Chaitra Navratri: किस देवी की पूजा करने से कौन – कौन सी मनोकामनाएं पूर्ण होती है, यहाँ जाने पूरी सूची!
Chaitra Navratri : देवी के नौ स्वरूपों की पूजा करने से आपकी कौन – कौन सी मनोकामनाएं होंगी पूरी, जानें
Highlights-
- चैत्र नवरात्रि 2 अप्रैल से मनाई जायेगी।
- नवरात्रि में देवी के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है।
Chaitra Navratri : चैत्र नवरात्रि 2 अप्रैल से मनाई जायेगी। इसकी तैयारी भी हर्षोल्लास के साथ हो रही है। नवरात्रि में देवी के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। भक्त जन पूरी श्रद्धा के साथ माता रानी का स्वागत करते हैं और इन नौ दिनों में भक्तिमय होकर देवी के नौ स्वरूपों की पूजा अर्चना करने में लग जाते हैं। कहते हैं जो व्यक्ति माँ दुर्गा की पूजा सच्चे मन से करता है उसे मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि देवी माँ के कौन से स्वरूपों की पूजा करने से आपकी कौन – कौन सी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी।
माँ शैलपुत्री: नवरात्रि के पहले दिन माँ शैलपुत्री की पूजा होती है। माँ शैलपुत्री भक्तों को धन – धान्य से परिपूर्ण होने का आशीर्वाद देती हैं। मान्यता है कि माँ शैलपुत्री की मन से भक्ति करने से भक्त जनों का आर्थिक समस्याओं से जूझना नहीं पड़ता। पर्वतराज हिमालय के यहाँ जन्म होने से इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है।
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माँ ब्रह्मचारिणी: नवरात्री के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। माँ ब्रह्मचारिणी मनुष्य के जीवन में आये सारी समस्याओं और बाधाओं को दूर करती हैं। माँ ब्रह्मचारिणी की उपासना से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है। माँ की पूजा करने से भक्त का मन जीवन के कठिन समय में भी विचलित नहीं होता है। इश दिन साधक कुंडलिनी शक्ति को भी जागृत करने के लिए साधना करते हैं। माँ ब्रह्मचारिणी जीवन के बाधाओं का सामना करने की शक्ति देते हैं।
माँ चंद्रघंटा: नवरात्री के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा होती है। माँ चंद्रघंटा की पूजा करने से निडरता, निर्भरता और सौम्यता आती है तथा जीवन में सभी पाप और बाधाओं का नाश होता है। माँ चंद्रघंटा की मन से भक्ति करने पर आपके मन से सभी प्रकार के विकार दूर होते हैं।
माँ कूष्माण्डा: नवरात्री के चौथे दिन माँ कूष्माण्डा की पूजा होती है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार जब सृष्टी का अस्तित्व नहीं था तब माँ कूष्माण्डा ने ब्रह्मांड की रचना की थी। माँ कूष्माण्डा सृष्टि की आदि स्वरूपा, आदिशक्ति हैं। माँ कूष्माण्डा की उपासना से भक्तों के समस्त रोग मिट जाते हैं। कहाँ ये जाता है कि माँ कूष्मांडा भक्तों से बहुत जल्दी प्रसन्न होती हैं। सच्चे मन से जो माँ की पूजा करते हैं माँ उनके दुख हर लेती हैं।
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माँ स्कंदमाता: नवरात्रि का पाँचवा दिन माँ स्कंदमाता की उपासना का दिन होता है। माँ स्कंदमाता को पद्मासना देवी भी कहा जाता है। कहते हैं कि जो भक्त जन माँ की पूजा सच्चे मन से करते है उनके मोक्ष द्वार खुल जाते हैं और साथ ही भक्तों की सभी इच्छाएं पूर्ण होती है।
माँ कात्यायनी: नवरात्री के छठे दिन माँ कात्यायनी की पूजा होती है। माँ की पूजा विधिवत मन से करने पर माँ खुश होती हैं और भक्तों को मनोवांछित फल देती हैं। माँ दुश्मनों को पराजित करने की शक्ति प्रदान करती हैं।
माँ कालरात्रि: नवरात्रि में सप्तमी का खास महत्व है। इस दिन माँ काली की उपासना करने से भूत, पिशाच, प्रेत और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है। माँ की सच्चे मन से आराधना करने से मन के भय दूर हो जाते हैं और भक्त अपने काम निडर होकर करते हैं।
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माँ महागौरी: नवरात्री के आठवें दिन महागौरी की पूजा होती है। माँ महागौरी ने शिव को वर के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था। अथवा जो स्त्री या पुरुष अपने जीवन में मनवांछित पार्टनर चाहते हैं उन्हें माँ की पूजा अर्चना मन से करनी चाहिए माँ आपके मनोरथ ज़रूर पूर्ण करेंगी। माँ महागौरी के सभी आभूषण और वस्त्र सफेद होते हैं इसलिए इन्हें श्वेताम्बरधरा भी कहा जाता है। उनकी आयु 8 वर्ष की मानी गई है। माँ की पूजा करने से सभी प्रकार के पाप और दुख दूर होते हैं। माँ की कृपा से अलौकिक शक्तियों की प्राप्ति होती है।
माँ सिद्धिदात्री: नवरात्री के नौवें दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा होती है। जैसा की नाम से ही जाहिर है माँ सिद्धिदात्री सिद्धि प्रदान करती हैं। मान्यता है कि एक समय भगवान शिव ने भी आराधना की थी जिनके कृपा से उन्होंने सिद्धि प्राप्त की थी। माँ सिद्धिदात्री की कृपा से उन्होंने सिद्धि प्राप्त की थी। इनकी कृपा से ही महादेव का आधा शरीर देवी का हुआ था और वह अर्धनारीश्वर नाम से प्रसिद्ध हुए। माँ की विधि – विधान से पूजा करने वालों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
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