Hindi News Today: ऑपरेशन सिंदूर के बाद बढ़ी मांग, इंडोनेशिया ब्रह्मोस मिसाइल डील पर भारत में कर सकता है बड़ा फैसला
ऑपरेशन सिंदूर में ब्रह्मोस मिसाइल की सफलता के बाद दुनिया भर में इसकी मांग तेज़ी से बढ़ी है। इसी कड़ी में इंडोनेशिया के रक्षा मंत्री भारत दौरे पर हैं और माना जा रहा है कि ब्रह्मोस डील अब लगभग अंतिम चरण में पहुँच चुकी है। वहीं दूसरी ओर संसद में AI आधारित अनुवाद तकनीक और सेना से जुड़े बड़े फैसले भी चर्चा में हैं।
Hindi News Today: सशस्त्र बलों की धर्मनिरपेक्ष परंपरा बरकरार, सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में दोहराया सिद्धांत
Hindi News Today: ऑपरेशन सिंदूर के दौरान स्वदेशी ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल ने जिस तरह पाकिस्तान के सैन्य और आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया, उसके बाद दुनिया भर के देशों में इसकी मांग तेज़ी से बढ़ी है। इंडोनेशिया के रक्षा मंत्री सजफ्री सजमसोएद्दीन दो दिवसीय भारत दौरे पर पहुंचे हैं, जिससे संकेत मिल रहा है कि वे भारत से ब्रह्मोस मिसाइल खरीद को अंतिम रूप देकर ही लौट सकते हैं। वे भारत–इंडोनेशिया रक्षा मंत्रियों के तीसरे संवाद में हिस्सा लेने आए हैं।
ब्रह्मोस डील एडवांस स्टेज पर पहुँच चुकी है।
रिपोर्टों के अनुसार भारत और इंडोनेशिया के बीच इस मिसाइल को लेकर बातचीत अब अंतिम चरण में है। रूस भी इस खरीद के लिए सहमति दे चुका है, क्योंकि ब्रह्मोस भारत और रूस की संयुक्त परियोजना है। ऑपरेशन सिंदूर में ब्रह्मोस ने जो सटीकता और ताकत दिखाई, उसे देखकर कई देशों की दिलचस्पी बढ़ी है और अब इंडोनेशिया भी उस सूची में शामिल होता दिख रहा है।
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रक्षा सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है।
भारत इंडोनेशिया की एयर फोर्स और नेवी के लिए मेंटेनेंस, रिपेयर और ओवरहॉल (MRO) केंद्र के रूप में तेजी से उभर रहा है। सुखोई फाइटर जेट जैसे प्लेटफॉर्म पर भारत पहले से ही इंडोनेशिया की मदद कर रहा है। सजमसोएद्दीन इंडोनेशियाई राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो के करीबी माने जाते हैं, जो हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के साथ रक्षा सहयोग को मजबूत करने के इच्छुक हैं।
ब्रह्मोस की ताकत से प्रभावित इंडोनेशिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इंडोनेशियाई राष्ट्रपति की इस वर्ष हुई मुलाकात में भी ब्रह्मोस खरीद उनकी प्राथमिकता सूची में थी। गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि रहने के दौरान भी उन्होंने भारत की रक्षा क्षमता और तकनीक की सराहना की थी। इसी क्रम में इंडोनेशिया के नेवी प्रमुख के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल भारत आया था और उसने ब्रह्मोस फैक्ट्री का दौरा किया था। मिसाइल की क्षमता देखकर वे बेहद प्रभावित हुए थे और तभी से ब्रह्मोस खरीद की दिशा में उनका रुझान बढ़ गया।
खत्म हो सकती है पुरानी ट्रांसलेशन सर्विस, AI लेगा जगह
इधर संसद से जुड़ी एक बड़ी खबर यह है कि लोकसभा–राज्यसभा में भाषणों के तत्काल अनुवाद के लिए इस्तेमाल होने वाली मौजूदा सिंक्रोनस इंटरप्रिटेशन सर्विस (SIS) को 2026 तक AI आधारित तकनीक से बदलने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। अभी तक प्रत्येक सीट पर लगे ईयरफोन से सदस्य हिंदी, अंग्रेजी और अन्य भाषाओं में तत्काल अनुवाद सुनते थे। लोकसभा और राज्यसभा में मौजूद 70 से अधिक अनुवादकों के पद भी भविष्य में समाप्त हो सकते हैं। कई भाषाओं के अनुवादक पदों के पहले से ही खाली होने और बढ़ती तकनीकी आवश्यकताओं के कारण यह निर्णय आगे बढ़ाया गया है। हालांकि कुछ वर्ष पहले स्वतःस्फूर्त भाषणों के कारण इस AI प्रोजेक्ट को रोका गया था, लेकिन अब लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इसके लिए हरी झंडी दे दी है। 1960 के दशक से चल रही यह अनुवाद सेवा संसद की परंपरागत पहचान रही है।
धर्म से ऊपर है सैनिकों का मनोबल
इसी बीच सेना से जुड़ा एक महत्वपूर्ण फैसला चर्चा में है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत की पीठ ने हाल के एक फैसले में यह स्पष्ट किया है कि भारतीय सशस्त्र बलों में सभी धर्मों के साथ समान व्यवहार किया जाता है, और यही सिद्धांत सेना की नींव है। मामला एक ईसाई अधिकारी का था, जिसने धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेने से इनकार कर दिया था। सेना में ‘सर्वधर्म स्थल’ जैसी प्रथाएँ लंबे समय से चली आ रही हैं, जहां सभी धर्मों के अनुष्ठान होते हैं और अफसर अपने सैनिकों की आस्था का सम्मान करते हुए उनमें हिस्सा लेते हैं। सेना प्रमुख का कार्यभार संभालने के दौरान विभिन्न धर्मों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति इसी परंपरा को मजबूत करती है। सैन्य विशेषज्ञों के अनुसार नेतृत्व का मूल सिद्धांत यही है कि अधिकारी अपने सैनिकों के मनोबल को अपनी व्यक्तिगत धार्मिक मान्यताओं से ऊपर रखते हैं। प्रसिद्ध उदाहरण फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ का है, जिन्हें ‘सैम बहादुर’ उपनाम उनके गोरखा सैनिकों ने दिया था जो सेना में सांस्कृतिक एकता और पारस्परिक सम्मान का प्रतीक है।
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