Oral Health : प्रेग्नेंसी में ओरल हेल्थ की अनदेखी, क्यों हो सकती है बड़ी गलती?
Oral Health प्रेग्नेंसी के दौरान और बाद में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसलिए, ओरल हेल्थ को अनदेखा न करें। प्रेग्नेंसी के पहले और बाद दोनों समय में सही देखभाल और नियमित जांच करवाना आवश्यक है।
Oral Health : गर्भावस्था और मातृत्व में ओरल हेल्थ का महत्व, जानें इसके जोखिम और बचाव के तरीके
Oral Health: प्रेग्नेंसी के दौरान महिला के शरीर में कई तरह के शारीरिक और हार्मोनल बदलाव होते हैं, जो उनकी ओरल हेल्थ (मुंह की सेहत) को प्रभावित कर सकते हैं। इस समय को ध्यान में रखते हुए, ओरल हेल्थ की अनदेखी करना समस्याओं को और बढ़ा सकता है। प्रेग्नेंसी से पहले और बाद में, दांतों और मसूड़ों की सही देखभाल जरूरी है क्योंकि ये मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण होती है।
प्रेग्नेंसी से पहले ओरल हेल्थ
1. ओरल हेल्थ की जांच : प्रेग्नेंसी की योजना बनाते समय, दंत चिकित्सक से चेकअप करवाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। किसी भी प्रकार की कैविटी, मसूड़ों की बीमारी या अन्य ओरल हेल्थ समस्याओं का पहले से पता लगाकर उनका इलाज करना जरूरी है। इससे प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाली जटिलताओं को रोका जा सकता है।
2. डेंटल सफाई : नियमित रूप से डेंटल सफाई कराना भी बहुत जरूरी है। इससे मसूड़ों में सूजन और ब्लीडिंग जैसी समस्याएं कम होती हैं और मुंह में बैक्टीरिया की मात्रा भी नियंत्रित रहती है।
3. आहार और जीवनशैली : अपने आहार में बदलाव करना और स्वस्थ जीवनशैली अपनाना भी ओरल हेल्थ के लिए फायदेमंद हो सकता है। चीनी का सेवन कम करें और ताजे फल, सब्जियां, और कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन बढ़ाएं।
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प्रेग्नेंसी के दौरान ओरल हेल्थ
1. हार्मोनल बदलाव : प्रेग्नेंसी के दौरान हार्मोनल बदलाव होते हैं जो मसूड़ों को अधिक संवेदनशील बना सकते हैं। मसूड़े सूज सकते हैं, लाल हो सकते हैं, और उनमें ब्लीडिंग भी हो सकती है, जिसे ‘प्रेग्नेंसी जिंजिवाइटिस’ कहा जाता है।
2. प्रेग्नेंसी ट्यूमर : कुछ महिलाओं में प्रेग्नेंसी के दौरान मसूड़ों पर लाल, मस्सेदार उभार हो सकते हैं जिन्हें ‘प्रेग्नेंसी ट्यूमर’ कहा जाता है। ये आमतौर पर हानिरहित होते हैं और डिलीवरी के बाद अपने आप गायब हो जाते हैं, लेकिन कभी-कभी इनका इलाज करना जरूरी हो सकता है।
3. दांतों की सड़न : प्रेग्नेंसी के दौरान, अक्सर महिलाओं को एसिडिटी की समस्या होती है, जिससे पेट का एसिड मुंह तक पहुंच सकता है और दांतों की एनामेल को नुकसान पहुंचा सकता है। इसके अलावा, गर्भावस्था के दौरान कुछ महिलाओं में खाने की आदतों में बदलाव आता है, जैसे अधिक मीठा खाना, जो कि दांतों की सड़न का कारण बन सकता है।
4. मॉर्निंग सिकनेस : मॉर्निंग सिकनेस के कारण मुंह में एसिड की मात्रा बढ़ जाती है, जो दांतों की एनामेल को कमजोर कर सकता है। इस स्थिति में, माउथवॉश का उपयोग करने से मुंह के पीएच स्तर को सामान्य रखने में मदद मिल सकती है।
5. दंत चिकित्सक से नियमित जांच : गर्भावस्था के दौरान भी दंत चिकित्सक के पास नियमित जांच कराना महत्वपूर्ण है। किसी भी प्रकार की समस्या को समय रहते पहचान कर उसका इलाज किया जा सकता है।
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प्रेग्नेंसी के बाद ओरल हेल्थ
- हार्मोनल असंतुलन का प्रभाव : प्रसव के बाद भी हार्मोनल असंतुलन का प्रभाव रहता है जो मसूड़ों और दांतों की समस्याओं को जन्म दे सकता है। इस समय भी ओरल हेल्थ की देखभाल करना जरूरी है।
2. दांतों की सफाई और देखभाल : बच्चे के जन्म के बाद महिलाएं अक्सर अपनी खुद की देखभाल के लिए समय नहीं निकाल पातीं, लेकिन दांतों की नियमित सफाई और देखभाल करना अत्यंत आवश्यक है। फ्लॉसिंग और ब्रशिंग नियमित रूप से करें और दंत चिकित्सक के पास समय-समय पर जाएं।
3. ब्रेस्टफीडिंग का प्रभाव : ब्रेस्टफीडिंग के दौरान मां के शरीर में कैल्शियम की कमी हो सकती है, जो दांतों और हड्डियों को प्रभावित कर सकती है। इसलिए, कैल्शियम और विटामिन डी का पर्याप्त सेवन सुनिश्चित करना चाहिए।
4. संतुलित आहार : प्रसव के बाद, स्वस्थ और संतुलित आहार लेना चाहिए जो मां के ओरल हेल्थ और संपूर्ण स्वास्थ्य को समर्थन दे सके। कैल्शियम, फॉस्फोरस, और विटामिन सी जैसे पोषक तत्वों का सेवन दांतों और मसूड़ों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है।
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