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Stress Causes: गर्मी का बढ़ता तापमान बन रहा स्ट्रेस का कारण, जानें हीट वेव से बचने के आसान टिप्स

Stress Causes: बढ़ते तापमान का बुरा प्रभाव हमारे दिमाग पर भी पड़ता है। इस कारण हम बेचैनी, तनाव, उदासी, चिड़चिड़ापन और डिप्रेशन जैसी चीजें का शिकार हो जाते हैं।

Stress Causes: बढ़ते तापमान से दिमाग पर पड़ता है गंभीर असर


तापमान बढ़ने के दौरान डिहाइड्रेशन होना आम बात है। जिसके लिए आप ऐसे कई नुस्खे भी आजमाते हैं जिससे आप खुद को ठंडा रख सकें। बढ़ते तापमान के कारण दिमाग का पारा भी बढ़ जाता है ऐसा हमने केवल कहावत के तौर पर सुना होगा। लेकिन हाल ही में एक रिसर्च से चौंका देने वाला खुलासा किया है। इस रिसर्च के अनुसार बढ़ते तापमान का बुरा प्रभाव हमारे दिमाग पर भी पड़ता है। इस कारण हम बेचैनी, तनाव, उदासी, चिड़चिड़ापन और डिप्रेशन जैसी चीजें का शिकार हो जाते हैं।

आज हम आपको बताएंगे कि गर्मी का तापमान स्ट्रेस को कैसे बढ़ावा देता है। आइए जानते हैं विस्तार से-

शोध में हुआ ये खुलासा

बोस्टन यूनिवर्सिटी में हुए शोध के अनुसार हीटवेव लोगों में एग्रेशन का कारण बन रही है। इसका मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है। इससे लोगों के प्रदर्शन और प्रतिक्रिया प्रभावित होता है। बढ़ते तापमान के कारण डिहाइड्रेशन, बेहोशी और डेलिरियम जैसी समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है। इसके अलावा भी कई और परिणाम सामने आ रहे हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण बहुत ही तेजी से दुनिया में तापमान बढ़ रहा है। इससे निपटने के लिए लोगों आर्टिफिशियल चीजों का सहारा ले रहे हैं। लेकिन ये तापमान को कम करने की बजाए उसे बढ़ा रहा है। ऐसे में जरूरी है कि इस पर वैश्विक रूप से चर्चा हो।

बढ़ते तापमान से दिमाग पर पड़ता है असर

गर्मी में स्ट्रेस हार्मोन कार्टिसोल का लेवल बढ़ जाता है। इसका जरूरत से ज्यादा बनना एंग्जाइटी, डिप्रेशन को ट्रिगर करता है, जिसका बॉडी पर नेगेटिव असर देखने को मिलता है।

तापमान बढ़ने से मेलाटोनिन हार्मोन का लेवल बिगड़ने लगता है, जिससे स्लीपिंग पैटर्न बिगड़ने लगता है। नींद से कमी या किसी भी तरह की बाधा सीधे मूड पर असर डालती हैं। नींद पूरी न होने से पाचन भी खराब रहता है।

गर्मी बढ़ने के चलते सीजनल एफेक्टिव डिसऑर्डर के मरीजों की भी प्रॉब्लम बढ़ जाती है। हर वक्त डिप्रेस रहना, बातचीत न करना, थकान, आलस जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं।

गर्मी बढ़ने की वजह से जब रातों की नींद पूरी नहीं होती तो इससे हार्मोन्स का बैलेंस बिगड़ने लगता है। डोपामाइन न्यूरो केमिकल की अधिकता से व्यक्ति मेनिया का शिकार हो जाता है और जरूरत से ज्यादा बोलने लगता है या बड़बड़ाते रहता है। बात-बात पर गुस्सा होना भी इसके लक्षणों में शामिल है।

हीट वेव से बचने के लिए अपनाएं ये टिप्स

कड़ी धूप खासतौर से सुबह 10 बजे से लेकर दोपहर 4 बजे तक बाहर निकलना अवॉयड करें।

घर को ठंडा रखने के लिए रात में खिड़कियां खोल दें, लेकिन ये तरीका तभी काम करेगा जब बाहर का मौसम अंदर की अपेक्षा कम होगा।

घर में जहां सीधी धूप आती है वहां पर्दे, ब्लाइंडर्स लगाएं।

शरीर में पानी की कमी न होने दें। इसके लिए पानी के साथ दूसरे लिक्विड्स जैसे नारियल पानी, फलों व सब्जियों का जूस पीते रहें।

इस मौसम में हल्के व ढीले कपड़े पहनें।

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vrinda

मैं वृंदा श्रीवास्तव One World News में हिंदी कंटेंट राइटर के पद पर कार्य कर रही हूं। इससे पहले दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण और नवभारत टाइम्स न्यूज पेपर में काम कर चुकी हूं। मुझसे vrindaoneworldnews@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।
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