भारत के खिलाफ आग उगलने वाले लोगों पर हर साल 100 करोड़ रुपये खर्च
भारत के खिलाफ आग उगलने वाले अलगाववादी एक VVIP जैसा जीवन जीते हैं। यह जानकार आप को हैरानी होगी कि पाकिस्तान का खुलकर साथ देने वाले अलगाववादियों को केंद्र और जम्मू-कश्मीर की सरकार की तरफ से मुफ्तखोरी करवाई जा रही है। फारुख अब्दुल्ला हों या उमर अब्दुल्ला या फिर कांग्रेस के मुख्यमंत्री रहे गुलाम नबी आजाद, सभी के कार्यकाल में कश्मीर के अलगाववादी को भरपूर सुविधाओं मिलती रही है।
एक रिपोर्ट के अनुसार 2010 से ही अलगाववादियों के होटल के बिल पर सरकार हर साल चार करोड़ रुपए खर्च कर रही है। इस मतलब यह है कि अलगाववादियों पर पिछले पांच सालों में 21 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। सवाल ये है कि भारत को बुरा भरा कहने वाले अलगाववादियों को उनके घरों में रखने के बजाय होटलों में सरकारी खर्च पर मेहमान बना कर क्यों रखा जा रहा है?
अलगाववादी
राज्य सरकार इन लोगों को पॉलिटिकल एक्टिविस्ट मतलब राजनीतिक कार्यकर्ता कहती है। उनके लिए अकेले घाटी में ही 500 होटल के कमरे रखे जाते हैं और यह दलील दी जाती है कि उनकी सुरक्षा के लिए ये जरूरी है। एक रिपोर्ट के अनुसार गाड़ियों के डीजल के नाम पर औसतन 5.2 करोड़ रुपए फूंके गए है। राज्य सरकार की एक रिपोर्ट बताती है कि अलगाववादियों पर सालाना 100 करोड़ रुपए खर्च हो रहा है।
बुधवार यानि आज सर्वदलीय बैठक में सहमति बनने के बाद सरकार अलगाववादी नेताओं के सरकारी खर्चे पर रोक ला सकती है।