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Jhulan Goswami की दमदार पारी देख कर कहते रह जायेंगे आप ऐसी धाकड़ है धाकड़ !

Jhulan Goswami: भारतीय महिला क्रिकेट की सबसे धाकड़ गेंदबाज झूलन गोस्वामी ने बनाया विश्व रिकॉर्ड


Highlights

  • भारतीय महिला क्रिकेट टीम की धाकड़ गेंदबाज झूलन गोस्वामी ने खेले जा रहे विश्व कप में कीर्तिमान स्थापित किया है।
  • इंग्लैंड के खिलाफ मुकाबले में उन्होंने वनडे करियर के 250 विकेट पूरे कर लिये हैं।
  • वो रोज़ सुबह 4 बजे उठकर 80 किलोमीटर दूर कोलकाता ट्रेनिंग के लिए जाती थीं।
  • एक महिला होने के नाते क्रिकेट कितना मुश्किल हो सकता है यह जानते हुए भी झूलन ने कभी  हार नहीं मानी।

Jhulan Goswami : महिलाएं आज हर क्षेत्र में अपना नाम कर रही हैं। चाहे विज्ञान हो, फिल्म हो, लेखन हो या चिकित्सा महिलाओं ने अपना लोहा हर जगह मनवाया  है और दुनिया ने महिलाओं को इन सब भूमिकाओं में देर – सवेर ही लेकिन अपनाया ज़रूर है। परंतु जब बात खेल की आती है तो हम आज भी महिलाओं को वो उपाधि देने में नाकाम रहें हैं जिसकी वो हकदार हैं। खेल में भी जब क्रिकेट की बात आती है तो उसे  मेन्स गेम का दर्जा दिया गया है तब महिलाओं की मुश्किलें और बढ़ जाती है। लेकिन हम तो नारी हैं इतनी आसानी से हार तो मानेंगे नहीं। हम समाज के लाखों रूकावटों के बावजूद कुछ ऐसा कृतिमान हासिल कर जायेंगे जो सपने देखने वालों के लिए एक मिसाल होगा। इसी कड़ी में भारतीय महिला क्रिकेट टीम की धुआंधार गेंदबाज झूलन गोस्वामी ने एक ऐसा इतिहास रच दिया है कि भविष्य में जब – जब क्रिकेट के पन्ने खोले जायेंगे तब – तब 16 मार्च 2022 को ज़रूर याद किया जायेगा।

भारतीय महिला क्रिकेट टीम की धाकड़ गेंदबाज झूलन गोस्वामी ने खेले जा रहे विश्व कप में कीर्तिमान स्थापित किया है। इंग्लैंड के खिलाफ मुकाबले में उन्होंने वनडे करियर के 250 विकेट पूरे कर लिये हैं और वह इस आंकड़े तक पहुँचने वाली विश्व की पहली महिला गेंदबाज बन गई है। विश्व कप मुकाबले में झूलन गोस्वामी ने इंग्लैंड की सलामी बल्लेबाज टैमी ब्यूमोंट के रूप में अपना 250 वां विकेट हासिल किया। आपको बता दें कि झूलन विश्व कप में भी सर्वाधिक विकेट लेने वाली गेंदबाज है।

लेकिन ये उपलब्धि इतनी आसान नहीं है। इसके लिये आपको हम ले चलतें हैं वर्ष 1982 में। 25 नवम्बर 1982 को पश्चिम बंगाल के नदिया जिले में जन्मी झूलन को बचपन से ही खेल के प्रति अधिक रूझान था। भारतीय महिला क्रिकेट टीम की अब बड़ी नाम बन चुकीं झूलन ने ऐसे भी वक्त देखें जब उन्हें हज़ारों रूकावटों का सामना करना पड़ा। लेकिन हमारी स्टार खिलाड़ी तो बचपन से ही हौसलों से बुलंद थीं। उन्होंने कभी हार नहीं मानी। झूलन ने एक इंटरव्यू में कहा था कि उनकी सबसे बड़ी ताकत उनकी दादी थीं जिन्होंने उन्हें आज़ादी, महत्वाकांक्षाओं का मतलब सिखाया।

झूलन के पिता निशित गोस्वामी एयरलाइंस में काम करते हैं और माँ झरना गृहणी हैं। बंगाल के नदिया जिले के चकदा कस्बे में झूलन ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा हासिल की। झूलन गोस्वामी बताती हैं कि बचपन में उन्हें फुटबॉल खेलने का शौक था और वह अधिकतर फुटबॉल ही खेला करती थीं। परंतु एक बार ईडन गार्डन में उन्होंने बेलिंडा क्लार्क को क्रिकेट खेलते हुए देखा तो वह उनसे बहुत प्रभावित हुईं और क्रिकेट को ही अपना करियर बनाने का निश्चय किया।
जैसा कि आप इस बात से परिचित होंगे कि महिलाओं को खेल से जुड़ा देख ये समाज उन्हें अलग नज़रिए से देखता है। वो वक्त तो और भी आधुनिकीकरण से दूर था। समय का वह ऐसा दौर था जब महिलाओं का क्रिकेट जैसे खेलों में भाग लेना अच्छा नहीं माना जाता था और समाज ऐसी विचारधाराओं को मान्यता देने से भी कतराता था। लेकिन झूलन के दृढ़ निश्चय ने उन्हें मात्र 12 साल की उम्र में क्रिकेट से जोड़ दिया। शुरुआती दौर में उन्हें अपने परिवार से भी क्रिकेट खेलने को लेकर अपेक्षित सहयोग नहीं मिला। लेकिन सौभाग्यवश झूलन की मुलाकात क्रिकेट कोच स्वप्न साधु से हुई जिन्होंने इनकी प्रतिभाओं को पहचाना और इनके परिवार को इनकी क्रिकेट प्रतिभा और लगन से परिचित कराया। फिर आगाज़ हुआ ऐसे खिलाड़ी का जिसे दुनिया चकदाह एक्सप्रेस के नाम से जानती है। चूंकि झूलन जी अपने समय की सबसे तेज गेंदबाज हुआ करती थीं और 120 किलोमीटर की रफ्तार से बॉलिंग किया करती थीं इसलिये इन्हें चकदाह एक्सप्रेस के नाम से बुलाया जाने लगा।
आईसीसी महिला क्रिकेटर ऑफ द इयर जीतने वाली झूलन अपने शुरुआती दिनों को याद कर कहती हैं कि उनके घर के आस – पास कोई क्रिकेट एकेडमी नहीं थी जहां वह क्रिकेट के गुण सीख पातीं इसलिये उन्हें कोलकाता के क्रिकेट संस्थान में जाकर ट्रेनिंग करना पड़ता था। इसके लिए वो रोज़ सुबह 4 बजे उठकर 80 किलोमीटर दूर कोलकाता जाती थीं। उन दिनों को याद कर झूलन उत्साह से भर जाती हैं। एक महिला होने के नाते क्रिकेट कितना मुश्किल हो सकता है यह जानते हुए भी झूलन ने कभी हार नहीं मानी और महिला क्रिकेट में एक तेज गेंदबाज के रूप में अपनी पहचान बनाई।

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