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याद-ए-बिस्मिल्लाह’ Ustad Bismillah Khan की स्मृति में संगीत का महासंगम

तबला सम्राट पं. सुरेश तलवलकर को मिला छठा 'रजत शहनाई' सम्मान, डॉ. घोष ने 'संगीत ग्राम' परियोजना की घोषणा की, लुप्तप्राय वाद्ययंत्रों के पुनरुद्धार की दिशा में बड़ा कदम

Ustad Bismillah Khan : याद-ए-बिस्मिल्लाह’ विरासत, संगीत और श्रद्धा का संगम

Ustad Bismillah Khan: प्रसिद्ध हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायिका और पद्मश्री से सम्मानित डॉ. सोमा घोष द्वारा आयोजित ‘याद-ए-बिस्मिल्लाह’ का 18वां वार्षिक संस्करण नई दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र जनपथ में संगीतमय और भावपूर्ण वातावरण में संपन्न हुआ। यह कार्यक्रम भारत रत्न Ustad Bismillah Khan की स्मृति में एक श्रद्धांजलि के रूप में प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है, जिसमें भारतीय शास्त्रीय संगीत के महान कलाकारों को सम्मानित किया जाता है और उनकी प्रस्तुतियाँ होती हैं।

रजत शहनाई पुरस्कार से विभूषित हुए उस्ताद अमजद अली खाँ

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इस वर्ष का प्रतिष्ठित ‘Ustad Bismillah Khan रजत शहनाई पुरस्कार’ विख्यात सरोद वादक उस्ताद अमजद अली खाँ को प्रदान किया गया। यह पुरस्कार भारतीय शास्त्रीय संगीत में उनके अद्वितीय योगदान के लिए दिया गया।

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इससे पूर्व यह सम्मान देश के निम्न संगीत दिग्गजों को मिल चुका है:

  • भारत रत्न पंडित भीमसेन जोशी
  • पद्म विभूषण पंडित किशन महाराज
  • पद्म विभूषण श्रीमती प्रभा अत्रे
  • पद्म विभूषण पंडित जसराज

साथ ही, इस वर्ष के कार्यक्रम में तबला वादक पंडित सुरेश तलवलकर को भी छठा ‘रजत शहनाई पुरस्कार’ प्रदान किया गया, जो उनके संगीत में वर्षों के योगदान को सम्मानित करता है।

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डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की प्रेरणा से जन्मा आयोजन

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याद-ए-बिस्मिल्लाह’ की शुरुआत Ustad Bismillah Khan के निधन के पश्चात हुई थी, जब पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने डॉ. सोमा घोष को फ़ोन कर उनसे उस्ताद की स्मृति को संजोने और संगीत को अगली पीढ़ियों तक पहुँचाने का आग्रह किया था। तभी से यह वार्षिक कार्यक्रम भारत और विदेशों में आयोजित होता रहा है। डॉ. घोष ने कहा, “यह केवल एक श्रद्धांजलि नहीं, बल्कि एक संकल्प है भारत की सांगीतिक परंपरा को जीवित रखने का।

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संगीत ग्राम’ की घोषणा: एक सांगीतिक गुरुकुल की कल्पना

कार्यक्रम के दौरान डॉ. घोष ने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट ‘संगीत ग्राम’ की भी घोषणा की, जिसके लिए उन्हें हाल ही में महाराष्ट्र सरकार द्वारा भूमि आवंटित की गई है। यह परियोजना एक गुरुकुल प्रणाली पर आधारित होगी, जहाँ भारतीय शास्त्रीय संगीत और नृत्य की सभी विधाओं को सिखाया जाएगा। इसका विशेष उद्देश्य लुप्तप्राय वाद्ययंत्रों और पारंपरिक शैलियों के संरक्षण और पुनरुद्धार पर केंद्रित होगा। डॉ. घोष ने कहा, “यदि कलाकार जीवित रहता है, तो उसका वाद्ययंत्र समय की कसौटी पर खरा उतरेगा। ‘संगीत ग्राम’ इसी सोच का मूर्त रूप होगा।

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संगीत और स्मृति से सजी एक प्रेरणादायक संध्या

कार्यक्रम में देश-विदेश से आए संगीत प्रेमियों, गणमान्य व्यक्तियों और युवा कलाकारों की उपस्थिति रही। मंच पर प्रस्तुत हुईं शास्त्रीय धुनों ने माहौल को Ustad Bismillah Khan की आत्मा से जोड़ दिया और उनके योगदान को एक बार फिर जीवंत कर दिया। ‘याद-ए-बिस्मिल्लाह’ न केवल एक संगीतमय संध्या है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक विरासत को सहेजने और आगे बढ़ाने का एक सार्थक प्रयास है।

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