांदी, तांबा के उत्पादन की योजना है। इस में लाभ से चीन को 75 प्रतिशत और पाकिस्तान को 25 प्रतिशत मिला था, तो वहीं इस क्षेत्र को महज दो प्रतिशत हिस्सा मिला था। पाकिस्तान की कुल प्राकृतिक गैस का एक तिहाई हिस्सा बलूचिस्तान से निकलता है। सुई के जगह जो गैस उत्पादन होती है उसकी आपूर्ति पूरे पाकिस्तान में होती है लेकिन प्राप्त रॉयल्टी का बहुत थोड़ा-सा ही हिस्सा केन्द्रीय सरकार बलूचिस्तान को देती है।
आप को बता दें, जब पाकिस्तान बनना था उसके कुछ दिन बाद ही बलूचिस्तान को लेकर विवाद की शुरुआत हो गई थी। 15 अगस्त 1947 को ही बलूचिस्तान ने आजादी का ऐलान भी कर दिया था मगर 1948 में उस पर दबाव बनाया गया जिसके तहत पाक के साथ मिलना पड़ा और अप्रैल 1948 में पाकिस्तान की सेना ने मीर अहमद यार खान को जबरन अपना राज्य कलात छोड़ने पर मजबूर कर दिया था। उनसे कलात की आजादी के खिलाफ एग्रीमेंट साइन भी करवा लिए गए थे।