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Hindi News Today: बांग्लादेश में उबाल, भारत-बांग्लादेश संबंधों में तनाव और प्रदूषण का बढ़ता संकट

बांग्लादेश में हिंसक प्रदर्शन और भारत-बांग्लादेश संबंधों में बढ़ता तनाव, वहीं दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण और कूड़ा जलाने की घटनाओं पर CAQM ने सख्त कदम उठाए।

Hindi News Today:  भारत-बांग्लादेश रिश्तों में बढ़ता तनाव और दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का संकट

Hindi News Today: बांग्लादेश इस समय गंभीर राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है। उस्मान हादी की मौत की खबर सार्वजनिक होते ही ढाका समेत देश के कई हिस्सों में हिंसक प्रदर्शन भड़क उठे। हालात इतने बिगड़ गए कि सड़कों पर आगजनी, तोड़फोड़ और झड़पों की खबरें सामने आने लगीं। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि देश के कई मीडिया संस्थान भारत समर्थक रुख अपना रहे हैं और पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के पक्ष में काम कर रहे हैं, जो अगस्त 2024 में सत्ता से बेदखल होने के बाद भारत चली गई थीं। प्रदर्शनकारियों का गुस्सा केवल उस्मान हादी की मौत तक सीमित नहीं है, बल्कि यह गुस्सा लंबे समय से चली आ रही राजनीतिक अस्थिरता, सत्ता परिवर्तन और विदेशी हस्तक्षेप की आशंकाओं से भी जुड़ा हुआ है। ढाका के साथ-साथ कई अन्य शहरों में विरोध प्रदर्शनों ने हिंसक रूप ले लिया, जिससे कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

भारत-बांग्लादेश रिश्तों में बढ़ता तनाव

इसी बीच भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में भी तनाव साफ नजर आने लगा है। गुरुवार को भारत ने बांग्लादेश के राजशाही और खुलना शहरों में स्थित भारतीय वीजा केंद्रों को बंद करने का फैसला लिया। यह कदम तब उठाया गया जब मोहम्मद यूनुस सरकार के समर्थक समूहों ने इन शहरों में भारतीय सहायक उच्चायोगों के बाहर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए।

भारत सरकार के इस फैसले को सुरक्षा के लिहाज से जरूरी बताया जा रहा है, लेकिन इसके राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं। बांग्लादेश में यह सवाल तेजी से उठ रहा है कि क्या देश एक बार फिर पाकिस्तान के प्रभाव में जा रहा है? क्या बांग्लादेश किसी बड़े भू-राजनीतिक खेल का हिस्सा बनता जा रहा है? इन सवालों ने आम जनता से लेकर राजनीतिक विश्लेषकों तक को चिंतित कर दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा हालात में बांग्लादेश की विदेश नीति और आंतरिक राजनीति दोनों ही दबाव में हैं। भारत के साथ संबंधों में आई खटास न केवल कूटनीतिक स्तर पर असर डालेगी, बल्कि आम नागरिकों के आवागमन, व्यापार और शिक्षा से जुड़े मामलों पर भी प्रभाव डाल सकती है।

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मीडिया पर आरोप और लोकतंत्र की परीक्षा

प्रदर्शनकारियों द्वारा मीडिया संस्थानों पर लगाए गए आरोप भी स्थिति को और जटिल बना रहे हैं। मीडिया को भारत समर्थक बताकर निशाना बनाया जाना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए खतरे की घंटी माना जा रहा है। कई पत्रकार संगठनों ने हिंसा की निंदा करते हुए स्वतंत्र पत्रकारिता की सुरक्षा की मांग की है।

दूसरी ओर, प्रदूषण का गहराता संकट

इन तमाम राजनीतिक घटनाक्रमों के बीच भारत में एक और गंभीर समस्या तेजी से सिर उठा रही है—प्रदूषण। खासकर दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता एक बार फिर खतरनाक स्तर पर पहुंचती दिख रही है। कूड़ा जलाने की लगातार मिल रही शिकायतों को लेकर कमीशन फॉर एयर क्वॉलिटी मैनेजमेंट (CAQM) ने दिल्ली-एनसीआर के राज्यों को सख्त निर्देश जारी किए हैं। CAQM ने साफ कहा है कि सर्दियों के मौसम में भी कूड़ा जलाने की घटनाएं रुक नहीं रही हैं, जो बेहद चिंताजनक है। आयोग ने संबंधित राज्यों को निर्देश दिया है कि वे कूड़ा प्रबंधन की स्थिति पर मासिक रिपोर्ट जमा करें और यह सुनिश्चित करें कि खुले में कचरा जलाने पर सख्ती से रोक लगे।

कूड़ा मैनेजमेंट के रिव्यू के दौरान CAQM ने यह भी माना कि कई विभाग निर्देशों को प्रभावी ढंग से लागू करने में विफल दिखाई दे रहे हैं। इसका सीधा असर आम लोगों की सेहत पर पड़ रहा है। सांस की बीमारियां, आंखों में जलन और बुजुर्गों व बच्चों की सेहत पर बढ़ता खतरा इस लापरवाही का परिणाम है।

कई मोर्चों पर चुनौतियाँ

एक तरफ बांग्लादेश राजनीतिक अस्थिरता, हिंसक प्रदर्शनों और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के तनाव से जूझ रहा है, वहीं दूसरी ओर भारत के बड़े शहर पर्यावरणीय संकट की चपेट में हैं। ये दोनों ही मुद्दे यह दिखाते हैं कि दक्षिण एशिया इस समय कई मोर्चों पर गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है।

विशेषज्ञों का कहना है कि इन समस्याओं का समाधान केवल सख्त फैसलों से नहीं, बल्कि संवाद, पारदर्शिता और जिम्मेदार प्रशासन से ही संभव है। चाहे वह बांग्लादेश में लोकतांत्रिक स्थिरता की बात हो या भारत में प्रदूषण नियंत्रण की—दोनों ही मामलों में सरकारों को दीर्घकालिक और ठोस रणनीति अपनानी होगी। फिलहाल हालात यह संकेत दे रहे हैं कि आने वाले दिनों में यह मुद्दे और गहराएंगे, और इनका असर केवल राजनीति तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि आम जनता की रोजमर्रा की जिंदगी पर भी साफ दिखाई देगा।

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