सेहत

World Kidney Day 2024: किडनी की बीमारी से चाहते हैं बचाव तो इन बातों पर दें ध्यान, ये सेफ्टी टिप्स आएंगे काम

World Kidney Day 2024: जिस तरह से किडनी की दिक्कतें बढ़ती जा रही हैं, सभी लोगों को इसके लेकर सावधान रहने की आवश्यकता है। किडनी को स्वस्थ रखने के तरीकों को बढ़ावा देने, इसके उचित देखभाल को लेकर लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष मार्च माह के दूसरे गुरुवार को विश्व किडनी दिवस मनाया जाता है।

World Kidney Day 2024: डायबिटीज के पेशेंट को है किडनी के बीमार होने का खतरा

किडनी के सही रूप से कार्य न करने की स्थिति को किडनी फेल्यर कहा जाता है। किडनी फेल्यर का एक प्रमुख कारण मधुमेह (डायबिटीज) है। डायबिटीज में ब्लड शुगर के काफी समय तक अनियंत्रित रहने से किडनी की कार्यप्रणाली के खराब होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा हाई ब्लड प्रेशर, गुर्दे की छलनियों में संक्रमण, पथरी का बनना और दर्द निवारक दवाओं का अत्यधिक सेवन करने से भी कालांतर में किडनी फेल्यर की समस्या उत्पन्न हो सकती है।

आपको बता दें कि जिस तरह से किडनी की दिक्कतें बढ़ती जा रही हैं, सभी लोगों को इसके लेकर सावधान रहने की आवश्यकता है। किडनी को स्वस्थ रखने के तरीकों को बढ़ावा देने, इसके उचित देखभाल को लेकर लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष मार्च माह के दूसरे गुरुवार को विश्व किडनी दिवस मनाया जाता है। आइए जानते हैं कि मधुमेह रोगियों में किडनी की समस्याओं का खतरा क्यों अधिक होता है, और इससे बचाव के लिए क्या प्रयास किए जा सकते हैं?

डायबिटीज रोगियों में किडनी की बीमारी

क्रोनिक किडनी रोग (सीकेडी) अक्सर धीरे-धीरे और कुछ लक्षणों के साथ विकसित होता है। बहुत से लोगों को तब तक इसका एहसास नहीं होता जब तक कि यह गंभीर न हो जाए। यदि आपको मधुमेह है, तो नियमित रूप से अपनी किडनी की जांच जरूर करवाएं। प्रारंभिक स्थितियों में इसका पता चल जाने पर उपचार होना और इसके सबसे प्रभावी परिणाम प्राप्त होने की अधिक संभावना होती है। आंकड़े बताते हैं, मधुमेह से पीड़ित लगभग तीन में से एक वयस्क को किडनी की समस्या हो सकती है।

डायबिटीज रोगियों को ये दिक्कत क्यों?

स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, हमारी किडनी लाखों छोटे फिल्टरों से बनी होती है जिन्हें नेफ्रॉन कहा जाता है। समय के साथ, मधुमेह के कारण शुगर का बढ़ा हुआ स्तर इन नेफ्रॉन में रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाने लगता है। इसलिए वे उतना अच्छा काम नहीं कर पाती हैं जितना उन्हें करना चाहिए।

मधुमेह से पीड़ित कई लोगों में उच्च रक्तचाप भी विकसित हो जाता है, जिससे भी किडनी को भी नुकसान पहुंचता है। इसके अलावा डायबिटीज की स्थिति ब्लड में क्रिएटिनिन बढ़ने का कारण भी बन सकती है। हाई क्रिएटिनिन लेवल के कारण भी किडनी को गंभीर क्षति हो सकता है।

Read More:- Sweet Danger Of Sugar: रात को खाते हैं मिठाई तो हो सकती हैं कई गंभीर समस्याएं, ऐसे रखें ख्याल

शुगर को कंट्रोल रखना जरूरी

डॉक्टर कहते हैं, अपने शुगर लेवल को कंट्रोल में रखना सभी के लिए जरूरी है। डायबिटीज रोगियों के लिए ये और भी आवश्यक हो जाता है, क्योंकि बढ़े हुए शुगर के कारण न सिर्फ किडनी बल्कि हार्ट, आंखों और लिवर की भी दिक्कतें बढ़ सकती हैं। आप रक्त शर्करा, रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कंट्रोल में रखने के लिए प्रयास करके किडनी को स्वस्थ रख सकते हैं। इसके लिए लाइफस्टाइल और आहार पर ध्यान देना जरूरी हो जाता है।

डायबिटीज रोगी इन बातों का रखें ध्यान

  • डायबिटीज की समस्या है तो कुछ बातों का ध्यान रखना आपके संपूर्ण स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए जरूरी है। इन उपायों की मदद से आप किडनी को भी स्वस्थ रख सकते हैं।
  • जितना संभव हो सके अपने रक्त शर्करा के स्तर को कंट्रोल रखें। वर्ष में कम से कम दो बार A1C परीक्षण करवाएं, इससे शुगर के स्तर का सही पता लगाने में मदद मिलती है।
  • शुगर के साथ-साथ अपने कोलेस्ट्रॉल को भी कंट्रोल रखें। लो सोडियम वाले खाद्य पदार्थ खाएं साथ ही आहार में फल और सब्जियों की मात्रा अधिक रखें। शारीरिक रूप से सक्रिय रहना आपके लिए बहुत आवश्यक है।
  • जो लोग डायबिटीज से ग्रस्त हैं और जिनका ब्लड शुगर ज्यादा है, तो उन्हें अपनी ब्लड शुगर को नियंत्रित करना चाहिए। ब्लड शुगर नियंत्रण की स्थिति को जानने के लिए डॉक्टर के परामर्श से एचबीए1सी नामक टेस्ट कराएं। यह टेस्ट पिछले तीन महीनों के ब्लड शुगर कंट्रोल की स्थिति को बताता है।
  • ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखें। यानी 125- 130/75-80 के आस-पास रहे।
  • किडनी को नुकसान पहुंचाने वाली दवाओं से बचें। जैसे दर्द निवारक दवाएं (पेनकिलर्स)।
  • स्व-चिकित्सा (सेल्फ मेडिकेशन) न करें।
  • डॉक्टर की सलाह से ही दवाएं लें।
  • अगर किडनी से संबंधित कोई तकलीफ हो जाती है, तो शीघ्र ही नेफ्रोलॉजिस्ट से परामर्श लें।

क्या हैं जांचें?

  • कई मामलों में किडनी की बीमारी से ग्रस्त लोगों में उपर्युक्त लक्षण नहीं पाए जाते हैं। ऐसी अवस्था में कुछ जांचों से बीमारी का पता चल सकता है। जैसे…
  • खून में यूरिया और क्रिएटिनिन के स्तर का बढ़ना।
  • डायबिटीज के रोगियों की पेशाब की जांच भी करायी जाती है।
  • किडनी की कार्य करने की क्षमता में कमी आने से संबंधित जांच कराना।
  • किडनी का अल्ट्रासाउंड। इस जांच से पता चलता है कि किडनी का साइज छोटा तो नहीं है और पेशाब में रुकावट का कारण क्या है।

इन विकल्पों का करें चयन

जब किडनी पूरी तरह खराब हो जाती है, तो इन विकल्पों में से एक का चयन नेफ्रोलॉजिस्ट के परामर्श से करें…

We’re now on WhatsApp. Click to join

डायलिसिस: जिसमें हफ्ते में आवश्यकता के अनुसार दो बार मशीन से खून साफ किया जाता है।

किडनी ट्रांसप्लांट: इसमें एक नई किडनी (जो किसी दानदाता या डोनर के द्वारा दी जाती है) को मरीज के शरीर में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है। इसके बाद डायलिसिस की जरूरत नहीं पड़ती। वर्तमान दौर में किडनी ट्रांसप्लांट एक अच्छा इलाज है, जिसके बाद मरीज आम आदमी की तरह जीवन व्यतीत कर सकता है।

प्रारंभिक लक्षण

  • शरीर में सूजन का होना।
  • पेशाब की मात्रा में कमी होना।
  • प्रोटीन या खून का पेशाब में आना।
  • बार-बार पेशाब आना।
  • पेशाब में जलन होना।
  • भूख की कमी होना और जी मिचलाना।
  • शरीर में रक्त की कमी होना।
  • ब्लड प्रेशर का बढ़ा होना।

आपको बता दें कि किडनी या गुर्दा शरीर के महत्वपूर्ण अंगों में से एक है। इनमें खराबी आने से जिंदगी जीना मुश्किल हो जाता है, लेकिन मेडिकल साइंस में हुई प्रगति के कारण अब किडनी फेल्यर के मरीज भी सामान्य जिंदगी जी सकते हैं।

अगर आपके पास भी हैं कुछ नई स्टोरीज या विचार, तो आप हमें इस ई-मेल पर भेज सकते हैं info@oneworldnews.com

vrinda

मैं वृंदा श्रीवास्तव One World News में हिंदी कंटेंट राइटर के पद पर कार्य कर रही हूं। इससे पहले दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण और नवभारत टाइम्स न्यूज पेपर में काम कर चुकी हूं। मुझसे vrindaoneworldnews@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।
Back to top button