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World Physical Therapy Day: विश्व फिजिकल थेरेपी दिवस 2025, सेहत और पुनर्वास की दिशा में अहम कदम

World Physical Therapy Day, हर साल 8 सितंबर को पूरी दुनिया में विश्व फिजिकल थेरेपी दिवस (World Physical Therapy Day) मनाया जाता है।

World Physical Therapy Day : विश्व फिजिकल थेरेपी दिवस 2025, इतिहास, महत्व और थीम

World Physical Therapy Day, हर साल 8 सितंबर को पूरी दुनिया में विश्व फिजिकल थेरेपी दिवस (World Physical Therapy Day) मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य लोगों को फिजिकल थेरेपी (भौतिक चिकित्सा) के महत्व और लाभों के बारे में जागरूक करना है। फिजियोथेरेपी केवल चोट लगने या दर्द कम करने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवनशैली को बेहतर बनाने और लंबे समय तक स्वस्थ रहने का एक महत्वपूर्ण साधन है।

विश्व फिजिकल थेरेपी दिवस का इतिहास

विश्व फिजिकल थेरेपी दिवस की शुरुआत 1996 में वर्ल्ड कन्फेडरेशन फॉर फिजिकल थेरेपी (WCPT) द्वारा की गई थी। इस संगठन ने तय किया कि 8 सितंबर को हर साल यह दिवस मनाया जाएगा ताकि दुनिया भर में फिजिकल थेरेपी की अहमियत को बताया जा सके। दिलचस्प बात यह है कि इसी तारीख को 1951 में WCPT की स्थापना भी हुई थी, इसलिए यह दिन और भी खास माना जाता है।

फिजिकल थेरेपी क्या है?

फिजिकल थेरेपी या फिजियोथेरेपी एक ऐसी चिकित्सकीय प्रक्रिया है, जिसमें व्यायाम, मसाज, इलेक्ट्रोथेरेपी और आधुनिक तकनीकों के जरिए मांसपेशियों, हड्डियों और नसों की समस्याओं का इलाज किया जाता है। यह थेरेपी न केवल दर्द कम करती है, बल्कि शरीर की गतिशीलता (mobility) और कार्यक्षमता (functionality) को भी बढ़ाती है।

फिजिकल थेरेपी का महत्व

  1. चोट से राहत – खेल, दुर्घटना या किसी भी चोट के बाद शरीर को सामान्य स्थिति में लाने के लिए फिजियोथेरेपी बेहद जरूरी है।
  2. सर्जरी के बाद पुनर्वास – किसी भी ऑपरेशन के बाद मरीज को जल्दी स्वस्थ करने और शरीर को सक्रिय बनाने में फिजिकल थेरेपी मदद करती है।
  3. बुजुर्गों के लिए सहारा – उम्र बढ़ने के साथ मांसपेशियों और हड्डियों की समस्याएँ बढ़ती हैं। फिजियोथेरेपी इन समस्याओं से राहत देती है।
  4. क्रोनिक दर्द से मुक्ति – कमर दर्द, गर्दन दर्द, घुटनों का दर्द जैसी लंबे समय तक रहने वाली समस्याओं का स्थायी समाधान फिजियोथेरेपी से मिल सकता है।
  5. जीवनशैली संबंधी समस्याएँ – आजकल खराब बैठने की आदतें, मोबाइल और लैपटॉप का अधिक उपयोग शरीर में दर्द पैदा करता है। फिजिकल थेरेपी इनसे बचाव का प्रभावी तरीका है।

आधुनिक युग में फिजिकल थेरेपी

आज फिजिकल थेरेपी सिर्फ हॉस्पिटल तक सीमित नहीं है। यह अब खेल, फिटनेस और कॉर्पोरेट वर्कप्लेस का भी अहम हिस्सा बन चुकी है। बड़े-बड़े स्पोर्ट्स क्लब और फिटनेस सेंटर में फिजियोथेरेपिस्ट की मौजूदगी खिलाड़ियों की फिटनेस और चोट से उबरने की प्रक्रिया को आसान बनाती है।

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थीम और जागरूकता

हर साल विश्व फिजिकल थेरेपी दिवस एक खास थीम (Theme) पर केंद्रित होता है। इन थीम्स के जरिए आम जनता को किसी विशेष स्वास्थ्य समस्या और उसके समाधान के बारे में जानकारी दी जाती है। उदाहरण के तौर पर, पहले की थीम्स में आर्थराइटिस, ऑस्टियोपोरोसिस और रीढ़ की हड्डी की समस्याओं पर जोर दिया गया था। यह थीम लोगों को स्वास्थ्य समस्याओं को समझने और फिजियोथेरेपी के महत्व को जानने में मदद करती है।

भारत में फिजिकल थेरेपी की स्थिति

भारत में फिजियोथेरेपी का क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है। पहले लोग इसे केवल चोट या दुर्घटना के बाद की जरूरत समझते थे, लेकिन अब यह एक स्वतंत्र और महत्वपूर्ण चिकित्सकीय शाखा के रूप में विकसित हो चुका है। बड़े शहरों से लेकर छोटे कस्बों तक फिजियोथेरेपी क्लीनिक खुल रहे हैं और लोग अपनी सेहत के लिए इसका लाभ उठा रहे हैं।

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चुनौतियाँ

हालांकि फिजियोथेरेपी का महत्व बढ़ रहा है, लेकिन अब भी कुछ चुनौतियाँ सामने हैं:

  • ग्रामीण इलाकों में जागरूकता की कमी
  • प्रशिक्षित फिजियोथेरेपिस्ट की कमी
  • आर्थिक कारणों से सभी तक इसकी पहुंच न होना
  • लोग अभी भी इसे सामान्य मसाज या व्यायाम समझते हैं

समाधान

इन चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार, स्वास्थ्य संस्थान और समाज को मिलकर प्रयास करना होगा। फिजियोथेरेपी से जुड़े जागरूकता अभियान चलाने चाहिए। मेडिकल कॉलेजों में फिजियोथेरेपी शिक्षा को और सशक्त बनाना जरूरी है। ग्रामीण क्षेत्रों में सस्ती और सुलभ सुविधाएँ उपलब्ध करानी चाहिए। लोगों की मानसिकता बदलने और इसे एक गंभीर चिकित्सा पद्धति के रूप में समझाने की जरूरत है। विश्व फिजिकल थेरेपी दिवस हमें यह संदेश देता है कि स्वस्थ जीवन जीने के लिए सिर्फ दवाइयाँ ही नहीं, बल्कि सही व्यायाम और पुनर्वास की तकनीक भी जरूरी है। फिजियोथेरेपी एक ऐसा साधन है, जो न केवल शरीर को सक्रिय रखती है बल्कि दर्द और बीमारियों से भी बचाती है। इस दिवस का उद्देश्य यही है कि हम सब अपने जीवन में फिजिकल थेरेपी को अपनाएँ और दूसरों को भी इसके महत्व से अवगत कराएँ।

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