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यूपी बिजली विभाग के निजीकरण के विरोध में एक महीने से हो रहा शांति विरोध
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यूपी बिजली विभाग के निजीकरण के विरोध में एक महीने से हो रहा शांति विरोध

कर्मचारियों का कहना है कि लगातार सुधार किया जा रहा है.


निजीकरण को लेकर लगातार एक के बाद एक संस्थानों का ऐलान किया जा रहा हैं. ताजा मामला यूपी के बिजली विभाग का है. जहां पिछले महीने से बिजली विभाग के कर्मचारी लगातार निजीकरण के खिलाफ अपना विरोध जाहिर कर रहे हैं. 

दरअसल  यूपी सरकार अपनी 5 बिजली  वितरण कंपनियों(डिस्कॉम)  में से एक पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम (पीयूवीवीएनएल) के निजीकरण पर  विचार कर रही है. यह कंपनी पूर्वी उत्तर प्रदेश में बिजली का नियंत्रण और प्रबंधन करती है. खबरों की मानें तो मार्च 2020 तक राज्य की कंपनियों को कुल 819 करोड़ का नुकसान हुआ है. इस नुकसान की भरपाई करने के लिए ही कंपनियों को निजी हाथों में देने की बात की जा रही है. 

इसके विरोध में पिछले महीने से बिजली कर्मचारियों लगातार काम करने के साथ-साथ विरोध कर रहे हैं. विरोध प्रदर्शन विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले किया जा रहा है. इस बारे में जब हमने कर्मचारियों का प्रतिक्रिया जानने की कोशिश की तो रमाशंकर पाल कार्यकारी अध्यक्ष विद्युत कार्यालय सहायक संघ का कहना है कि जो भी नुकसान हुआ है उसमें सुधार किया जा रहा है. लेकिन सरकार इस बारे में  बात ही नहीं कर रही है. कंपनी को तीन भाग में तोड़कर किसी कंपनी को बेचने का प्रस्ताव हैं. 

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privatization protest in up

इसके आगे वह बताते हैं कि पूरे पूर्वांचल में लगभग 10 हजार लोग संघर्ष समिति में शामिल है. इस विरोध प्रदर्शन में लखनऊ, गोरखपुर, वाराणसी और पूर्वाचंल के अन्य जगहों से कर्मचारी शामिल हैं. विरोध प्रदर्शन की आरंभिक स्थिति की बात करते हुए रमाशंकर कहते हैं कि ऐसा नहीं है कि ह-म सब  दिनभर विरोध प्रदर्शन में ही बैठ रहते हैं. पिछले चार सितंबर से निजीकरण के खिलाफ हम अपनी आवाज को उठा रहे हैं. जिसके तहत सभी कर्मचारी सुबह काम करते है और शाम को लगभग एक घंटा शांतिपूर्वक अपना विरोध जाहिर करते हैं. लागतार होते विरोध के बीच प्रशासन का रुख थोड़ा नरम हुआ है लेकिन 3 अक्टूबर को होने वाली बैठक में चैयरमेन शामिल ही नहीं हुए. 

आपको बता दें 4 अक्टूबर को यूपी पावर कॉरपोरेशन  प्रबंधन एवं विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने बिजली व्यवस्था में सुधार  और राजस्व वसूली में वृद्धि किए जाने हेतू कई रचनात्मक सुझाव दिए. लेकिन प्रबंधन निजीकरण की जिद्द पर अडा हुआ है जिसके कारण कल की वार्ता विफल रही. 

इन सबके बीच सोशल मीडिया पर लगातार एक ऑडियो वायरल हो रहा है. जहां आईटीआई किए लड़के नौकरी की तलाश कर रहे हैं और उन्हें सरकारी नौकरी की जगह कॉन्ट्रकैट पर काम करने की बात की जा रही है. जिस पर युवक भड़क रहा है और कहता है कि 334 रुपए की दिहाड़ी पर काम करना पड़ेगा.

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