किसानों की यात्रा हुई खत्म : सरकार ने की सभी मांगें की ख़ारिज
जाने की आखिर क्या है किसानो की मांग?
दिल्ली में हो रही किसान आंदोलन की पदयात्रा आखिर खत्म हुई. सभी किसानो ने चौधरी चरण सिंह की समाधि पर फूल चढ़कर इस यात्रा को ख़त्म किया.अपनी मागो को पूरा करने के लिए किसानों ने 23 सितंबर को हरिद्वार से 200 किलोमीटर से ज्यादा लंबी ये पदयात्रा शुरू की थी. सैकड़ों ट्रैक्टरों में सवार होकर आए किसानों की इस आंदोलन में कुछ महिलाएं और बुजुर्ग भी शामिल हुए. साथ ही वही दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शनकारी किसानों को रोकने के लिए तीन हजार से ज्यादा कर्मियों को तैनात किया ताकि जल्द इस क्रांति को रोका जाए.
वही दूसरी और किसानों के प्रदर्शन के चलते आज यानि 3 अक्टूबर को गाजियाबाद में स्कूलकॉलेज भी बंद रखे गए हैं. ताकि इस किसान आंदोलन से बाकी लोगो को मुश्किलें न हो. वही किसानो के द्वारा शुरू की गयी इस क्रांति से सरकार ने किसानों की कुछ मांगें मानने पर सहमति जताई थी और कुछ के लिए समय मांगा था लेकिन किसानो ने सरकार की बात न माने के साथ इस आंदोलन को जारी रखा
यहाँ जाने किसानो की मांग को क्यों किया गया ख़ारिज:
1 . किसानो की मांग थी की उनके सभी क़र्ज़ को माफ़ कर दिया जाए
2 . सिंचाई के लिए सस्ती बिजली और बकाया गन्ने की फसल का भुगतान करने की मांग मांगी
3 . 60 साल से ऊपर के किसानो को पेंशन दी जाए
तो यह है जरुरी तीन मांगे जो किसानो ने सरकार से माँग की थी जिसे सरकार ने ख़ारिज कर दिया है. तो वही इस आंदोलन काफयदा विपक्ष ने बखूबी उठाया है. यह कहकर की विश्व अहिंसा दिवस पर BJP का दोवर्षीय गांधी जयंती समारोह शांतिपूर्वकदिल्ली आ रहे किसानों की बर्बर पिटाई से शुरू हुआ।लेकिन देखना यह है की सरकार किसान को शांत करने के लिए जल्द उनकीसभी माँगो को पूरा करता है?
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