Lal Kila history: क्यों खास है दिल्ली का लाल किला? जानिए इसकी कहानी, इतिहास और रहस्य
Lal Kila history, भारत की शाही विरासत का प्रतीक लाल किला (Red Fort) केवल एक इमारत नहीं, बल्कि भारत की गौरवशाली इतिहास और स्थापत्य कला का जीवंत उदाहरण है।
Lal Kila history : लाल किला कब और किसने बनवाया? यहां जानिए इस विश्व धरोहर की रोचक बातें
Lal Kila history, भारत की शाही विरासत का प्रतीक लाल किला (Red Fort) केवल एक इमारत नहीं, बल्कि भारत की गौरवशाली इतिहास और स्थापत्य कला का जीवंत उदाहरण है। यह दिल्ली के हृदय में स्थित वह ऐतिहासिक स्मारक है, जिसने मुगलों के शासन, ब्रिटिश राज और स्वतंत्र भारत तीनों युगों का साक्षी बनकर देश की कहानी कही है। आइए जानते हैं लाल किले का इतिहास, निर्माण, वास्तुकला और इसकी अनोखी विशेषताएं विस्तार से।
किसने बनवाया लाल किला और कब बना
लाल किला मुगल सम्राट शाहजहां द्वारा बनवाया गया था, जिन्होंने ताजमहल जैसे चमत्कारिक स्मारक का निर्माण भी करवाया। शाहजहां ने जब अपनी राजधानी आगरा से दिल्ली स्थानांतरित करने का निर्णय लिया, तब उन्होंने 1638 में नई राजधानी “शाहजहानाबाद” की नींव रखी। इस नई राजधानी का मुख्य आकर्षण था लाल किला, जिसे 1648 में लगभग 10 वर्षों के निर्माण कार्य के बाद पूरा किया गया। किले का निर्माण आर्किटेक्ट उस्ताद अहमद लाहौरी ने किया था, जिन्होंने ताजमहल का डिज़ाइन भी तैयार किया था। लाल किला लाल बलुआ पत्थरों से निर्मित होने के कारण इसे “लाल किला” कहा गया।
लाल किले की वास्तुकला (Architecture of Red Fort)
लाल किले की वास्तुकला मुगल शैली और फारसी कला का अद्भुत संगम है। यह किला लगभग 2.41 किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है और इसकी दीवारें 18 से 33 मीटर ऊँची हैं। मुख्य प्रवेश द्वार “लाहौरी गेट” है, जो आज भी सबसे प्रमुख द्वार के रूप में जाना जाता है। इसके अलावा “दिल्ली गेट” भी एक महत्वपूर्ण प्रवेश द्वार है।
किले के अंदर कई सुंदर इमारतें हैं —
- दीवान-ए-आम (Diwan-i-Aam): जहाँ बादशाह जनता से मिलते थे।
- दीवान-ए-खास (Diwan-i-Khas): जहाँ शाही अतिथियों और खास लोगों से मुलाकात होती थी।
- रंग महल: जहाँ रानियाँ और शाही परिवार के सदस्य विश्राम करते थे।
- मोती मस्जिद: औरंगज़ेब द्वारा बाद में बनवाई गई सुंदर संगमरमर की मस्जिद।
किले की दीवारों पर सुंदर नक्काशी, फूलों के डिजाइन और बहती जलधारा ‘नहर-ए-बहिश्त’ इसकी शाही भव्यता को और बढ़ाते हैं।
इतिहास में लाल किले का महत्व
लाल किला केवल एक महल नहीं, बल्कि भारतीय इतिहास का एक जीवंत अध्याय है।
- मुगल शासनकाल में यह शासन का केंद्र रहा। शाहजहां से लेकर आखिरी मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर तक, कई पीढ़ियों ने यहां शासन किया।
- 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद जब अंग्रेजों ने बहादुर शाह जफर को बंदी बनाया, तब लाल किला ब्रिटिश शासन का सैन्य मुख्यालय बन गया।
- 1947 में भारत को आज़ादी मिलने के बाद 15 अगस्त को जब पंडित जवाहरलाल नेहरू ने लाल किले की प्राचीर से तिरंगा फहराया, तब यह स्मारक स्वतंत्र भारत का प्रतीक बन गया।
आज भी हर साल भारत के प्रधानमंत्री इसी किले से स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं और राष्ट्र को संबोधित करते हैं।
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लाल किले की खासियतें (Special Features of Red Fort)
- यूनESCO वर्ल्ड हेरिटेज साइट – 2007 में लाल किले को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया।
- मुगल और फारसी कला का मेल – इसमें इस्लामी, फारसी और भारतीय स्थापत्य कला का खूबसूरत संयोजन देखने को मिलता है।
- संगीतमय लाइट एंड साउंड शो – हर शाम यहां आयोजित “Light and Sound Show” में लाल किले का इतिहास सुनाया जाता है, जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है।
- संग्रहालय (Museums) – किले के अंदर विभिन्न संग्रहालय हैं, जहाँ मुगलों के दौर के हथियार, चित्र, वस्त्र और ऐतिहासिक दस्तावेज़ प्रदर्शित किए गए हैं।
- स्वतंत्रता दिवस समारोह का स्थल – हर वर्ष लाखों लोग टीवी और ऑनलाइन माध्यम से लाल किले से फहराया गया तिरंगा देखते हैं।
आज लाल किला सिर्फ़ एक ऐतिहासिक स्थल नहीं, बल्कि भारत की पहचान बन चुका है। यह हर भारतीय के गर्व, संघर्ष और स्वतंत्रता का प्रतीक है। यहां रोज़ हजारों देशी-विदेशी पर्यटक आते हैं और इसकी भव्यता को देखकर मुगलों की स्थापत्य कुशलता की प्रशंसा करते हैं। लाल किला अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित है और इसके आसपास का क्षेत्र एक राष्ट्रीय धरोहर जोन के रूप में विकसित किया गया है। लाल किला न केवल दिल्ली बल्कि पूरे भारत की आत्मा से जुड़ा हुआ है। शाहजहां की कल्पना से बना यह भव्य दुर्ग, आज भारतीय स्वतंत्रता और गौरव का प्रतीक है। हर ईंट में इतिहास की गूंज है, हर दीवार में शाही शान झलकती है। इसलिए, जब भी आप दिल्ली जाएं, तो लाल किले की प्राचीरों के नीचे खड़े होकर उस गर्व को महसूस ज़रूर करें जो आज भी हर भारतीय के दिल में धड़कता है।
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