फाइनल ईयर के एग्जाम को लॉन्ग टर्म के हिसाब देखना चाहिए, जिसमें किसी का नुकसान न हो
इंटरनेट तो कॉलेजों में नहीं चलता, गांव के बारे में क्या कहा जाये?
कोरोना के कारण लगभग हर दूसरा काम बंद है। धीरे-धीरे लोग काम की तरफ वापसी कर रहे हैं। लेकिन शिक्षा एक ऐसा क्षेत्र है जहां इतनी जल्दी वापसी संभव नहीं है। कोरोना के केस दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं। ऐसी स्थिति में फाइनल ईयर के स्टूडेंट्स का एग्जाम कैसे होगें यह चर्चा का विषय है। लेकिन जुलाई के पहले सप्ताह में यूजीसी द्वारा यह कहा गया है कि सितंबर में एग्जाम करवाए जाएंगे। यूजीसी एग्जाम कैसे करवाएगा इसके अलग-अलग विकल्प भी दिए हैं। लेकिन इसको लेकर लगातार विरोध किया जा रहा है। महाराष्ट्र सरकार तो इसके लिए सुप्रीम कोर्ट तक गई है ताकि एग्जाम पर रोक लगाई जा सके। लेकिन टीचर्स की इस बारे में क्या राय है। यह जानने के लिए हमने ‘बाबा भीमराव अंबेडकर यूनिर्वसिटी आगरा के एफिलिएटिड(संबद्ध्) महाविद्यालय, राजकीय महिला महाविद्यालय (फिरोजाबाद, उ।प्र) के समाजशास्त्र विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ अनुपम सिंह’ से बात की।
1 – यूजीसी गाइड लाइन के अनुसार फाइनल ईयर के एग्जाम सितंबर में कराए जाएंगे। आपको क्या लगता है जो स्टूडेंट्स अपने घर गए है क्या वह कॉलेज और यूनिर्वसिटी में आने में सक्षम हो पाएंगे?
उत्तर- स्थिति दिन प्रतिदिन खराब होती जा रही है। यूनिर्वसिटी मे पढ़ रहे बाहर के बच्चों के लिए तो बहुत परेशानी की बात है। वापस आना अभी तो थोड़ा मुश्किल है। क्योंकि हर किसी के मन मे कोरोना को लेकर एक खौफ है। ऐसी स्थिति में वापस आना कैसे संभव हो पाएगा।
2 – यूजीसी द्वारा कहा गया है कि परीक्षा तीन तरीकों से कराई जाएगी। ऑनलाइन, ऑफलाइन और ब्लाइन्डेट। क्या तीनों तरीके ही प्रभावी साबित हो पाएंगे? क्योंकि अगर ऑफलाइन होगा तो स्टूडेंट्स को परीक्षा स्थल आना पड़ेगा और ऑनलाइन में नेटवर्क की परेशानी बहुत ज्यादा है।
उत्तर – ऑनलाइन एग्जाम के लिए एक प्रोसेस पूरा करना होता है। उसके लिए भी स्टूडेंट्स को किसी सेंटर मे ही जाकर एग्जाम देने होंगे। जैसे ज्यादातर प्रतियोगिता परीक्षाओं में करवाया जाता है। यहां भी आना संभव नही है। लेकिन जैसे ऑनलाइन क्लास ली जा रही थी उसी हिसाब से एग्जाम भी करवाएं जाते है तो इंटरनेट की बहुत परेशानी है। कई ग्रामीण बच्चों के घर में एक ही मोबाइल है । बड़े शहरों मे इंटरनेट की ज्यादा परेशानी नहीं है। लेकिन समस्या यह है कि ज्यादातर स्टूडेंट्स भी छोटे शहरों से हैं। हमारे यहां तो कॉलेज में ही सही से इंटरनेट नहीं चल पाता है। एक फाइल खुलने में इतना समय लग जाता है। ऐसे में एग्जाम कैसे लिए जाएंगे।
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3 – गाइडलाइन को लेकर विरोध भी हो रहा है। कुछ लोगों का कहना है कि स्टूडेंट्स को प्रमोट कर देना चाहिए और कुछ का कहना है कि अगर सरकार एग्जाम करवाएगी तो स्टूडेंट्स के सेहत की जिम्मेदारी लेगी क्या?
उत्तर – प्रमोट करना एक विकल्प हो सकता है। लेकिन लॉन्ग टर्म के लिए दोनों के अलग-अलग बेनिफिट है। ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद ज्यादातर बच्चे नौकरी के लिए जाते हैं। उस वक्त उनको मैरिट की जरुरत पड़ती है। लेकिन बात यह है कि अगर किसी बच्चे ने पिछले सेमेस्ट में अच्छे नंबर प्राप्त नहीं किए। लेकिन हो सकता है वह लास्ट वाले सेमेस्टर में अच्छी मेहनत करके सबकुछ कवर लें। लेकिन अगर उसे पिछले सेमेस्टर के हिसाब से नंबर देते हैं तो हो सकता है उसका रिज्लट अच्छा न हो। वही दूसरी ओर कोई स्टूडेंट पहले के सेमेस्ट में अच्छे नंबर आते है और लास्ट सेमेस्टर में कुछ अच्छा नहीं कर पाता है तो उसका रिजल्ट पिछले के हिसाब से अच्छा हो जाएगा। इसलिए दोनों तरफ ही रिस्क है। स्थिति बहुत ही विषम है। अभी तक कोई सही गाइडलाइन भी नहीं है। लेकिन अभी तक यह भी पता नहीं है कि कब तक ऐसी स्थिति रहेगी। जब तक वैक्सीन नहीं आ जाती है थोड़ा इंतजार कर लेना चाहिए। साल छह महीने से कोई ज्यादा परेशानी की बात नहीं है लेकिन वहीं लॉन्ग टॉर्म के हिसाब से देखा जाएं तो अगर कोई बहुत बड़ी घटना हो जाती है तो जिदंगी भर के लिए परेशानी है। प्रमोट करने से बहुत सारे स्टूडेंट्स के साथ नाइंसाफी भी हो सकती है।
4 – टीचर्स को किस तरह की परेशानी का सामना करना पड़ेगा। कुछ टीचर्स ऐसे भी है जो बीमार भी है। ऐसी स्थिति में टीचर्स के लिए सरकार को कोई विकल्प निकालना चाहिए। क्योंकि अगर ऑफलाइन एग्जाम करवाते हैं तो टीचर्स की ही ड्यूटी लगेगी?
उत्तर – टीचर को तो पहले ही कॉलेज में बुलाया जा रहा है। जबकि नियमों की बात करें तो सारे टीचर्स को बुलाना अभी मना है। लेकिन कॉलेज वाले बुला लेते हैं उनका कहना है कि स्टॉफ कम है और काम बहुत ज्यादा है इसलिए आना पड़ेगा। सरकार द्वारा कोई बहुत सुविधा दी नहीं दी जा रही है। हालात यह है कि कोरोना से बचाव के लिए दिए गए निर्देशों का भी पालन सही से नहीं हो पा रहा है। ऐसी स्थिति में टीचर्स के लिए भी खतरा बना हुआ है।
5 – पिछली बार भी अप्रैल में जुलाई के पहले सप्ताह में एग्जाम करवाने की बात कही गई थी लेकिन कोरोना को देखते हुए इसे स्थगित कर दिया गया क्या इस बार भी कुछ ऐसा हो सकता है?
उत्तर – मुझे नहीं लगता है कि ऐसी स्थिति में एग्जाम करवाया जा सकता है। पहले भी ऐसा देखा गया है कि कोरोना बढ़ने के कारण एग्जाम स्थगित किए गए । हो सकता है इस बार भी कुछ ऐसा ही हो। वैसे अगर सरकार रिस्क लेकर काम करना चाहती है तो करें। राज्य सरकार और यूजीसी दोनों ने कमिटी बनाई है। यूजीसी एग्जाम करवाने की बात कर रही है जबकि राज्य सरकार प्रमोट करने की बात कर रही है। ऐसी स्थिति में राज्य सरकार और केंद्र सरकार दोनों को मिलकर बेहतर विकल्प के लिए बात करनी चाहिए।
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